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Sunday, 1 December, 2024
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Apple ने भारत में जल प्रबंधन, संरक्षण के लिए NGO के साथ करार किया, बेंगलुरु से शुरू होगा प्रोजेक्ट

एप्पल की एग्जीक्यूटिव लिसा जैक्सन 2030 तक कार्बन तटस्थ होने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में एप्पल की मदद करने में भारत की भूमिका के बारे में बात करती हैं. वो कहती हैं, 'इन चुनौतियों का सामना करने वाले ही शक्तिशाली समाधान लाते हैं.’

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नई दिल्ली: दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी एप्पल ने भारत में जल प्रबंधन और जल संरक्षण को मजबूत करने के लिए डेटा एनालिटिक्स-संचालित समाधान विकसित करने हेतु एक पर्यावरण एनजीओ, फ्रैंक वॉटर के साथ साझेदारी की है.

साझेदारी के तहत, दोनों ने बेंगलुरु के बाहरी इलाके के अनेकल तालुक में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जहां फ्रैंक वॉटर घरों का सर्वेक्षण कर रहा है और क्षेत्र में पानी का उपयोग कैसे किया जाता है, यह मैप करने के लिए कई डेटा स्रोतों का विश्लेषण कर रहा है.

साझेदारी, प्रमुख विशेषज्ञों, स्थानीय संगठनों, व्यवसायों और समुदाय के सदस्यों को एक साथ लाकर साझा जल संसाधनों के बारे में निर्णय लेने में सुधार करने के लिए एकत्र किए गए डेटा पर आधारित होगी.

लिसा जैक्सन, पर्यावरण, नीति और सामाजिक पहल की एप्पल की उपाध्यक्ष, जो अभी भारत में हैं, ने दिप्रिंट को बताया, ‘जलवायु परिवर्तन और वैश्विक जल संकट के कुछ सबसे शक्तिशाली समाधान इन चुनौतियों के साथ हर दिन रहने वाले समुदायों के बीच से आते हैं.’ 

उन्होंने कहा, ‘भारत और दुनिया भर में अभिनव, समुदाय-आधारित दृष्टिकोणों का समर्थन करके, एप्पल वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति कर रहा है, साथ ही लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने में अपनी भूमिका निभा रहा है.’

2030 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के अपने लक्ष्य को हासिल करने में एप्पल की मदद करने में भारत की भूमिका पर, उन्होंने कहा, ‘जब मैं 2016 में यहां थी, तब से अब तक चीजें काफी बदल गई हैं. देश में एप्पल की मौजूदगी बढ़ी है. अब हमारे साथ हजारों कर्मचारी कार्यरत हैं और हजारों कर्मचारी संविदा पर एप्पल के साथ जुड़े हैं. हमारा विनिर्माण बढ़ रहा है, और हमारा उपयोगकर्ता आधार भी बढ़ रहा है. जैसे-जैसे यह बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कार्बन महत्वाकांक्षा भी बढ़ रही है. आप एक का विकास दूसरे के बारे में चिंता किए बिना नहीं कर सकते, क्योंकि 2030 का लक्ष्य आगे नहीं बढ़ रहा है.’

एप्पल ने साल 2020 में 2030 तक अपने संपूर्ण व्यवसाय, विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला और उत्पाद जीवन चक्र में कार्बन-तटस्थ बनने की योजना की घोषणा की थी.

इस बात की ओर इंगित करते हुए कि कंपनी अपनी 10-वर्षीय कार्बन-तटस्थ योजना के तीसरे वर्ष में है, जैक्सन ने कहा कि इसका कंपनी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रभाव पड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘एप्पल के पास हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सेवाएं हैं. हमारे पास स्टोर हैं, हमारे पास दुनिया भर में कार्यालय हैं. हमारे पास डेटा सेंटर हैं. उनमें से हर एक को 2030 तक कार्बन फ्री करना है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘आपको वास्तव में उन सभी अलग-अलग लीवरों के बारे में सोचना होगा जिन्हें आप आगे बढ़ा सकते हैं. जहां भी हमारे एप्पल कर्मचारी काम कर रहे हैं वहां का कार्यालय, खुदरा स्टोर, डेटा केंद्र 2018 से 100 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा पर चल रहा है.’ 

पर्यावरण के मुद्दों पर भारत सरकार के साथ बातचीत पर एक सवाल का जवाब देते हुए, जैक्सन ने कहा, ‘मैंने अभी सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक की और वे मुझे तेजी से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे. भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर कुछ बहुत मजबूत प्रतिबद्धताएं की हैं, और कई राज्यों ने भी की हैं. हमें यह चुनौतीपूर्ण नहीं लगता, हमें ढे़र सारे अवसर मिलते हैं. हम एक ऐसी स्थिति पाते हैं जहां स्वच्छ ऊर्जा के लिए बाजार बढ़ रहा है और विकसित हो रहा है, और यह हमारे लिए इसका हिस्सा बनने का एक बड़ा अवसर है.’


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‘हम अपने प्रोडक्ट वापस चाहते हैं’

जैक्सन के अनुसार, एप्पल के लिए, कार्बन-तटस्थ होने की रणनीति का एक हिस्सा इस बात पर केंद्रित है कि प्रोडक्ट बनाने में सामग्री का उपयोग कैसे किया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए सर्कुलर इकोनॉमी एक वास्तविक अवसर है. इसका मतलब है कि हमें सबसे पहले इंजीनियरिंग उत्पादों को डिजाइन करने और अच्छे सॉफ्टवेयर बनाने के साथ शुरुआत करनी होगी जो बहुत लंबे समय तक चलते हो.’

उन्होंने कहा कि एप्पल उपयोगकर्ताओं के पास नया खरीदते समय अपने पुराने उपकरणों को वापस करने का विकल्प होता है, जो नए उत्पाद की लागत को कम करने में भी मदद करता है. यह विकल्प न सिर्फ विश्व स्तर पर ब्लकि भारत में भी काफी लोकप्रिय है.

जैक्सन ने कहा, ‘तो फिर एक चक्र शुरू होता है. अब आपने अपने डिवाइस को बदला है लेकिन आपका डिवाइस अभी कुछ साल तक और काम कर सकता है, इसलिए उसे फिर से बेचा जा सकता है, या उसे कहीं और दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. अपने जीवन के अंत में, एक एप्पल उत्पाद के लिए, कंपनी उन उत्पादों को वापस चाहती है ताकि हम उनसे सामग्री प्राप्त कर सकें. हम इंजीनियरिंग सामग्री पर बहुत समय खर्च करते हैं, इसलिए हम उन्हें वापस चाहते हैं ताकि हम उन्हें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में वापस ला सकें. तो, आप वास्तविक चक्र प्राप्त करते हैं और यही हमारी महत्वाकांक्षा है.’

उसने बताया कि इस्तेमाल किए गए उत्पादों को वापस प्राप्त करना ऐप्पल की जलवायु परिवर्तन प्रतिज्ञा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इससे नई सामग्री की आवश्यकता कम हो जाएगी. इसलिए, नई सामग्री के खनन और प्रसंस्करण और शोधन से जुड़े कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी.

उन्होंने कहा, ‘हमारे सीईओ (टिम कुक) ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि किसी दिन वह एक नए उपकरण का 100 प्रतिशत पुनर्नवीनीकरण करना चाहते हैं. वर्तमान में, हमारे सभी उत्पादों में, हम लगभग 22 प्रतिशत पुनर्नवीनीकरण कर रहे हैं. हमारे पास अब भी 78 फीसदी काम बाकी है, लेकिन हमने इसमें प्रगति की है.’

भारत की इस यात्रा पर, जैक्सन महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र का दौरा करेंगी, जिसे एप्पल संरक्षित करने में मदद कर रहा है.

कंपनी ने एप्लाइड एनवायरनमेंटल रिसर्च फाउंडेशन (AERF) को अनुदान दिया है जो स्थानीय समुदाय के साथ काम कर रहा है. इसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों में वैकल्पिक, टिकाऊ उद्योगों का निर्माण करके इन मैंग्रोव के भविष्य की रक्षा करना और ‘एक मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र’ बनाना है, जो इनसे जैव विविधता और खेती का लाभ उठाते हैं.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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