नई दिल्ली: एडलगिव हुरुन इंडिया फिलैंथ्रॉपी लिस्ट 2020 के अनुसार, 7,9094 करोड़ रुपए या 22 करोड़ के रोज़ाना दान के साथ, विप्रो के पूर्व अध्यक्ष अज़ीम प्रेमजी, वित्त वर्ष 2019-20 के परोपकारियों की सूची में सबसे ऊपर पहुंच गए.
एचसीएल टेक्नोलॉजीज़ के शिव नाडर, और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के अध्यक्ष मुकेश अंबानी, जो भारत के सबसे अमीर शख़्स हैं, लिस्ट में उनके बाद आते हैं.
बुद्धवार को, प्रेमजी के बेटे रिशाद, जो अब विप्रो के अध्यक्ष हैं, ने कहा, ‘मेरे पिता ने हमेशा ये माना है कि वो अपनी दौलत के ट्रस्टी हैं, और वो इसके मालिक कभी नहीं रहे. जिन समुदायों के बीच हम रहते और काम करते हैं, उनका हिस्सा बनना भी विप्रो का एक अहम भाग है’.
My father has always believed that he was a trustee of his wealth and never it’s owner. Being part of the communities in which we live and work is also a core part of Wipro. pic.twitter.com/TiDL58S23M
— Rishad Premji (@RishadPremji) November 11, 2020
एक नज़र डालते हैं 75 वर्षीय प्रेमजी के परोपकारी कार्यों पर.
फाउण्डेशन और परोपकारी पहलक़दमियां
अज़ीम प्रेमजी 21 वर्ष के थे, जब अपने पिता की मौत के बाद, उन्होंने विप्रो का ज़िम्मा संभाला. उस समय ये कंपनी वनस्पति तेल का उत्पादन करती थी. लेकिन 1980 के दशक की शुरूआत में, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का निर्माण शुरू करके, प्रेमजी टेक्नोलॉजी सेक्टर पर केंद्रित हो गए.
इधर उनकी कंपनी भारत में आईटी लहर पर सवार थी, उधर 2000 में ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों के साथ, उनका परोपकारी काम शुरू हो गया, जिसमें प्राथमिक शिक्षा प्रणालियों पर बल दिया गया.
2001 में, अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन का अधिकारिक रूप से पंजीकरण हुआ. फाउण्डेशन ने देश में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए, कई कार्यक्रम लागू करके अपने काम की शुरूआत की. दूरगामी असर के लिए उसने स्थानीय सरकारी ढांचों के साथ सहयोग करना शुरू किया, और कई स्थानों पर ज़िला संस्थान स्थापित किए.
आज इसके संस्थान कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और पुदुचेरी के, 40 से अधिक ज़िलों में फैले हुए हैं.
फाउण्डेशन ने देशभर में कई राज्य सरकारों के साथ सहयोग करते हुए, पाठ्यक्रमों में सुधार, स्कूली पाठ्य पुस्तकों के विकास, और अध्यापकों तथा शिक्षा अधिकारियों की क्षमता में विकास आदि पर फोकस किया है.
विप्रो के पूर्व अध्यक्ष ने अज़ीम प्रेमजी फिलैंथ्रॉपिक इनीशिएटिव्ज़ भी शुरू किया, जो कमज़ोर वर्गों के साथ काम करता है, और जिसका उद्देश्य ‘एक न्यायसंगत, उदार, और क़ायम रहने वाले समाज के लिए काम करना है’. इसका फोकस उन ग़रीब समुदायों पर है, जो हर रोज़ भेदभाद, पक्षपात और आर्थिक व सामाजिक आभाव झेलते हैं.
इसके प्रयासों में उन किशोर कन्याओं के साथ काम करना शामिल है, जो स्कूल छोड़ देती हैं, और जिनकी 18 साल की उम्र से पहले शादी कर दी जाती है. ये इकाई ऐसा लड़कियों को सलाह देती हैं, उन्हें एक दूसरे से मिलवाती हैं, उन्हें जीवन के हुनर सिखाती हैं, उन्हें प्रजनन अधिकारों से वाक़िफ कराती हैं, और स्कूल में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.
ये इनीशिएटिव बेघर लोगों, छोटे और मझोले किसानों, दिव्यांग व्यक्तियों, सड़क पर पल रहे बच्चों, और घरेलू हिंसा झेल में बच गए लोगों के लिए भी काम करता है.
अन्य प्रयास
2013 में जब उत्तराखंड में बाढ़ की तबाही आई, तो अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन उन धर्मार्थ संगठनों में से था, जिन्होंने राहत कार्यों में हाथ बटाया.
2015 में, अज़ीम प्रेमजी ने विप्रो में अपनी अतिरिक्त 18 प्रतिशत हिस्सेदारी दान पुण्य के लिए दे दी, और इस तरह अपनी कुल 39 प्रतिशत हिस्सेदारी (लगभग 53,284 करोड़) परोपकार के लिए नामित कर दी.
गांधी से प्रभावित
ये पहली बार नहीं है कि अज़ीम प्रेमजी को उनके परोपकारी कार्यों के लिए पहचान मिली है. 2019 में फोर्ब्स एशिया ने उन्हें ‘एशिया का सबसे उदार परोपकारी’ क़रार दिया था.
2013 में ‘गिविंग प्लेज’ पर दस्तख़त करने वाले वो पहले भारतीय बने. इस मुहिम की अगुवाई अरबपति वॉरेन बफेट और बिल गेट्स कर रहे हैं, जिसमें दुनिया के अमीर तरीन लोग, अपनी दौलत का एक बड़ा हिस्सा, दान में दे देते हैं.
उस समय प्रेमजी ने कहा, ‘मैं (महात्मा) गांधी के इस विचार से बहुत प्रभावित था, कि अपनी दौलत को अपने स्वामित्व में नहीं, बल्कि न्यासिता में रखा जाए, जिसका इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए हो’.
2020 की शुरूआत में, फोर्ब्स ने ऐलान किया कि अज़ीम प्रेमजी, कोविड राहत कार्यों के लिए, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े दानदाता थे. विप्रो, विप्रो एंटरप्राइज़ेज़, और अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन ने मिलकर, राहत कार्यों के लिए 1,125 करोड़ रुपए दान किए.
एक परोपकारी के तौर पर उनके काम की, भारतीय उद्धोग के उनके साथियों ने भी सराहना की है. 2019 में, बायोकॉन चीफ किरन मजूमदार शॉ ने कहा कि प्रेमजी ‘परोपकार को अगले स्तर पर ले गए हैं’.
शॉ ने कहा, ‘अज़ीम प्रेमजी एक आदर्श परोपकारी हैं- जिन्होंने हमें प्रेरित किया है, और उनके काम पर हमें गर्व है. मैं समझती हूं कि वो एक सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं’.
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