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होमदेशविद्यालय का खाली ईडब्ल्यूएस सीटों पर अगले वर्ष दाखिला देना आरटीई कानून का उल्लंघन नहीं: अदालत

विद्यालय का खाली ईडब्ल्यूएस सीटों पर अगले वर्ष दाखिला देना आरटीई कानून का उल्लंघन नहीं: अदालत

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) या वंचित समूह (डीजी) श्रेणियों के तहत खाली सीटों पर अगले वर्ष अगली कक्षा में दाखिला देने वाले स्कूल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम या किसी अन्य कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करते हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा कि आरटीई अधिनियम की धारा 2(एन)(चार) के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक स्कूल द्वारा प्रवेश स्तर की कक्षा में कुल क्षमता की कम से कम 25 प्रतिशत तक सीटों पर ईडब्ल्यूएस/डीजी छात्रों को प्रवेश देना वैधानिक दायित्व है।

उसने कहा कि यदि कोई विद्यालय इसमें चूक करता है, तो उसे अगले वर्ष अगली उच्च कक्षा में उस कमी की भरपायी करने का निर्देश देने में कुछ भी अवैध नहीं है।

न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की खंडपीठ ने 40 पृष्ठ के फैसले में कहा, “अदालत का मानना ​​है कि एक वर्ष में किसी विशेष कक्षा में न भरी गई ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी की सीटों को उसी स्कूल में अगले वर्ष अगली कक्षा में ले जाने का सिद्धांत कानूनी और वैध है, जैसा कि पहले ही माना जा चुका है।’’

अदालत का यह फैसला पांच वर्ष की एक लड़की की मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए आया, जिसे एक निजी स्कूल ने शैक्षणिक सत्र 2021-2022, 2022-2023 और 2023-2024 के लिए तीन बार ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत केजी या प्री-प्राइमरी कक्षा में प्रवेश से वंचित कर दिया था।

अदालत ने एक अंतरिम आदेश में गत सितंबर में स्कूल को याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन, 2023-2024 शैक्षणिक सत्र में बच्ची को ईडब्ल्यूएस छात्र के तौर पर कक्षा एक में अस्थायी रूप से प्रवेश देने का निर्देश दिया था।

याचिका का निस्तारण करते हुए, अदालत ने कहा कि लड़की वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के अंत तक उसी स्कूल में कक्षा एक में ईडब्ल्यूएस छात्रा के रूप में पढ़ती रहेगी क्योंकि उसे कक्षा से मध्य सत्र से बाहर निकालना पूरी तरह से उसके हितों के विपरीत होगा।

इसने शिक्षा निदेशालय को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि उसे 2024-2025 में ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी उम्मीदवार के रूप में पड़ोस के विद्यालयों में से एक में कक्षा दो में प्रवेश दिया जाए।

डीओई यह सुनिश्चित करेगा कि आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार बच्ची 14 वर्ष की आयु तक उक्त स्कूल में शिक्षा प्राप्त करती रहे और वह कानून के अनुसार उसकी शिक्षा की फीस वहन करेगा।

भाषा अमित प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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