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शनिवार, 26 अप्रैल, 2025
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स्कूली छात्रा ने वंचितों में नेत्र देखभाल के प्रति जागरूकता के लिए दोस्तों के साथ मिलकर एनजीओ बनाया

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नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की पांचवीं कक्षा की एक लड़की को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान ब्लैकबोर्ड पर लिखी बातें पढ़ने में कठिनाई हुई, जिसके बाद 16 वर्षीय एक स्कूली छात्रा ने समाज के वंचित वर्गों के बीच नेत्र देखभाल के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) शुरू किया।

नोएडा की 11वीं कक्षा की छात्रा और एनजीओ ‘दृष्टि’ की संस्थापक संजना चौहान ने कहा, ‘‘ऐसे देश में जहां लाखों लोग बिना निदान या उपचार के दृष्टि संबंधी समस्याओं से चुपचाप संघर्ष कर रहे हैं, मैं उनके बीच जागरूकता पैदा करना चाहती हूं।’’

फिरोजाबाद की लड़की की घटना ने संजना को अपने दोस्तों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों में दृष्टि दोष पर कुछ शोध करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने औद्योगिक श्रमिकों के सबसे अधिक प्रभावित समूहों में शुमार फिरोजाबाद के चूड़ी निर्माताओं से मुलाकात की।

उन्होंने फिरोजाबाद को ही क्यों चुना, इसकी एक वजह थी। संजना को अपनी किताब में फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग और चूड़ियों के उत्पादन के दौरान की प्रक्रियाओं के दुष्प्रभावों के बारे में एक अध्याय मिला था।

संजना ने कहा, ‘‘यहां तीव्र गर्मी, मशीनों से निकलने वाली चिंगारी और कण श्रमिकों की दृष्टि पर काफी दुष्प्रभाव डालते हैं।’’

छात्रा एवं ‘दृष्टि’ की स्वयंसेवक सलोनी ने कहा, ‘‘फिरोजाबाद के कांच उद्योग के श्रमिकों पर 2022 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि 35 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी आंखों से संबंधित दिक्कतों से पीड़ित हैं, जबकि 15 प्रतिशत ने आंखों में लगातार सूखापन का अनुभव किया है, जिसमें लालिमा और आंखों जलन होना शामिल है।’’

संजना को एहसास हुआ कि समस्या सिर्फ चिकित्सीय नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और व्यवस्थागत भी है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने दोस्तों और पेशेवरों से इस मुद्दे पर चर्चा की और ‘दृष्टि’ नाम से एक एनजीओ शुरू करने का फैसला किया।’’

वर्तमान में ‘दृष्टि’ अपोलो अस्पताल जैसी शीर्ष स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर औद्योगिक श्रमिकों और झुग्गियों में रहने वाले गरीब परिवारों के बीच निःशुल्क नेत्र जांच शिविर आयोजित करती है।

इन शिविरों में न केवल उन्हें निःशुल्क परामर्श मिलता है, बल्कि उन्हें दवाइयां, ‘आई ड्रॉप’ और चश्मे भी मुफ्त उपलब्ध कराए जाते हैं।

भाषा शफीक धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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