नई दिल्ली: गांधी के अहिंसा सिद्धांतों, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के दृष्टिकोण पर बनाएं हस्तलिखित नोट्स और कक्षाओं को रखें स्वच्छ — मद्रास हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह तमिलनाडु के एक स्कूल में दंगा करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के चार आरोपियों को यही करने का आदेश दिया था.
29 सितंबर को आरोपी को अग्रिम ज़मानत देते हुए, न्यायमूर्ति आर.एम.टी. टीका रमन ने याचिकाकर्ताओं को “ब्लैक बोर्ड, टेबल, बेंच और फर्श सहित कक्षाओं (प्रत्येक व्यक्ति के लिए कम से कम 4 क्लास रूम) को एक हफ्ते तक साफ करने और रखने का आदेश दिया.
उन्हें “महात्मा गांधी के अंशों का उल्लंघन न करने, पूर्व मुख्यमंत्री श्री के. कामराज द्वारा प्रचारित शैक्षिक योजनाओं और डॉ. अब्दुल कलाम के सपने देखने के दृष्टिकोण पर हस्तलिखित (चार पेज से कम नहीं) नोट्स तैयार करने के लिए स्कूल की लाइब्रेरी और ई-लाइब्रेरी में समय बिताने को भी कहा.”
गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं — सेल्वा मुथुकुमार, जी. ग्रेटविन पी. रेयेन, मुथुपट्टन और पी. राजा शंकर — पर अगस्त में तमिलनाडु के यरकौड के एक स्कूल में विवाद को लेकर दंगा करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित प्रावधानों का आरोप लगाया गया था. वे मामले में 13 संदिग्धों के समूह का हिस्सा थे.
अपने आदेश में मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को अपने नोट्स स्कूल के प्रिंसिपल को सौंपने होंगे “स्कूल के प्रिंसिपल को एक साल के लिए स्कूल की वेबसाइट पर उक्त लेखों को होस्ट करने के निर्देश के साथ”.
इसमें आगे कहा गया कि याचिकाकर्ताओं को “गूगल से कट-कॉपी-पेस्ट नहीं करना है” और 10 अक्टूबर से पहले स्कूल के खाते में दो हज़ार रुपये की राशि जमा करने का भी आदेश दिया.
स्कूल प्रिंसिपल को इन शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट कोर्ट को देने को कहा गया है.
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एक गाने को लेकर विवाद
अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना छह अगस्त को यरकौड के मोंटफोर्ट एंग्लो इंडियन हायर सेकेंडरी स्कूल में एक रिट्रीट समारोह के दौरान घटित हुई थी. अदालत का आदेश कक्षा 10 और 12 के छात्रों के बीच इस बात को लेकर “प्रतिद्वंद्विता” की बात करता है कि किसका गाना पहले बजाया जाए.
आदेश में कहा गया, “उक्त घटना में धक्का-मुक्की हुई थी. 12वीं कक्षा के छात्रों ने 10वीं कक्षा के हॉस्टल एरिया में प्रवेश किया और झगड़ा किया. इसके बाद स्कूल अधिकारियों ने झड़प में शामिल छात्रों के माता-पिता से उन्हें घर वापस ले जाने के लिए कहा.”
आदेश के अनुसार, एक दिन बाद, लगभग 9:25 बजे, प्रतिशोध में आरोपी, “बिना अनुमति प्राप्त किए स्कूल में घुस गए और चौकीदार के साथ मारपीट की और चल रही कक्षा के दौरान उसमें प्रवेश किया”.
आदेश में कहा गया, “छात्रों और शिक्षकों को चोटें आईं और स्कूल की संपत्ति को नुकसान पहुंचा.” अदालत के आदेश में उद्धृत अभियोजन पक्ष की दलील के अनुसार, 13 आरोपियों में से दो घायल छात्रों के चचेरे भाई हैं, और अन्य उसके दोस्त हैं “जिन पर आरोप है कि उन्होंने स्कूल कार्यालय में प्रवेश किया और उसे नुकसान पहुंचाया और अश्लील शब्द बोले और वहां छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार किया.”
सभी 13 पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (दंगा), 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस), 447 (आपराधिक अतिक्रमण), 294 (बी) (अश्लील कृत्य और गाने), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 324 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों द्वारा चोट पहुंचाना) के साथ-साथ तमिलनाडु सार्वजनिक संपत्ति (क्षति और हानि की रोकथाम) अधिनियम 1992 की धारा 3 (संपत्ति के संबंध में शरारत करने की सजा) के तहत आरोप लगाए गए थे.
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इनमें से कोई आरोपी स्कूल का छात्र था या नहीं.
‘ऑनलाइन शिक्षा विफल है’
आदेश में कोर्ट ने स्कूल को “व्यक्तित्व गुणों के परिवर्तन और प्रेम और अनुशासन के माध्यम से सुधार” के लिए एक स्थान बताया.
इसमें कहा गया, “शिक्षा ज्ञान प्राप्त करने का एक मंच है, क्योंकि ज्ञान ही शक्ति है. अदालत ने “वर्दी” की अवधारणा के बारे में भी बात की और कैसे तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के. कामराज ने “शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाया और अद्वितीय शैक्षिक सेवाएं प्रदान कीं”.
आदेश में कहा गया है, “यह मत भूलिए कि महान नेता के पास पारिवारिक परिस्थितियों के कारण कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी. इसमें कहा गया है: ऐसा प्रतीत होता है कि ‘ऑनलाइन शिक्षा’ ‘मूल्य आधारित शिक्षा’ को विकसित करने में सभी मोर्चों पर विफल रही है, जो मानव विकास के लिए एक पहचान है.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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