नई दिल्लीः सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) ऐक्ट, 2019 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को स्थगित कर दिया. इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी.
चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट सीएए को चुनौती देने वाले करीब 220 याचिकाओं की सुनवाई कर रहे थे. सीएए की सुनवाई से संबंधित याचिकाएं पहली बार सुप्रीम कोर्ट में 18 दिसंबर, 2019 दायर की गई थीं.
सीएए को 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था, इसके बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे. सीएए 10 जनवरी, 2020 से प्रभावी हुआ था. साल 2020 में केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ एक सूट फाइल किया था और इसी के साथ वह ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया था.
इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में आ गए हैं उन्हें नागरिकता दिए जाने की प्रक्रिया तो तेज किया जाएगा.
शीर्ष अदालत ने इससे पहले केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था और बिना केंद्र सरकार को सुने इस पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी करने से मना कर दिया था.
मार्च 2020 में केंद्र ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने शपथपत्र में कहा था कि सीएए ऐक्ट किसी भी भारतीय नागरिक के वैधानिक, लोकतांत्रिक और सेक्युलर अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है.
कानून को वैधानिक बताते हुए कहा था कि सीएए किसी के भी मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है और इसके किसी के संवैधानिक अधिकारों को उल्लंघन करने का सवाल ही नहीं उठता.
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