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Thursday, 19 December, 2024
होमदेशइलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में अतिरिक्त 15-दिवसीय बिक्री विंडो को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा SC

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में अतिरिक्त 15-दिवसीय बिक्री विंडो को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा SC

कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से दायर याचिका में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को चुनौती दी गई है, जो राजनीतिक दलों को बेनामी फंडिंग की अनुमति देती है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित एक हालिया अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है. चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दल को गुमनाम धन प्राप्त करने की अनुमति देता है.

याचिका का जिक्र वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप जॉर्ज चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने किया और कहा कि अधिसूचना पूरी तरह से अवैध है.

भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि वह मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी.

कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से दायर याचिका में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को चुनौती दी गई है, जो राजनीतिक दलों को बेनामी फंडिंग की अनुमति देती है.

इलेक्टोरल बॉन्ड प्रॉमिसरी नोट या बियरर बॉन्ड की प्रकृति का एक साधन है जिसे किसी भी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या व्यक्तियों के संघ द्वारा खरीदा जा सकता है, बशर्ते वह व्यक्ति या निकाय भारत का नागरिक हो या भारत में निगमित या स्थापित हो. बांड खास तौर से राजनीतिक दलों को धन के योगदान के उद्देश्य से जारी किए जाते हैं.

वित्त मंत्रालय ने 7 नवंबर को ‘विधानसभा के साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आम चुनावी वर्ष’ के दौरान उनकी बिक्री के लिए ’15 दिनों की अतिरिक्त अवधि’ देने के लिए संशोधन की एक अधिसूचना जारी की थी.

अधिसूचना में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के आम चुनावों के वर्ष में पंद्रह दिनों की अतिरिक्त अवधि निर्दिष्ट की जाएगी.’

सरकार ने 2018 में चुनावी बांड योजना को अधिसूचित किया. प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बांड एक व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित या स्थापित है.

बयान में यह भी कहा गया है कि एक व्यक्ति चुनावी बांड खरीद सकता है, या तो अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से.

इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट करने के बाद बांड आमतौर पर किसी भी व्यक्ति द्वारा जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में दस दिनों की अवधि में खरीद सकता है. मूल योजना में लोकसभा चुनावों के दौरान सरकार द्वारा निर्दिष्ट तीस दिनों की अतिरिक्त अवधि के लिए प्रावधान किया गया था, जबकि संशोधन में और 15 दिन जोड़े गए हैं.

वित्त अधिनियम 2017 और वित्त अधिनियम 2016 के माध्यम से विभिन्न क़ानूनों में किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट के सामने कई याचिकाएं पहले से ही लंबित हैं.


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