लखनऊ, एक मई (भाषा) उत्तर प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग ने लखनऊ पुलिस को राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के सहयोगी संगठन लोहिया वाहिनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए पत्र लिखा है।
यह मामला पार्टी कार्यालय के बाहर लगाए गए एक विवादास्पद पोस्टर में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के आधे-आधे चेहरे को मिलाकर एक चेहरा बनाए जाने को लेकर है।
इस पोस्टर को लेकर खासा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस पोस्टर को आंबेडकर का अपमान करार देते हुए उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन किया।
हालांकि सपा ने खुद को इस पोस्टर विवाद से अलग कर लिया है।
राज्य अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्होंने विवादास्पद पोस्टर का स्वत: संज्ञान लिया है।
उन्होंने कहा, ‘सपा की लोहिया शाखा ने अपने पोस्टर में बाबा साहब आंबेडकर का आधा चेहरा अखिलेश यादव जी के चेहरे से मिलाकर उनका अपमान किया है। मैं इसकी निंदा करता हूं। हमने बुधवार को लखनऊ पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर इस संबंध में एससी/एसटी अधिनियम के तहत दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करने तथा पांच मई को आयोग को घटनाक्रम से अवगत कराने को कहा है।’
रावत ने ‘वोट बैंक के लिए’ आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करने के लिए सपा की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘बाबा साहब की तुलना किसी व्यक्ति से करना किसी के लिए भी अकल्पनीय है।’
रावत ने बताया कि किस तरह भाजपा और उसकी सरकार ने 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के बाद से आंबेडकर की सभी मूर्तियों और स्मारकों की साफ-सफाई करने का अभियान चलाया है।
समाजवादी पार्टी ने राज्य मुख्यालय के बाहर बुधवार को एक पोस्टर लगाया गया था जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव और आंबेडकर के आधे-आधे चेहरे को मिलाकर एक चेहरा बनाकर प्रदर्शित किया गया था।
इस पर विवाद पैदा होने के बाद सपा ने बृहस्पतिवार को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को दल के किसी भी नेता को किसी भी ‘महापुरुष’ से नहीं जोड़ने की ताकीद की है।
भाषा मनीष सलीम मनीषा नरेश
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