नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई 4 नवंबर के लिए निर्धारित की.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि चुनाव आयोग को हटाए गए मतदाताओं और नए जोड़े गए मतदाताओं की अलग-अलग सूची प्रकाशित करनी चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह भी नोट किया कि चुनाव आयोग अपने दायित्व से भली-भांति परिचित है और हाल ही में संपन्न SIR के पूरा होने के बाद मतदाता डेटा प्रकाशित करने के लिए उत्तरदायी है.
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “चुनाव अब निकट हैं और इस अदालत के लिए सूची में बदलाव करना मुश्किल है, लेकिन कम से कम जो लोग हटाए गए और जो जोड़े गए हैं, उनकी सूची प्रकाशित होनी चाहिए.”
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमलया बागची की पीठ ने इस चिंता को ध्यान में रखते हुए कहा कि चुनाव आयोग अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करने के अपने दायित्व से भली-भांति परिचित है, जिसमें SIR प्रक्रिया के दौरान किए गए बदलाव भी शामिल हैं.
पीठ ने कहा, “वे (ECI) अपने दायित्व को जानते हैं और जोड़-घटाव करने के बाद इसे प्रकाशित करने के लिए बाध्य हैं. मामला यहीं समाप्त नहीं होता,” इस प्रकार अदालत ने संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर निगरानी बनाए रखेगी.
उच्च स्तरीय अधिवक्ता राकेश द्विवेदी, जो चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने कहा कि पहले चरण के चुनावों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है और इसी तिथि तक सूची को स्थिर किया जाएगा.
दूसरे चरण के लिए 20 अक्टूबर नामांकन की अंतिम तिथि है, इसलिए तब तक समय उपलब्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि आयोग को हटाए गए मतदाताओं के खिलाफ कोई अपील नहीं मिली है, जबकि शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह यह आदेश दिया था कि मतदाताओं को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाए.
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे—6 और 11 नवंबर को—और मतगणना 14 नवंबर को होगी.