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Friday, 20 December, 2024
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SC का NCPCR को नोटिस- 8 राज्यों के बालगृहों के बच्चों को उनके परिवारों सौंपने के निर्देश पर मांगा जवाब

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने तमिलनाडु, आंध्र, तेलंगाना, मिजोरम, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और मेघालय के जिलाधिकारियों-कलेक्टर को निर्देश दिया था कि कोविड-19 महामारी में इन बच्चों को उनके परिवार को सौंपा जाए.

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से उस पत्र पर जवाब तलब किया जिसमें आठ राज्यों को बाल गृहों में रह रहे बच्चों को उनके परिवारों को सौंपना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. देश के बाल गृहों में रह रहे 70 प्रतिशत बच्चे इन्हीं आठ राज्यों के हैं.

एनसीपीसीआर ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और मेघालय के जिलाधिकारियों-कलेक्टर को निर्देश दिया था कि कोविड-19 महामारी को देखते हुये इन बच्चों को उनके परिवार को सौंपा जाए.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने पत्र पर संज्ञान लेते हुए एनसीपीसीआर को नोटिस जारी किया और मामले को 24 अक्टूबर को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को नोटिस जारी किया जाये. एनसीपीसीआर को निर्देश दिया जाता है कि वह न्याय मित्र के आठ अक्ट्रबर, 2020 के परिपत्र पर अपना जवाब दे.’

इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका में वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने न्यायालय के संज्ञान में पत्र लाते हुए कहा कि इन राज्यों में कोविड-19 महामारी अब भी है और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को ऐसी स्थिति में यह पत्र जारी नहीं करना चाहिए था.

उन्होंने बाल गृहों में रह रहे बच्चों को वापस भेजने तथा उनके माता पिता को सौंपने के निर्देश पर चिंता व्यक्त की और कहा कि बच्चों को अभिभावकों के सुपुर्द करने का अधिकार किशोर न्याय कानून, 2015 की धारा 40(3) के प्रावधान के अनुरूप, माता पिता की बच्चे की देखभाल करने की स्थिति के निर्धारण के बाद ही आ सकता है.

शीर्ष अदालत ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह इस संबंध में आवश्यक निर्देश प्राप्त करें.

पीठ ने कहा, ‘अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को निर्देश दिया जाता है कि वे निर्देश प्राप्त करें कि क्या बाल गृहों में रहने वाले बच्चों को वापस भेजने और परिवार को सौंपने के बारे में इस तरह का सामान्य निर्देश दिया जा सकता है?’

शीर्ष अदालत देश में कोविड-19 महामारी के बीच बाल गृहों, किशोर सुधार गृह आदि में सुरक्षित रखे गए बच्चों की स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है.

इससे पहले न्यायालय ने राज्य सरकारों और विभिन्न निकायों को इन बच्चों की सुरक्षा के लिए निर्देश जारी किए थे.

शीर्ष अदालत ने 21 जुलाई को केंद्र सरकार को बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) को चलाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मुहैया कराई गई राशि की विस्तृत जानकारी हलफनामा के जरिये देने को कहा था.

न्यायालय ने विभिन्न राज्यों में बच्चों की देखभाल और उनके कल्याण के लिये अपनाई गयी विभिन्न प्रैक्टिस के बारे में भी एक परिपत्र तैयार कर, पेश करने का निर्देश अग्रवाल को दिया था.

एनसीपीसीआर ने 24 सितंबर को जारी इस पत्र में कहा था कि प्रत्येक बच्चे को पारिवारिक वातावरण में बड़े होने का अधिकार है. आयोग ने कहा था कि इन संस्थाओं में रहने वाले बच्चों की हिफाजत को लेकर व्यक्त चिंता के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है.

इस समय देश में 2.56 लाख बच्चे बाल गृहों में रह रहे हैं जिनमें से 1.84 लाख बच्चे (करीब 72 प्रतिशत) इन आठ राज्यों के हैं.

एनसीपीसीआर ने इन राज्यों के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे सुनिश्चित करें कि 100 दिनों के भीतर ये बच्चे अपने परिवारों के पास लौट जाएं और जिन बच्चों को परिवार के पास नहीं भेजा जा सकता, उन्हें गोद लेने के लिए या लालन-पालन केंद्रों को भेजा जाए.

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