नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने सेना के पूर्व सैनिक और विशिष्ट सेवा पदक विजेता सेवानिवृत्त मेजर जनरल एस जी वोम्बटकेरे द्वारा बीएनएस की धारा 152 (राजद्रोह) की वैधता के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने इस याचिका को एक लंबित याचिका के साथ जोड़ने का आदेश दिया, जिसमें पूर्ववर्ती भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह) को चुनौती दी गई है, जिसे भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ने प्रतिस्थापित कर दिया है।
बीएनएस की धारा 152 ‘‘भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य’’ से संबंधित है।
याचिका में इस प्रावधान को राजद्रोह कानून का ‘‘नया संस्करण’’ बताया गया है, जिसे पहले जुलाई 2022 में विधायी समीक्षा लंबित रहने तक उच्चतम न्यायालय द्वारा स्थगित रखा गया था।
जुलाई 2022 में पूर्व प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आईपीसी के तहत राजद्रोह के प्रावधान पर रोक लगा दी थी।
याचिका में कहा गया कि बीएनएस का यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है।
भाषा शफीक रंजन
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