नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लांड्रिंग के एक मामले में महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता नवाब मलिक को शुक्रवार को जमानत देने से इनकार कर दिया. वहीं स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की न्यायिक हिरासत 6 मई तक के लिए बढ़ा दी है.
Nawab Mailk money laundering case | Special PMLA court in Mumbai has also asked the Registry of the Court to expedite the process of verification of prosecution complaint (chargesheet) so that process of cognisance and serving a copy of the complaint to the accused.
— ANI (@ANI) April 22, 2022
शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए नवाब मलिक को जमानत देने से इनकार कर दिया कि जांच अभी शुरुआती दौर में है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह 15 मार्च के बंबई हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी.
पीठ ने कहा कि हालांकि नवाब मलिक निचली अदालत में याचिका दायर कर कानून के तहत उपलब्ध उपाय का लाभ उठा सकते हैं.
नवाब मलिक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि मलिक को 1999 में हुई घटना के लिए 2022 में गिरफ्तार किया गया है.
सिब्बल ने कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कोई मामला नहीं है क्योंकि कोई विधेय अपराध नहीं है.
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी.
गौरतलब है कि बंबई उच्च न्यायालय ने 15 मार्च को धनशोधन के एक मामले में नवाब मलिक को अंतरिम जमानत देने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एनसीपी नेता नवाब मलिक को फरवरी में पीएमएलए के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था. जिसके बाद मलिक ने हाई कोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड के अवैध होने का दावा किया गया था.
ईडी ने मलिक को गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों से कथित रूप से जुड़े एक संपत्ति सौदे में गिरफ्तार किया था.
केंद्रीय एजेंसी ने नवाब मलिक पर मुंबई के कुर्ला इलाके में एक संपत्ति हड़पने के लिए कथित आपराधिक साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया है, जिसका वर्तमान में बाजार मूल्य 300 करोड़ रुपये है और यह मुनीरा प्लंबर नामक एक महिला के अधिकार में है.
मलिक ने हाई कोर्ट के समक्ष तर्क दिया था कि उसने तीन दशक पहले एक वास्तविक लेनदेन में संपत्ति खरीदी थी, और मुनीरा ने अब उस लेनदेन के बारे में अपना विचार बदल लिया है.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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