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सोमवार, 9 जून, 2025
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शिक्षा निधि को लेकर केंद्र के खिलाफ तमिलनाडु की याचिका पर न्यायालय का तत्काल सुनवाई से इनकार

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नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 2024 से 2025 के लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत केंद्रीय शिक्षा निधि की 2,151 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को कथित रूप से रोके रखने के लिए केंद्र के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने इस तथ्य पर गौर किया कि राज्य सरकार ने मई में याचिका दायर कर 2024 और इस साल भी केंद्रीय कोष रोके रखने का आरोप लगाया था।

पीठ ने कहा, ‘‘इसमें कोई जल्दबाजी नहीं है और इसे ‘आंशिक कार्य दिवसों’ (ग्रीष्म अवकाश का नया नाम) के बाद उठाया जा सकता है।’’

मई में तमिलनाडु सरकार ने कथित तौर पर कोष को रोके रखने के लिए केंद्र के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के खिलाफ दायर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व वाली सरकार की याचिका में संविधान के अनुच्छेद 131 का हवाला दिया गया है, जो केंद्र और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच अथवा एक या एक से अधिक राज्यों के बीच याचिकाओं की सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत को विशेष अधिकार प्रदान करता है।

राज्य सरकार ने आरोप लगाया कि केंद्र ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और संबंधित ‘पीएम श्री’ स्कूल योजना को लागू करने के लिए बाध्य करने का प्रयास किया, जिस पर और विशेष रूप से विवादास्पद तीन-भाषा फॉर्मूले पर उसने कड़ी आपत्ति जताई।

इसलिए शीर्ष अदालत से यह घोषित करने का आग्रह किया गया कि एनईपी और पीएम श्री’ स्कूल योजना वादी राज्य पर तब तक बाध्यकारी नहीं हैं जब तक कि वादी और प्रतिवादी के बीच तमिलनाडु के भीतर उनके कार्यान्वयन के लिए औपचारिक समझौता नहीं हो जाता।

याचिका में समग्र शिक्षा योजना के तहत धन प्राप्त करने के लिए तमिलनाडु के अधिकार को एनईपी, 2020 के कार्यान्वयन और राज्य के भीतर ‘पीएम श्री’ स्कूल योजना से जोड़ने की केंद्र की कार्रवाई को असंवैधानिक, अवैध, मनमानी, अनुचित घोषित करने का अनुरोध किया गया है।

तमिलनाडु ने शीर्ष अदालत से 23 फरवरी, 2024 और सात मार्च, 2024 के केंद्र के पत्रों को अवैध, अमान्य घोषित करने और राज्य सरकार पर बाध्यकारी नहीं होने का भी आग्रह किया है।

याचिका में केंद्र को ‘‘अदालत द्वारा तय की जाने वाली समय सीमा के भीतर 2,291,30,24,769 रुपये’’ का भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। साथ ही ‘‘2,151,59,61,000 रुपये की मूल राशि पर एक मई 2025 से न्यायिक आदेश की प्राप्ति तक छह प्रतिशत प्रति की दर से ब्याज’’ देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

विवाद इस योजना के तहत केंद्रीय निधि जारी नहीं किए जाने से उपजा है, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने के उद्देश्य से स्कूली शिक्षा के लिए एक प्रमुख केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है।

शिक्षा मंत्रालय के परियोजना अनुमोदन बोर्ड (पीएबी) ने वित्त वर्ष 2024 और 2025 के लिए तमिलनाडु के लिए कुल 3,585.99 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी थी, जिसमें से केंद्र सरकार की प्रतिबद्ध 60 प्रतिशत हिस्सेदारी यानि 2,151.59 करोड़ रुपये थी।

याचिका में कहा गया है कि इस मंजूरी के बावजूद केंद्र द्वारा अब तक कोई किस्त वितरित नहीं की गई है।

भाषा सुरभि नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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