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मंगलवार, 29 अप्रैल, 2025
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न्यायालय ने धन शोधन मामले में प्रीति चंद्रा को मिली जमानत में हस्तक्षेप से इंकार किया

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नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को धन शोधन मामले में यूनीटेक प्रवर्तक संजय चंद्रा की पत्नी प्रीति चंद्रा को उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने संबंधी आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस बात पर गौर किया कि प्रीति चंद्रा 620 से अधिक दिनों से हिरासत में हैं।

इस पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र भी शामिल थे।

पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए प्रीति को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से बाहर नहीं जाएंगी।

उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि प्रीति हर दो सप्ताह में एक बार जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होंगी और वह विशेष न्यायालय की विशिष्ट अनुमति के बिना किसी भी संपत्ति का निपटान नहीं करेंगी।

पीठ ने कहा, ‘‘विवेकाधीन शक्ति के तहत, उच्च न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि प्रतिवादी (प्रीति चंद्रा) को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। हम इस आदेश में संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं।’’

उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर दिया है जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा 14 जून को दिए गए आदेश को चुनौती दी गयी थी।

उच्चतम न्यायालय ने 16 जून को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी और जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर प्रीति चंद्रा को नोटिस जारी किया था।

जमानत देते समय उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि उच्च न्यायालय ने प्रीति चंद्रा के भारत छोड़ने पर रोक लगाई थी।

प्रीति चंद्रा ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों में से एक का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था, ‘‘आवेदक (प्रीति चंद्रा) को रिहाई की तारीख से एक सप्ताह की अवधि के भीतर डोमिनिकन गणराज्य की अपनी नागरिकता छोड़नी होगी और इसके दस्तावेजी सबूत निचली अदालत के समक्ष पेश किए जाएं।’’

ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा कि इस शर्त को चुनौती नहीं दी गई है और वह इसमें संशोधन की मांग नहीं कर सकती ।

सिब्बल ने कहा कि अगर वह (प्रीति चंद्रा) अभी नागरिकता छोड़ दें और उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिलती तो वह किसी भी देश की नागरिक नहीं रह जाएंगी।

उन्होंने तर्क दिया कि प्रीति चंद्रा डोमिनिकन गणराज्य की अपनी नागरिकता छोड़ने के लिए तैयार हैं लेकिन भारत में अधिकारियों को भारतीय नागरिकता के लिए उनके आवेदन पर भी कार्रवाई करनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेंगी और आवेदन पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है।

इसने डोमिनिकन गणराज्य की नागरिकता छोड़ने के उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन के लिए समय दो सप्ताह बढ़ा दिया।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘आपको डोमिनिकन गणराज्य की नागरिकता छोड़नी होगी, क्योंकि मुझे यह भी पता है कि केमैन आयलैंड्स में कितना पैसा विदेश गया है, बाकी चीजों का भी पता है। सौभाग्य से, हमारे आदेशों के कारण, यह सब सामने आया।’’

पच्चीस जुलाई को सुनवाई के दौरान ईडी ने प्रीति चंद्रा को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का विरोध करते हुए शीर्ष अदालत को बताया था कि इस कथित घोटाले में मकान खरीदारों के 7,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है।

ईडी ने दावा किया था कि यह मामला बड़े घोटाले से संबंधित है और प्रीति चंद्रा ने इसमें “महत्वपूर्ण भूमिका” निभाई थी।

उच्च न्यायालय ने 14 जून को प्रीति चंद्रा को जमानत दी थी। हालांकि अदालत ने कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय ने इस आदेश को चुनौती देने के लिए समय मांगा है, इसलिए 16 जून तक यह आदेश प्रभावी नहीं होगा।

ईडी ने यूनिटेक समूह और उसके प्रर्वतकों के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मौजूदा मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी के मालिकों- संजय चंद्रा और अजय चंद्रा ने अवैध रूप से साइप्रस और केमैन आयलैंड्स में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक धन पहुंचाया था।

प्रीति चंद्रा ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि वह एक फैशन डिजाइनर और समाजसेवी हैं। प्रीति चंद्रा ने कहा था कि वह चार अक्टूबर, 2021 से हिरासत में हैं और अपराध की किसी भी कमाई से उनका कोई संबंध नहीं है।

मकान खरीदारों ने यूनिटेक समूह और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इन्हीं प्राथमिकियों के सिलसिले में धनशोधन का मामला शुरू हुआ था। निचली अदालत में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, प्रीति चंद्रा के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने अपनी कंपनी प्रकौसली इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड में कुल 107 करोड़ रुपये अपराध से हुई आय के रूप में प्राप्त किए, लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि पैसे का उपयोग कैसे किया गया।

भाषा शफीक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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