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Tuesday, 5 November, 2024
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नहीं मिली पी चिदंबरम को राहत, कल होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका में खामियां थीं. जब तक इन्हें दूर नहीं किया जाता तब तक इसकी लिस्टिंग नहीं होगी. लिहाजा इस पर आज सुनवाई नहीं हो सकी.

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नई दिल्ली : आईएनएक्स मामले में अग्रिम जमानत याचिका रद्द करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की याचिका सुप्रीम कोर्ट की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं की गई. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की अगुआई में कई वकील बुधवार सुबह से उचित पीठ में मामले की सुनवाई के लिए प्रयासरत थे.

सिब्बल ने न्यायमूर्ति एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा, ‘हमारे पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए हम दोबारा यहां आए हैं.’ न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि याचिका में कुछ खामियां पाई गई हैं.

सिब्बल ने कहा कि खामियां दूर कर दी गई हैं और उन्होंने मामले को अदालत के समक्ष मौखिक रूप से पेश करने का आग्रह किया और मामले को यथासंभव जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया.

सिब्बल ने कहा, ‘मेरा मुवक्किल कहीं नहीं भाग रहा है और उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है. वह यह लिखकर देने को तैयार हैं कि वह कहीं नहीं जा रहे हैं.’

न्यायमूर्ति रमना ने रजिस्ट्रार को बुलाया, और रजिस्ट्रार ने अदालत को बताया कि याचिका की खामियां दूर हो गई हैं और सत्यापन के बाद याचिका सूचीबद्ध कर दी जाएगी.

याचिका पर सुनवाई के लिए सिब्बल के जोर देने पर न्यायमूर्ति रमना ने इससे इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध किए बिना मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती.

इससे पहले न्यायमूर्ति रमना की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए मामले को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के पास भेज दिया था.

महाधिवक्ता तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा कि यह ‘धन शोधन’ का बड़ा मामला है.

इस पर चिदंबरम के वकील तथा वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि पूर्व मंत्री के आवास पर रात दो बजे एक नोटिस चस्पा किया गया था. सिब्बल ने इस पर कहा कि मंगलवार को उन्होंने प्रधान न्यायाधीश से संपर्क किया था, लेकिन तत्काल सुनवाई नहीं हो सकी.

सिब्बल ने अदालत को यह भी बताया कि मामले से जुड़े दस्तावेज मामले की तत्काल सुनवाई के लिए तैयार हैं.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) यह जांच कर रही हैं कि साल 2007 में जब पी. चिदंबरम वित्तमंत्री थे तो उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी किस तरह मिली थी.

आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने के बदले रुपये लेने के आरोप में सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम को 28 फरवरी, 2018 को गिरफ्तार कर लिया था. कार्ति बाद में जमानत पर रिहा हो गए थे.

सीबीआई फिर पहुंची है सुप्रीम कोर्ट

केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में चिदंबरम की याचिका के खिलाफ विरोध पत्र दायर किया है. बता दें कि आईएनएक्स मीडिया से जुड़ा मामला हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद पूर्व वित्तमंत्री पर जब सीबीआई और ईडी के शिकंजा कसा तो वह मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.

सूत्रों के अनुसार दोनों एजेंसियों ने दिल्ली के अलग-अलग में हिस्सों में तलाशी के लिए टीमें भेजीं लेकिन वह नहीं मिले. मंगलवार शाम को जब वह जोर बाग के अपने आवास पर नहीं मिले तो लुकआउट नोटिस की तैयारी की गई.

12 बजे तक टाली थी सुनवाई, सीजेआई रंजन गोगोई के पास पहुंचा मामला

इससे पहले आईएनएक्स मीडिया में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार में वित्तमंत्री रहे पी. चिदंबरम पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई को 12 बजे तक के लिए टाल दिया गया था. अब मामले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई देखेंगे जो कि पहले से ही अयोध्या मामले की सुनवाई में व्यस्त हैं. इससे पहले मामले को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में 10.30 बजे सुनवाई का समय तय किया गया था. कांग्रेस ने पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित से बताया है.

न्यायमूर्ति एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बुधवार को आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए मामले को तत्काल सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के पास भेजा था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि धन शोधन का यह मामला बहुत पुराना है.

इस पर चिदंबरम के वकील तथा वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया था कि पूर्व मंत्री के आवास पर रात 2 बजे एक नोटिस लगाया गया था. इस पर पीठ ने कहा, ‘मैं तत्काल सुनवाई के लिए यह फाइल मुख्य न्यायाधीश के पास भेज रहा हूं.’

सिब्बल ने इस पर कहा कि मंगलवार को उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से संपर्क किया था लेकिन तत्काल सुनवाई नहीं हो सकी. सिब्बल ने अदालत को यह भी बताया कि मामले से जुड़े दस्तावेज मामले की तत्काल सुनवाई के लिए तैयार हैं.

तीन बार घर पर खोजने पहुंची थी सीबीआई, नहीं मिल रहे पी. चिदंबरम

वहीं सीबीआई की टीम चिदंबरम के घर तीन बार गिरफ्तार करने पहुंची लेकिन वह नहीं मिले. बाद में मामले की तत्काल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर टीम ने गिरफ्तारी को टाल दिया था.

उच्च न्यायालय के फैसले के बाद चिदंबरम के पास गिरफ्तारी से बचने के लिए अब सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा ही बचा है. चूंकि सर्वोच्च न्यायालय चिदंबरम की याचिका पर बुधवार सुबह सुनवाई कर सकती है, लिहाजा जांच एजेंसियां भी अब सुबह सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने तक इंतजार करेंगी और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए रातभर छापे नहीं मारेंगी.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, ‘मोदी सरकार ईडी, सीबीआई और रीढ़हीन मीडिया के एक वर्ग का इस्तेमाल चिदंबरम के चरित्र हनन के लिए कर रही है. मै इस शर्मनाक तरीके से शक्ति के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करता हूं.

चिदंबरम के पक्ष में खड़ी होते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार पर चिदंबरम के सच बोलने के कारण उनके पीछे पड़ने का आरोप लगाया है.

मोदी सरकार ईडी, सीबीआई और बिना रीढ़ वाले मीडिया के एक वर्ग का इस्तेमाल चिदंबरम के चरित्र हनन के लिए कर रही है. मैं शक्ति के इस अपमानजनक इस्तेमाल की कड़ी निंदा करता हूं.

प्रियंका ने ट्वीट किया है, ‘बहुत योग्य और सम्मानित राज्यसभा सदस्य पी. चिदंबरम जी ने दशकों देश की सेवा की है वित्तमंत्री और गृह मंत्री के रूप में उनकी सेवा भी शामिल है. वह बिना हिचके सत्ता की हकीकत सामने लाते हैं और इस सरकार की असफलताएं बताते रहते हैं, लेकिन कायर हैं कि सच्चाई से असहज हो जाते हैं, इसलिए शर्मनाक तरीके से उनके पीछे पड़ा जा रहा है. हम उनके साथ खड़े हैं और सच के लिए लड़ते रहेंगे, नतीजे चाहे जो भी हों’

वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि यह एकदम से गलत है. सभी लोग सुप्रीम कोर्ट जाते हैं. हम भी मामले को लेकर गये हैं.

दरअसल, सीबीआई आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम की भूमिका की जांच कर रही है. जांच एजेंसी ने यह मामला 15 मई, 2017 को दर्ज किया गया था.

चिदंबरम पर आरोप है कि वित्तमंत्री रहने के दौरान उन्होंने 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को एफआईपीबी मंजूरी देने में अनियमितता बरती थी.

ईडी ने काले धन को सफेद बनाने (मनी लॉन्डरिंग) को लेकर उनके ऊपर 2018 में मामला दर्ज किया था.

(अनन्या भारद्वाज के इनपुट्स के साथ)

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