scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमदेशBBC डॉक्यूमेंट्री विवाद को लेकर SC का केंद्र को नोटिस, 3 हफ्ते के अंदर मांगी रिपोर्ट

BBC डॉक्यूमेंट्री विवाद को लेकर SC का केंद्र को नोटिस, 3 हफ्ते के अंदर मांगी रिपोर्ट

पीठ ने यह कहते हुए याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया कि वह सरकार को सुने बिना कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकती.

Text Size:

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को नोटिस जारी किया और 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को सेंसर करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर जवाब मांगा है.

जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्र सरकार से तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और इसे अप्रैल में सुनवाई के लिए टाल दिया. पीठ ने यह कहते हुए याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया कि वह सरकार को सुने बिना कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकती और अगली सुनवाई की तारीख पर सभी रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम प्रतिवादियों को सुनवाई की अगली तारीख पर मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश देते हैं.’

तृणमूल कांग्रेस सांसद (सांसद) महुआ मोइत्रा, वरिष्ठ पत्रकार एन राम और अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने पीठ को बताया कि आईटी नियम किसी इमरजेंसी ब्लॉकिंग को 48 घंटे के भीतर प्रकाशित करना अनिवार्य करते हैं.

सिंह ने कहा कि केंद्र ने गुप्त आदेश के आधार पर डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक किया और इस गुप्त आदेश के आधार पर विश्वविद्यालय डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.

जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘यह भी एक तथ्य है कि लोग उन वीडियो को एक्सेस कर रहे हैं.’

सिंह ने मामले के लिए एक शॉर्ट तारीख की मांग की, हालांकि पीठ ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.

शीर्ष अदालत ने डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर भी केंद्र को नोटिस जारी किया है.

अधिवक्ता शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया है कि वह बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के दोनों भाग I और II देखे और उसकी जांच करे और मांग की है कि उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो जो 2002 के गुजरात दंगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थे.

एन राम और अन्य द्वारा दायर याचिका में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ की ऑनलाइन पहुंच को डायरेक्ट और इन्डायरेक्ट तौर से रोके जाने वाले सभी आदेशों को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

अपनी दलील में वे डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के केंद्र के फैसले को ‘स्पष्ट रूप से मनमाना’ और ‘असंवैधानिक’ करार देते हैं.

याचिकाकर्ताओं ने डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले उनके ट्वीट्स को फिर से बहाल करने की मांग की, जिन्हें केंद्र के आदेशों के बाद ट्विटर द्वारा हटा दिया गया था.

याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दिए गए अधिकार में ‘सूचना पाने और प्रसारित करने का अधिकार’ भी शामिल है.

याचिका में कहा गया है कि भले ही डॉक्यूमेंट्री की सामग्री और उसके दर्शकों की संख्या/चर्चा को लेकर अरुचिकर हो, लेकिन इससे याचिकाकर्ताओं की अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने का कोई आधार नहीं बनता.

सूत्रों के अनुसार, 21 जनवरी को, केंद्र ने विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले कई YouTube वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे.

वहीं हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर कर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

जनहित याचिका में राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा भारत में बीबीसी के कर्मचारी पत्रकार सहित भारत विरोधी और भारत विरोधी सरकार रिपोर्टिंग/डॉक्यूमेंट्री फिल्मों/लघु फिल्मों के खिलाफ जांच शुरू करने और शीर्ष अदालत के समक्ष एक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.


यह भी पढ़ें: ‘रामचरितमानस या मनुस्मृति नहीं भारतीय संविधान’ है पिछड़ों का ग्रंथ, मायावती बोलीं- न करें अपमान


 

share & View comments