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गुरूवार, 1 मई, 2025
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न्यायालय ने आदेश में संशोधन किया, सिक्कम-नेपालियों को ‘विदेशी मूल’ के लोग बताने वाले संदर्भ को हटाया

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नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सिक्किम में कर छूट को लेकर 13 जनवरी के अपने फैसले से सिक्किम-नेपालियों को ‘‘विदेशी मूल के लोग’’ बताने वाले संदर्भ को बुधवार को अपने आदेश से हटा दिया।

शीर्ष अदालत द्वारा अपने फैसले में की गई टिप्पणी के बाद सिक्किम में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया था, वहीं सिक्किम-नेपाली समुदाय ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने सिक्किम और निजी पक्षों द्वारा टिप्पणी में संशोधन के अनुरोध वाली अर्जियों के साथ केंद्र की अर्जी पर सुनवाई करते हुए अपने फैसले को संशोधित किया।

शुरू में शीर्ष अदालत ‘‘नेपालियों की तरह सिक्किम में बसे विदेशी मूल के व्यक्तियों’’ के हिस्से को हटाने पर सहमत हुई, लेकिन केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से आग्रह किया कि पूरे वाक्य को हटा दिया जाए। पीठ तब ‘‘भूटिया लेप्चा और नेपाली की तरह सिक्किम में बसे विदेशी मूल के लोगों’’ वाले हिस्से को हटाने पर सहमत हुई।

पीठ ने कहा कि त्रुटि इसलिए हुई, क्योंकि मूल रिट याचिकाकर्ताओं ने याचिका में 25 से अधिक संशोधन किए, लेकिन इस तथ्य को अदालत के संज्ञान में नहीं लाया गया। मेहता ने अदालत से यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया कि निर्णय ने संविधान के अनुच्छेद 371एफ के पहलू को नहीं छुआ है, जो सिक्किम से जुड़े विशेष प्रावधानों से संबंधित है।

हालांकि, पीठ ने कहा कि इस तरह का स्पष्टीकरण अनावश्यक है, क्योंकि अनुच्छेद 371 एफ मामले का विषय नहीं था। अपने 13 जनवरी के फैसले में, शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘इसलिए सिक्किम के मूल निवासियों, अर्थात् भूटिया-लेप्चा और सिक्किम में बसे विदेशी मूल के व्यक्ति जैसे नेपाली या भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच कोई अंतर नहीं है, जो कई पीढ़ियों पहले सिक्किम में बस गए थे।’’

पीठ की ओर से न्यायमूर्ति नागरत्ना ने 13 जनवरी का फैसला लिखा था। शीर्ष अदालत ने 13 जनवरी को फैसला सुनाया था कि सिक्किम की महिला को आयकर अधिनियम के तहत दी गई छूट से केवल इसलिए बाहर रखा गया, क्योंकि उसने एक अप्रैल, 2008 के बाद एक गैर-सिक्किम व्यक्ति से शादी की, यह ‘‘भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक’’ है।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा था कि महिला कोई जागीर नहीं है और उसकी अपनी एक पहचान है। पीठ ने कहा था कि सिक्किम की महिला को इस तरह की छूट से बाहर करने का कोई औचित्य नहीं दिखाया गया है।

आयकर अधिनियम की धारा 10(26एएए) के तहत सिक्किम में या शेयर पर लाभांश या ब्याज के माध्यम से सिक्किम के व्यक्ति की आय को कर गणना के लिए कुल आय में शामिल नहीं किया जाता है।

भाषा आशीष सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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