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Sunday, 2 June, 2024
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न्यायालय ने उम्मीदवारों के एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की याचिका खारिज की

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नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उम्मीदवारों के एक साथ एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। इसने कहा कि यह निर्णय संसद को लेना है कि एक उम्मीदवार एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ सकता है, या नहीं।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि उम्मीदवार कई कारणों से अलग-अलग सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।

पीठ में न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला भी शामिल थे। पीठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33(7) को अवैध और संविधान के दायरे से बाहर घोषित करने का अनुरोध किया गया था।

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33(7) एक व्यक्ति को दो निर्वाचन क्षेत्रों से किसी एक आम चुनाव या कई उपचुनावों में या द्विवार्षिक चुनाव लड़ने की अनुमति देती है।

पीठ ने कहा, ‘‘उम्मीदवारों को एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति देना विधायी नीति का विषय है क्योंकि इस तरह का एक विकल्प देकर देश में राजनीतिक लोकतंत्र को आगे बढ़ाना अंतत: संसद की इच्छा पर निर्भर करता है।’’

उपाध्याय की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि यदि कोई प्रत्याशी दो सीट से चुनाव लड़ता है और दोनों पर उसकी जीत हो जाती है, तो उसे एक सीट छोड़नी होती है जिसके बाद उपचुनाव कराना जरूरी होता है और राजकोष पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

उन्होंने कहा कि 1996 में किए गए एक संशोधन से पहले, उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने के लिए सीट की संख्या की कोई सीमा नहीं थी। इस संशोधन में इस संख्या को दो तक सीमित कर दिया गया।

पीठ ने कहा कि यह निर्णय संसद को लेना है कि एक उम्मीदवार एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ सकता है, या नहीं।

इसने कहा, ‘जब आप दो सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो आप नहीं जानते कि आप कहां से चुने जाएंगे। इसमें गलत क्या है? यह चुनावी लोकतंत्र का हिस्सा है।’

पीठ ने कहा कि संसद निश्चित रूप से हस्तक्षेप कर सकती है, जैसा कि इसने 1996 में किया था, और कह सकती है कि वह इसे एक निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित कर रही है।

इसने कहा, ‘इसे देखने का एक और तरीका है। कोई राजनीतिक नेता कह सकता है कि मैं चुनाव लड़कर अपनी अखिल भारतीय छवि स्थापित करना चाहता हूं … जैसे उत्तर-पूर्व और उत्तर या दक्षिण से।’

न्यायालय ने कहा कि देश के राजनीतिक इतिहास में ऐसे उदाहरण हैं जो दर्शाते हैं कि ऐसे कद के नेता रहे हैं।

भाषा नेत्रपाल नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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