नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2023 में 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को प्रतिष्ठित आईआईटी में प्रवेश पाने के लिए ‘जेईई-एडवांस्ड’ 2025 में भाग लेने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह मामला नीतिगत क्षेत्र का है और अदालतों को शिक्षा के मामलों में हस्तक्षेप करने में धीमी गति से काम करना चाहिए।
यह याचिका 2023 में कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 18 छात्रों द्वारा दायर की गयी थी, जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में प्रवेश के इच्छुक थे। याचिका में कहा गया है कि यद्यपि वे 2025 की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई)-मेन में अंतिम प्रयास के लिए बैठने के पात्र थे, लेकिन उन्हें 18 मई को निर्धारित जेईई-एडवांस्ड में शामिल होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया।
याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) द्वारा जेईई-एडवांस्ड 2025 के लिए पात्रता मानदंड के संबंध में “अचानक और मनमाने ढंग से नीति उलटने” से व्यथित थे, जिसने शुरू में पांच नवंबर, 2024 को अनुमेय प्रयासों को दो से बढ़ाकर तीन कर दिया था, लेकिन पिछले साल 18 नवंबर को इसे रद्द कर दिया।
जेईई-एडवांस्ड का आयोजन जेएबी करता है।
सोमवार को पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया कि जेईई-मेन्स में तीन प्रयासों की अनुमति क्यों दी गई, जबकि जेईई-एडवांस्ड के लिए इसे दो तक सीमित किया गया था।
पीठ ने पूछा, “आप (जेईई) मेन्स के लिए भी दो तक सीमित क्यों नहीं रखते?” पीठ ने आगे कहा, “बेहतर होगा कि आप दोनों के लिए दो ही (प्रयास की अनुमति)रखें।”
भाषा प्रशांत दिलीप
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