नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने बंबई हाई कोर्ट में जज बनने के संभावित उम्मीदवार एक वकील के प्रमोशन की सिफारिश करते हुए कहा है कि एक सीनियर एडवोकेट द्वारा दिए गए विचारों का उसके जूनियर की क्षमता या साख पर कोई असर नहीं पड़ता है.
मंगलवार को हुई एक बैठक में तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने बंबई हाई कोर्ट के लिए तीन नामों को मंजूरी दी — शैलेश प्रमोद ब्रह्मे, फिरदोष फिरोज पूनीवाला और जितेंद्र शांतिलाल जैन. इसने गुवाहाटी हाई कोर्ट के एक अतिरिक्त न्यायाधीश— न्यायमूर्ति रॉबिन फुकन — को उसी अदालत के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी है.
कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और के.एम. यूसुफ ने की थी.
बंबई हाई कोर्ट के लिए स्वीकृत तीन नामों के संबंध में अपलोड किए गए प्रस्ताव के अनुसार, कॉलेजियम ने देखा है कि पूनीवाला के मामले में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने 2020 में एक पूर्व वरिष्ठ द्वारा लिखे गए एक लेख को फ्लैग किया था, जहां उन्होंने पिछले 5 से 6 वर्षों में देश में भाषण या अभिव्यक्ति की आज़ादी की कथित कमी पर चिंता जताई थी.
हालांकि, आईबी के इनपुट में पुनीवाला की सत्यनिष्ठा या उपयुक्तता के संबंध में कुछ भी हानिकारक या फिर गलत नहीं मिला.
सीनियर्स के लेख के संबंध में कॉलेजियम ने कहा कि मूल पक्ष (सिविल पक्ष) में एक वरिष्ठ के कक्ष से जुड़े एक जूनियर वकील उनके साथ एक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध में नहीं हैं.
हालांकि, यदि कोई जूनियर चेंबर से जुड़ा हुआ है, वे अपना काम करने के लिए आज़ाद हैं और सभी इरादों और उद्देश्यों के लिए, स्वतंत्र कानूनी प्रैक्टिस का हकदार है.
यह देखते हुए कि सलाहकार-न्यायाधीशों ने प्रमोशन के लिए पूनीवाला के नाम का समर्थन किया है, कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया है, “उम्मीदवार ने बार में बहुत प्रैक्टिस की है और वाणिज्यिक कानून में विशेषज्ञता हासिल की है. उम्मीदवार पारसी धर्म को मानता है और अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित है. उपरोक्त पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और उनकी पदोन्नति के प्रस्ताव के समग्र विचार पर, कॉलेजियम की सुविचारित राय है कि फिरदोष फिरोज पूनीवाला बंबई हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उपयुक्त हैं.”
फैक्टर्स जो अच्छे फैसले में ज़रूरी हैं
एक अलग प्रस्ताव में न्यायमूर्ति फूकन की स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति का प्रस्ताव करते हुए, कॉलेजियम ने पहली बार उन फैक्टर्स को सूचीबद्ध किया है, जिन्हें उन न्यायाधीशों के फैसलों का मूल्यांकन करते समय ध्यान में रखा जाता है, जिन्हें स्थायी तौर पर न्यायाधीश के लिए उनकी पुष्टि के पहले एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है.
संकल्प के अनुसार, अच्छे फैसलों के लिए 11 फैक्टर्स हैं— ये तथ्यों की उचित रिकॉर्डिंग, अभिव्यक्ति, निर्णय की संरचना, मुद्दों की स्पष्ट पहचान और उनके तर्कपूर्ण जवाब, तयशुदा कानूनी प्रस्तावों पर उचित विचार, एक मामले में वकीलों द्वारा किए गए सबमिशन पर विचार, सामग्री और प्रासंगिक दलीलों का पर्याप्त संदर्भ, परिस्थितिजन्य साक्ष्य की सराहना और “सजा” का उचित अनुपालन आदि हैं.
कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट की एक समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसने गुवाहाटी हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि करते हुए उपर्युक्त कारकों पर न्यायमूर्ति फुकन के फैसलों का आकलन किया.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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