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Wednesday, 6 November, 2024
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SC ने केंद्र से ‘मानवीय आधार’ पर बंगला न खाली करने की शरद यादव की याचिका पर विचार को कहा

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन को सरकार से निर्देश लेने और मानवीय आधार पर मामले पर विचार करने को कहा.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह लुटियंस दिल्ली में अपना बंगला बरकरार रखने की पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की याचिका पर ‘मानवीय आधार’ पर इस साल जुलाई तक विचार करे, जहां वह पिछले 22 वर्षों से रह रहे हैं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन को सरकार से निर्देश लेने और मानवीय आधार पर मामले पर विचार करने को कहा. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को तय की.

यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि अयोग्यता को चुनौती देने वाली याचिका अभी भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है और उन्हें जुलाई तक वहां रहने दिया जाए.

सिब्बल ने तर्क दिया, ‘वैसे भी उनका कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है. इसलिए, वह कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह खाली कर देंगे. वह वेंटिलेटर पर थे. उन्हें हर दिन डायलिसिस के लिए जाना पड़ता था. वह हिल भी नहीं सकते थे.’

इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इसकी राजनीति या व्हिप आदि के उल्लंघन आदि पर नहीं, बल्कि उनकी चिकित्सा स्थिति के आधार पर विशुद्ध मानवीय आधार पर कोई रास्ता निकालने के बारे में सोच रहे हैं.’

एएसजी जैन ने कहा कि सरकार सांसदों और मंत्रियों के लिए घरों की कमी का सामना कर रही है, जो मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद और गंभीर हो गई.

एएसजी ने कहा, ‘हमारे पास पहले से ही सांसदों और मंत्रियों के लिए घरों की कमी है. मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद, हमारे पास घरों की कमी है. हमें बिहार के एक मंत्री पशुपति नाथ पासवान के लिए एक घर चाहिए. उनके पास यहां कोई घर नहीं है. हमें हमारे मंत्रियों को देने के लिए घरों की जरूरत है.’

दिसंबर 2017 में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित होने पर यादव ने अपने बंगले को बरकरार रखने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसने 15 दिनों में सरकारी बंगला खाली करने को कहा था.

अधिवक्ता जावेदुर रहमान के माध्यम से अपील दायर करते हुए, यादव ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा कि राज्यसभा के सभापति के उन्हें अयोग्य घोषित करने के फैसले को उनकी चुनौती अभी भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है और उन्हें बंगले से बेदखल नहीं किया जा सकता है. ‘गंभीर स्वास्थ्य की स्थिति’ को देखते हुए जब तक उच्च न्यायालय द्वारा अंतिम निर्णय नहीं दिया जाता है.

यादव ने उच्च न्यायालय को चुनौती दी थी, जिसने उन्हें 15 दिनों के भीतर एक सरकारी बंगला खाली करने का निर्देश दिया था, इस आधार पर कि उन्हें 2017 में राज्यसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था और इसलिए इसे बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं हो सकता है.

इसने यादव को यहां 7, तुखलक रोड स्थित बंगला 15 दिनों के भीतर सरकार को सौंपने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किए चार साल से अधिक समय बीत चुका है.

75 वर्षीय यादव की याचिका में कहा गया है कि वह ‘दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति’ में हैं, जहां उन्हें बहुत पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ा है क्योंकि उनका लगभग पूरा कार्यकाल राज्यसभा में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हुए बिना ही बीत गया है.

शीर्ष अदालत में यादव की अपील में कहा गया है, ‘उन्हें कोई वेतन या अन्य अनुलाभ नहीं मिल रहा है और अब उनका एकमात्र आवास है, जहां वह पिछले 22 वर्षों से रह रहे हैं, को न्यायिक प्राधिकरण के समक्ष उनकी बिना प्रभावी सुनवाई के छीन लिये जाने पर सवाल उठाया.

याचिका में कहा गया है कि उन्हें जुलाई 2020 से 13 बार अस्पताल में भर्ती कराया गया है और आखिरी बार फरवरी में छुट्टी दे दी गई थी.

इसमें आगे कहा है, ‘इस तरह, स्थानांतरित करने का निर्देश देने वाले आदेश में आम जनता के लिए परिश्रम, तनाव और जोखिम होगा और याचिकाकर्ता के जीवन को खतरे में पड़ जाएगा.’

उन्होंने कहा कि उनका राज्यसभा का वर्तमान कार्यकाल 7 जुलाई, 2022 को समाप्त हो रहा है, जिसके अंत में, उन्हें किसी भी स्थिति में आवास खाली करने की आवश्यकता होगी. याचिका में कहा गया है, ‘इस तरह, प्रतिवादी (केंद्र) के लिए कोई गंभीर पूर्वाग्रह नहीं होगा यदि याचिकाकर्ता को अपने कार्यकाल के अंत तक अपने आवास में रहने की अनुमति दी जाती है.’

याचिका, जिसमें अंतरिम राहत के रूप में, 15 मार्च के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है, ने कहा कि यादव ने एक रिट याचिका के माध्यम से अयोग्यता के आदेश को चुनौती दी है.

याचिका में कहा गया है कि यादव को 4 दिसंबर, 2017 को संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2(1)(ए) के तहत राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ दी थी. यादव तब बिहार के सत्तारूढ़ जद(यू) के सांसद थे, जिसने पटना में एक विपक्षी रैली में भाग लेने के लिए उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी.

उच्च न्यायालय का आदेश केंद्र द्वारा दायर एक आवेदन पर आया था जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में उनके कब्जे वाले सरकारी बंगले के खाली करने पर लगाई गई रोक को हटाने की मांग की गई थी क्योंकि उन्हें एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था.


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