पणजी, 24 फरवरी (भाषा) गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग संबंधी याचिकाएं बंबई उच्च न्यायालय से खारिज हो जाने का बृहस्पतिवार को स्वागत किया और कहा कि ‘‘लोकतंत्र एवं संवैधानिक जनादेश की जीत हुई है।’’
हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने दावा किया कि यह (फैसला) भाजपा नीत केंद्र सरकार की धनबल से ‘जनादेश को बदल देने की राजनीति को’ बढ़ावा देगा।
बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने बृहस्पतिवार को विधानसभा अध्यक्ष के उस आदेश को कायम रखा जिसमें उन्होंने 2019 में अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने वाले 12 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराने की मांग वाली दो याचिकाएं खारिज कर दी थीं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने उन 10 पार्टी विधायकों को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी, जो जुलाई 2019 में भाजपा में शामिल हो गए थे।
महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) ने भी अपने दो विधायकों के खिलाफ ऐसी ही याचिका दायर की थी, जो इस क्षेत्रीय दल से अलग होकर भाजपा में शामिल हो गए थे।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता अध्यक्ष के आदेश में दखल के लिए मामला नहीं बना पाये।’’
इस फैसले पर सावंत ने ट्वीट किया, ‘‘ मैं भाजपा विधायक दल में 12 विधायकों के विलय के विरूद्ध कांग्रेस और एमजीपी द्वारा दायर की गयी याचिकाएं खारिज करने के माननीय उच्च न्यायलाय के फैसले का स्वागत करता हूं। दुष्प्रचार अभियान पर लोकतंत्र एवं संवैधानिक जनादेश की जीत हुई है। ’’
लेकिन चोडनकर ने कहा कि यह आदेश अप्रत्याशित था और वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे क्योंकि ‘राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर ही सवाल उठ गया है।’’
उन्होंने दावा किया कि इस आदेश ने विधायकों को जनादेश बदलने की ताकत दी है।
कांग्रेस नेता ने अदालत भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह आदेश केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की राजनीति को बढ़ावा देगा… धनबल से वे जनादेश बदल देते हैं।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘ यह आदेश लोकतंत्र के विरूद्ध है। यह न केवल कांग्रेस बल्कि देश के सभी राजनीतिक दलों के लिए गलत परिपाटी डालेगा, क्योंकि चुनाव के बाद कुछ विधायक एक साथ मिलकर दूसरे दल में जाने का फैसला कर लेंगे।’’
भाषा राजकुमार नरेश
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