नई दिल्ली: “हमने आसमान में मिसाइलें देखीं और अपने मोहल्ले में बम गिरने की आवाज़ें सुनीं… हम डर के मारे कांप रहे थे,” युद्धग्रस्त ईरान से ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत निकाले गए एमबीबीएस छात्र मीर खलीफ ने दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने के बाद कहा. उनकी आवाज़ अब भी डर से कांप रही थी.
ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए विशेष अभियान के तहत गुरुवार तड़के खलीफ 110 भारतीय छात्रों के पहले दल के साथ राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे.
इन छात्रों में से 90 जम्मू-कश्मीर से हैं, जिन्हें इस हफ्ते की शुरुआत में ईरानी शहरों में विस्फोट और हवाई हमलों के बाद तेहरान से आर्मीनिया भेजा गया था. यह रेस्क्यू भारतीय दूतावास द्वारा समन्वित किया गया.
कश्मीर के रहने वाले खलीफ ने ईरान में बिताए अनुभव को “डरावना सपना” बताया.
उन्होंने कहा, “हमने मिसाइलें देखीं और बमबारी की आवाज़ें सुनीं। यह एक युद्ध क्षेत्र था। हम जिस इमारत में थे, वह हमलों के दौरान हिल रही थी. मैं दुआ करता हूं कि कोई भी छात्र हमारे जैसे हालात का सामना न करे.”
कश्मीर की एक और छात्रा वार्ता ने उस डर को याद किया जिसे उन्होंने झेला.
“हालात बहुत नाजुक थे. जब हमारे मोहल्ले पर हमला हुआ, तो हम बहुत डर गए थे। जब भारत सरकार हमारे दरवाज़े तक पहुंची, तब हमें राहत महसूस हुई,” उन्होंने कहा और भारतीय दूतावास और आर्मीनियाई अधिकारियों को उनके तेज़ सहयोग के लिए धन्यवाद दिया.
दिल्ली के छात्र अली अकबर ने कहा कि तबाही हर जगह दिखाई दे रही थी.
उन्होंने बताया, “हम बस में यात्रा कर रहे थे, तभी हमने देखा कि एक मिसाइल और ड्रोन आसमान से गिरा। तेहरान बर्बाद हो गया है. जो तस्वीरें न्यूज में दिखती हैं, वो सच हैं। हालात बहुत खराब हैं.”
विदेश राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह दिल्ली एयरपोर्ट पर छात्रों को लेने पहुंचे.
बाद में, उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से निकाले गए 110 भारतीय नागरिकों के पहले दल का गर्मजोशी से स्वागत किया. यह भारत की अपने नागरिकों की सुरक्षा और भलाई के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.” सिंह ने पुष्टि की कि ऑपरेशन सिंधु के तहत बचाव कार्य जारी है और कई और उड़ानें निर्धारित की गई हैं.
“आज एक और विमान रवाना होने के लिए तैयार है. हम तुर्कमेनिस्तान से भी लोगों को निकाल रहे हैं. हमारे मिशन 24 घंटे की हेल्पलाइन चला रहे हैं. जैसे-जैसे हालात बदलेंगे, और उड़ानें चलाई जाएंगी,” उन्होंने रिपोर्टरों से कहा और आर्मीनिया और तुर्कमेनिस्तान की सरकारों का सहयोग के लिए आभार जताया.
दिल्ली एयरपोर्ट पर कई माता-पिता अपने बच्चों से मिलने के लिए बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे.
एमबीबीएस छात्र माज़ हैदर के पिता हैदर अली ने कहा, “हम खुश और आभारी हैं, लेकिन हमारे दिल अब भी भारी हैं क्योंकि बहुत से छात्र अब भी तेहरान में फंसे हैं. हम सरकार से अपील करते हैं कि उन्हें भी वापस लाया जाए.” उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से आए परवेज़ आलम, जिनका बेटा उर्मिया में पढ़ता है, ने कहा, “हम लगातार तनाव में थे। छात्रों को आर्मीनिया भेजा गया और वहां उनकी देखभाल की गई। हम सरकार का धन्यवाद करते हैं.”
जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को इस निकासी अभियान के लिए धन्यवाद दिया.
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