दुमका, झारखंड: झारखंड के दुमका में एक 16 साल की लड़की की कथित तौर पर उसके मुस्लिम ‘स्टॉकर’ द्वारा हत्या के मामले ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है. भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस घटना को ‘लव जिहाद’ का मामला करार दिया और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, दुमका डीएसपी नूर मुस्तफा को कथित तौर पर आरोपी को बचाने के प्रयास के लिए निशाना बनाया.
करणी सेना जैसे कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने घटना के विरोध में मार्च निकाला और मृतका के लिए न्याय की मांग की. यहां तक कि उन्होंने हिंदू धर्म के खिलाफ बताते हुए पुलिस को रविवार की देर रात उसके अंतिम संस्कार करने से भी रोक दिया. सोमवार की सुबह उनका अंतिम संस्कार किया गया था.
घटना को सांप्रदायिक रंग देते हुए विश्व हिंदू परिषद भी मैदान में कूद पड़ी. विहिप के झारखंड प्रांत के प्रचारक वीरेंद्र साहू ने सोमवार को एक बयान जारी कर ‘जिहादी’ आरोपियों के लिए ‘फांसी से मौत’ और मृतक के परिवार के लिए सुरक्षा की मांग की.
कानून और व्यवस्था के बिगड़ते हालात के मद्देनजर, पुलिस जिले में 144 सीआरपीसी को लागू करने के लिए मजबूर हो गई. इसके बाद से इलाके में सभी तरह के जुलूसों, रैलियों और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लग गया है.
23 अगस्त की तड़के, जब 16 साल की अंकिता, दुमका के जरूडीह कस्बे में अपने छोटे से कमरे में सो रही थी. 23 वर्षीय शाहरुख हुसैन उसके घर के बाहर पहले से छिपा बैठा था. उसने बाहर की तरफ से खुली हुई खिड़की की ग्रिल से कथित तौर पर उसके ऊपर पेट्रोल छिड़क दिया. वह कथित तौर पर पिछले एक पखवाड़े से उसका पीछा कर रहा था.
घर पर सभी लोग अंकिता को प्यार से छोटी कहकर बुलाते थे. परिवार वालों ने दर्दनाक घटना को याद करते हुए बताया, जब उसे गीला महसूस हुआ तो वह उठ खड़ी हुई. वह उठ ही रही थी कि शाहरुख ने कथित तौर पर एक जली हुई माचिस की तीली उस पर फेंकी और वहां से भाग गया. दर्द से कराहते हुए किशोरी दौड़कर बगल के कमरे में गई, जहां उसके पिता, उसके सबसे छोटे भाई के साथ सो रहे थे. और वह मदद के लिए जोर-जोर से चिल्लाने लगी.
अंकिता के पिता संजीव सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं आवाज सुनकर उठा तो देखा कि एक आग का गोला मेरी ओर आ रहा है. यह एक भयावह पल था. छोटी कहती रही – मुझे बचा लो पापा, पापा बचा लो’. आज वह उसी दो बेडरूम वाले छोटे से घर में एक बिस्तर पर सिर झुकाए बैठे थे, जहां उनकी बेटी को आग लगा दी गई थी.
किराने की दुकान में हेल्पर के रूप में काम करने वाले सिंह 324 रुपये प्रति दिन कमाते हैं. उन्होंने पड़ोसियों की मदद से अपनी बेटी को दुमका मेडिकल कॉलेज पहुंचाया. अगले दिन, अस्पताल ने उसे झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल, रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में रेफर कर दिया. वहां 28 अगस्त को – पांच दिनों तक मौत और जिंदगी की जंग को बहादुरी से लड़ने के बाद – अंकिता अपने जीवन की लड़ाई हार गई.
वह दुमका के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 12वीं में पढ़ रही थी.
दुमका पुलिस ने आरोपी शाहरुख और उसके साथी नईम उर्फ छोटू खान को गिरफ्तार कर लिया है. दुमका झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के परिवार का पॉकेट बोरो भी है. अंकिता की मौत के तुरंत बाद यानी रविवार से यह पूरा इलाका उबाल पर है.
अंकिता की हत्या पर विपक्षी दल भाजपा ने भी बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो पिकनिक मनाने में मशगूल थे और उधर लड़की की कथित लापरवाही से मौत हो गई.
भाजपा और झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच कड़वा राजनीतिक टकराव ऐसे समय में आया है जब मुख्यमंत्री सोरेन लाभ के पद के मामले में मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. भारत के चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को विधानसभा के सदस्य के रूप में सोरेन की अयोग्यता के संबंध में अपनी राय दी थी. बैस ने अभी इस मामले में अपना फैसला सुनाना बाकी है.
सोमवार रात बैस ने भी ट्वीट कर अंकिता के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की. उन्होंने कहा कि उन्होंने झारखंड के पुलिस महानिदेशक से बात की है और राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर अपनी ‘गंभीर चिंता’ जताई.
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माननीय राज्यपाल ने दुमका की अंकिता की मौत पर गहरा दुःख व शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अंकिता के परिजनों से बात कर उनके प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
राज्यपाल महोदय ने पुलिस महानिदेशक से वार्ता कर राज्य में बिगड़ती हुई कानून-व्यवस्था पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए नाराजगी जताई है।— Governor of Jharkhand (@jhar_governor) August 29, 2022
राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता भी पीछे नहीं रहे. पूर्व सीएम रघुबर दास ने इस घटना को ‘लव जिहाद’ का मामला बताया और अंकिता के लिए न्याय की मांग की.
मानवता और झारखंड दोनों शर्मसार हैं।
लव जिहाद की शिकार हुई बेटी अंकिता के परिजनों से आज बात हुई। उनका दुख बांटा नहीं जा सकता है।
मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक ने घायल अंकिता की सुध तक नहीं ली।
तुष्टीकरण में लिप्त इस गूंगी-बहरी सरकार को जनता सबक सिखाएगी।#JusticeForAnkita pic.twitter.com/LnpQhEK2XG
— Raghubar Das (@dasraghubar) August 29, 2022
‘मैं अपनी छोटी को नहीं बचा सका’
अंकिता के पिता बेटी की मौत के सदमे से उबर नहीं पा रहे है. उन्होंने बताया कि घटना के एक दिन पहले शाहरुख ने रात करीब 8 बजे अंकिता को फोन किया और उससे बात करने के लिए कहा था. वह बताते हैं, ‘जब उसने बात करने से मना कर दिया, तो उसने अगले दिन उसे जान से मारने की धमकी दी.’
सिंह के मुताबिक, अंकिता ने रात करीब 10 बजे जब वह काम से घर लौटे थे, तो उन्हें सारी बात बताई थी.
दर्द में डूबे पिता ने बताया, ‘मैंने उससे कहा कि अभी काफी देर हो चुकी है. मैं कल सबसे पहले शाहरुख के घर जाऊंगा और उसकी मां से बात करूंगा. लेकिन वह दिन कभी नहीं आया.’
तड़के 4 बजे शाहरुख ने अंकिता पर एक जली हुई माचिस की तीली फेंकने से पहले कथित तौर पर उसके ऊपर पेट्रोल फेंका था. सिंह ने कहा, ‘मुझे हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा कि मैं उसे बचा नहीं सका.’
उन्हें इस बात का भी पछतावा है कि अंकिता ने क्यों पहले परिवार में किसी को नहीं बताया कि शाहरुख उसका पीछा कर रहा था और उसे परेशान करता था.
उन्होंने बताया, ‘मुझे तब पता चला जब उसने अस्पताल में मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दिया कि वह लगभग एक पखवाड़े से उसका पीछा कर रहा था. वह घर से बाहर निकलने से भी डरती थी.’
अंकिता की बड़ी बहन इशिका ने कहा कि उसने (अंकिता) करीब आठ महीने पहले, मेरी शादी से पहले मुझे सब कुछ बता दिया था.
18 साल की इशिका ने कहा, ‘मां की मौत के बाद मैं ही उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी. लेकिन शादी के बाद मैं बार-बार घर नहीं आ पाती थी. घर में और कोई नहीं था जिसके साथ वह अपने दुखों को साझा कर सके. मेरे दादा-दादी बहुत बूढ़े हैं.’
इशिका ने कहा, ‘पापा सुबह जल्दी काम पर निकल जाते हैं और रात को आते-आते काफी थक जाते है. इसलिए अंकिता उन्हें ये सब बताकर परेशान नहीं करना चाहती थी.’
पुराने दुमका के जरुआडीह में उनका छोटा सा घर हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी के बीच में है. यहां ज्यादातर निम्न तबके के लोग रहते हैं. अंकिता के छोटे भाई मयंक और उनके दादा-दादी भी इसी घर में उनके साथ रहते हैं.
स्कूल की फीस भरने के लिए ट्यूशन पढ़ाती थी
इशिका ने बताया कि मां को कैंसर होने के बाद से उसके परिवार को काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. एक साल पहले उनकी मौत हो गई थी.
इशिका ने कहा, ‘मेरे पिता ने अपनी छोटी-सी बचत से मेरी शादी की और मुंबई में मां के इलाज पर खर्च कर दिया.’
इशिका ने बताया कि भले ही हम आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. लेकिन फिर भी उसकी छोटी बहन हमेशा खुश रहती थी और जीवन को भरपूर जीती थी. उन्होंने कहा, ‘वो बहुत चंचल और हंसमुख थी. मां के मरने के बाद उसने सारे घर को संभाल रखा था.’
अंकिता के पड़ोसी आलोक रंजन एक निजी संस्थान में पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि वह एक IPS अधिकारी बनना चाहती थी.
रंजन ने बताया, ‘वह पढ़ाई में अच्छी थी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी. वह जानती थी कि उसके पिता को घर चलाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. इसलिए वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगी. वह हर महीने लगभग 1,000 रुपये कमा रही थी.’
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रांची के अस्पताल में डॉक्टरों ने की लापरवाही
अंकिता के पिता ने रिम्स रांची के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है.
अस्पताल के बर्न वार्ड के डॉक्टरों ने उसके पिता और उनके साथ आए एक पड़ोसी को बताया था कि वह 65 प्रतिशत जल गई है.
अंकिता के पिता के करीबी दोस्त पंकज शर्मा ने आरोप लगाया, ‘वह हमसे बात कर रही थी. 28 अगस्त को दोपहर करीब 12:30 बजे तक वह ठीक थी. दोपहर करीब 1:15 बजे उसे बेचैनी होने लगी. मैं शिफ्ट डॉक्टर को बुलाने के लिए आईसीयू में भागा. वह वहां बैठे हुए थे, लेकिन उसके बावजूद वह 45 मिनट देरी से आया’ शर्मा अंकिता की मौत के समय अस्पताल में मौजूद थे.
उन्होंने दावा किया कि जब तक डॉक्टर आए तब तक अंकिता की हालत खराब हो चुकी थी. ‘उन्होंने हमसे कहा कि हमें उसे किसी और अस्पताल में ले जाना चाहिए. लेकिन इससे पहले कि हम कुछ इंतजाम कर पाते, उसकी मौत हो गई.’
अंकिता का कथित स्टॉकर और हत्यारा शाहरुख उसके घर से करीब 200 मीटर दूर अपनी मां, बड़े भाई और एक बहन के साथ रहता है.
पड़ोसियों ने दावा किया है कि जिस दिन से अंकिता की मौत हुई, शाहरुख का परिवार किसी अनजान जगह पर चला गया है. दिप्रिंट सोमवार को उनके घर पर पहुंचा था, लेकिन मेन दरवाजे पर लकड़ी के तख्ते लगाकर घर को बंद किया हुआ था.
शाहरुख की पड़ोसी रुखसाना खातून ने दिप्रिंट को बताया कि परिवार परेशान किए जाने के डर से वहां से चला गया है.
रुखसाना ने बताया, ‘वे पिछले 20-25 सालों से यहां रह रहे थे. शाहरुख के पिता की मौत के बाद उनके मामा परिवार को यहां लाए और रहने के लिए एक कमरा दिया. उसका बड़ा भाई सलमान, एक कार मैकेनिक है. वही परिवार का खर्चा चलाता था. दोनों भाइयों ने बहुत पहले पढ़ाई छोड़ दी थी.’
नाम न बताने की शर्त पर एक और पड़ोसी ने कहा कि शाहरुख जो भी काम हाथ में लेता था, उसे कर के मानता था. वह अलग था. हर तरह के लोगों को अपने घर में लाता था. उसके दोस्त बाइक पर आते थे.’
प्रशासन से फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई की मांग
दुमका के पुलिस अधीक्षक अंबर लकड़ा ने दिप्रिंट को बताया कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि मामले में आरोपपत्र एक महीने के भीतर दाखिल हो जाए. ‘हम फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए एक अनुरोध भी देंगे.’
लकड़ा ने बताया कि शाहरुख पहले ही अपना गुनाह कबूल कर चुका है.
लाकड़ा ने कहा, ‘हमारे पास अस्पताल में अंकिता का दिया गया बयान है, जिसमें उसने शाहरुख पर पेट्रोल फेंकने और उसे जलाने का आरोप लगाया है. उसने कहा है कि जब भी वह अपने घर से बाहर निकलती थी तो शाहरुख उसका पीछा करता था. मामला काफी मजबूत है.’
दुमका के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने दिप्रिंट को फोन पर बताया कि सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश के अनुसार, उन्होंने सोमवार को अंकिता के पिता को 9 लाख रुपये का चेक सौंपा था. पीड़ित मुआवजा योजना के तहत दुमका अस्पताल में भर्ती होने पर हमने पहले उसके पिता को इलाज के लिए एक लाख रुपये भी दिए थे.
शुक्ला ने कहा कि प्रशासन परिवार की सुरक्षा के लिए हर संभव मदद कर रहा है.
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