पुणे, सात अप्रैल (भाषा) पुणे की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका को सोमवार को स्वीकार कर लिया जिसमें उन्होंने वी डी सावरकर पर अपनी कथित टिप्पणी को लेकर मानहानि के मामले को संक्षिप्त मुकदमे से समन मुकदमे में बदलने की मांग की थी ताकि ऐतिहासिक संदर्भों और साक्ष्यों पर चर्चा की जा सके।
सांसदों/विधायकों के लिए विशेष अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे ने गांधी के वकील मिलिंद पवार द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया।
अदालत के आदेश में कहा गया है कि यह मामला प्रथम दृष्टया समन मुकदमे की श्रेणी में आता है। ‘समन मुकदमे’ में ऐतिहासिक साक्ष्यों और विस्तृत बहस की अनुमति होती है।
अदालत ने कहा, ‘मौजूदा मामले में आरोपी तथ्यों और कानून के ऐसे सवाल उठा रहा है जो जटिल प्रकृति के हैं। आरोपी ने कुछ मुद्दे भी उठाए हैं जिनका निर्धारण ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर किया जाएगा। इसलिए, मेरे विचार से इस मामले को संक्षिप्त मुदकमे के रूप में चलाना अवांछनीय है, क्योंकि संक्षिप्त मुकदमे में विस्तृत साक्ष्य और जिरह नहीं की जाती है।’
न्यायाधीश ने कहा, ‘(समन) मामले में, आरोपी को विस्तृत साक्ष्य पेश करने होंगे और शिकायतकर्ता के गवाहों से गहनता से जिरह करनी होगी। न्याय के हित में यह आवश्यक है कि मामले की सुनवाई समन मुकदमे के रूप में की जाए। यदि वर्तमान मामले की सुनवाई समन मुकदमे के रूप में की जाती है तो किसी भी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा।’
सावरकर के रिश्ते के पोते सत्यकी सावरकर ने पुणे की एक अदालत में गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें दावा किया गया है कि कांग्रेस नेता ने मार्च 2023 में लंदन में एक भाषण में कहा था कि हिंदुत्व विचारक ने एक किताब में लिखा है कि उन्होंने और उनके पांच-छह दोस्तों ने एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और (इससे) उन्हें खुशी हुई थी।
शिकायत के अनुसार, ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई और न ही सावरकर ने इस संबंध में कुछ लिखा। इसमे गांधी के आरोप को काल्पनिक, झूठा और दुर्भावनापूर्ण बताया।
सत्यकी सावरकर के अधिवक्ता संग्राम कोल्हटकर ने अदालत को बताया कि आरोपी ने मामले को लम्बा खींचने के लिए यह आवेदन दायर किया है।
भाषा नोमान संतोष
संतोष
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.