नई दिल्ली: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का बुधवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया. क्राउन प्रिंस अपनी पहली आधिकारिक भारत यात्रा पर आए हैं.
क्राउन प्रिंस पाकिस्तान दौरे के बाद सोमवार शाम यहां पहुंचे. औपचारिक स्वागत के बाद जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे, सऊदी के शाह ने मीडिया से कहा, ‘आज हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दोनों देशों की खातिर इस संबंध को बनाए रखा जाए और इसमें सुधार किया जाए.’
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मुझे यकीन है कि हम सऊदी अरब और भारत के हित के काम कर सकते हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत और सऊदी के बीच संबंध हमारे डीएनए में है. क्राउन प्रिंस की दिन में मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक की योजना है.
इससे पहले सऊदी अरब ने 14 फरवरी को पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों पर हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और उसे दोषी ठहराया. भारत का कहना है कि हम सालों से किंगडम की सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबले के क्षेत्र में सहयोग करने की सराहना करते हैं. 2016 में पीएम मोदी की सऊदी अरब की यात्रा के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को वित्तपोषण से संबंधित खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गये ते. विदेश मंत्रालय का कहना है कि ‘किंगडम ने हमारी आतंकवाद संबंधी चिंताओं को अधिक से अधिक समझा है और इस वैश्विक खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ काम करने पर भी सहमति व्यक्त की है.’
विदेश मंत्रालय का मानना है कि रक्षा क्षेत्र सहयोग का महत्वपूर्ण क्षेत्र बना रहेगा. 2014 में अभी के क्राउन प्रिंस सलमान की यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग को लेकर समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे. आपको याद होगा की चौथी संयुक्त रक्षा सहयोग समिति इस साल जनवरी में रियाद में आयोजित की गई थी. दोनों पक्ष संयुक्त उत्पादन और खासकर संयुक्त नौसेना अभ्यास के साथ संबंध बढ़ाने की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं.
भारत ने उन आठ रणनीतिक साझेदारों में से एक के रूप में पहचान की है, जिनके साथ सऊदी अरब राजनीतिक, सुरक्षा, व्यापार, निवेश और संस्कृति के क्षेत्र में साझेदारी को गहरा बनाने का इरादा रखता है. इस संबंध के हिस्से के रूप में दोनों देशों के बीच मंत्रिस्तरीय स्तर पर ‘रणनीतिक भागीदारी परिषद’ की स्थापना को अंतिम रूप दिया जा रहा है. भारत को भरोसा है कि इससे दोनों देशों के बीच भागीदारी को अधिक बल मिलेगा और कार्यवाई पर फोकस कर अपनी चर्चा को आगे ले जाएंगे. यह जुड़ाव दोनों देशों के संबंधित अधिकारियों के बीच आपसी हित के चुनिंदा क्षेत्रों में पहले ही शुरू हो चुका है, खासकर व्यापार, निवेश और आर्थिक मुद्दों पर.
भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में 27-48 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2016-17 की तुलना में सऊदी अरब ने हमारे चौथे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार की लगभग 10 फीसदी वृद्धि दर्ज की है.
विदेश मंत्रालय का कहना था कि साऊदी अरब हमारी ऊर्जा सुरक्षा का प्रमुख स्तंभ है, जो 17 फीसदी या अधिक कच्चे तेल और 32 फीसदी भारत की एलपीजी ज़रूरत का ज़रिया है. हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के एडीएनओसी के साथ सऊदी एआरएएमसीओ ने रत्नागिरी रिफाइनरी और पेट्रो-केमिकल प्रोजेक्ट लिमिटेड में 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संयुक्त उद्मम बनाने के लिए सहमति व्यक्त की है. भारतीय साझेदार आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल हैं. हम इस खरीदार-विक्रेता संबंध को ऊर्जा में व्यापक आधारित साझेधारी में बदलने की उम्मीद करते हैं.
इस यात्रा के दौरान 5 समझौतो पर हस्ताक्षर किये जायेंगे जोकि निवेश , पर्यटन, हाउसिंग और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में होंगे.
साऊदी प्रिंस इसके पहले पाकिस्तान की यात्रा कर चुके हैं और पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर की सहायता का वादा कर के आए है. साथ ही उन्होंने कहा कि वे पाकिस्तान के दूत है और पाकिस्तान से साऊदी अरब के संबंध है. अब देखना ये है कि भारत आतंकवाद पर अपनी बात साऊदी पक्ष के सामने कितनी मज़बूती से रख सकता है और क्या कई कठोर वक्तव्य दिलवा सकता है. भारत के लिए अपनी बात रखना और साऊदी अरब से रिश्तें मज़बूत करना इस यात्रा में और अहम हो जाता है.
(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)