वाराणसी : मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में देश के हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए ‘सहज बिजली हर घर योजना’ (सौभाग्य) लॉन्च की थी. यह परियोजना विशेष रूप से गरीब परिवारों को बिजली उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई है. लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर-शोर से इसका बखान किया था.
‘प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना- सौभाग्य’, की सफलता का दावा करते हुए पीएम मोदी ने अमरोहा में कहा था कि 77 लाख बिना बिजली वाले घरों में बिजली पहुंचाई गई है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. गरीबों के लिए शुरू की गई इस योजना से गरीब ही परेशान हैं. पीएम मोदी ने दावा किया है कि देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाई गई और लाखों घरों को बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं. लेकिन उनका यह दावा उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही फेल होता नज़र आ रहा है. जिले के करनाडांडी, मेहंदीगंज, कचहरिया, हरिनामपुर कई ऐसे गांव हैं जहां पर दर्जनों घरों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है. कहीं पर लोगों को बिजली की सप्लाई नहीं मिल रही है तो कहीं बिजली का कनेक्शन ही नहीं किया गया है. बिजली का कनेक्शन नहीं मिलने के बाद भी लगातार बिजली का बिल आ रहा है.
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दो साल में एक भी दिन नहीं मिली बिजली
राजातालाब के गौरी शंकर बताते हैं कि, ‘हमसे कहा गया कि फ्री में बिजली का कार्ड बन रहा है चलो बनवा लो, आपको भी बिजली मिल जाएगी. आपके घर में उजाला हो जाएगा. आधार कार्ड वगैरह लेकर हम लोग गए. फॉर्म भरा गया, कुछ दिन के बाद खंभा लग गया. खंभा लगने के बाद हमारे यहां मीटर लगा दिए. जब उन लोगों ने मीटर लगाया तभी हम बोले कि, जब आप लाइन नहीं दे रहे हैं तो बत्ती कैसे जलेगी. मीटर लगाने वाले ने कहा कि 10 दिन में आपकी बत्ती जलने लगेगी. लेकिन आज लगभग दो साल होने को है यहां पर लाइट का कोई इंतजाम नहीं हो रहा है.’
बिना बिजली आ रहा है बिल
अराजीलाइन ब्लॉक के कचहरिया गांव के लगभग 40 साल के कल्लू बताते हैं कि, ‘हमारे यहां करीब 16 महीने पहले सौभाग्य योजना के तहत बिजली दी गई. बिजली का मीटर भी लगा हुआ है लेकिन खंभे से कनेक्शन नहीं हुआ है. ऐसे ही मीटर पड़ा हुआ है और बिजली का बिल लगातार आ रहा है. एक भी दिन बिजली नहीं मिली है और बिजली का बिल करीब 15 हज़ार आ चुका है.’
हरिनामपुर के राम प्रताप पटेल बताते हैं कि, ‘दो साल पहले हमारे यहां बिजली का मीटर लगा. जब से ये मीटर लगा है तब से एक भी दिन हमें बिजली नहीं मिली है ऊपर से लगातार बिल आ रहा है. अब तक नौ हज़ार आठ सौ रुपए का बिल आ चुका है. राम प्रताप कहते हैं कि हमारे यहां मोदी सरकार की स्कीम के तहत बिजली पहुंची है.
बिजली पहुंचने के बाद मीटर खराब, फिर भी आ रहा बिजली का बिल
पीएम मोदी के गोद लिए गांव नागेपुर से सटे मेहंदीगंज गांव में बिजली का मीटर लगने के बाद भी लोगों के घरों में बिजली नहीं है. हजारों रुपए के बिल इनको मिल चुके हैं लेकिन बिजली आज भी नदारद है. वहीं इस गांव में दर्जनों लोगों के घरों में आज तक कनेक्शन भी नहीं हुआ है.
इस गांव की शोभा बताती हैं कि, ‘लगभग दो साल पहले यहां पर बिजली पहुंची है. लेकिन दो महीने के बाद ही खराब हो गई. उसके बाद भी लगातार बिजली का बिल आ रहा है. हम लोग सभी बच्चे, परानी (परिवार के लोग) अंधेरे में रह रहे हैं. हमें मालूम नहीं है कि कहां शिकायत करना है. इसलिए अंधेरे में पड़े हुए हैं.’
तब भी अंधेरा था और आज भी
मेहंदीगंज गांव की ज्योति बताती हैं कि जब हमारे यहां मीटर नहीं लगा था तब भी हम अंधेरे में थे अब जब लग गया है तब भी. नाम का बिजली कनेक्शन है. जब हमें बिजली नहीं मिल रही है, हमारे घर में उजाला नहीं हो रहा है तो कैसा बिजली कनेक्शन. हर महीने बिजली का बिल आ रहा है लेकिन लाइट का कुछ मालूम ही नहीं. मोदी जी तो बोले थे फ्री बिजली मिलेगी. यहां बिजली तो मिली नहीं ऊपर से बिल भी आ गया. ज्योति के घर में भी सौभाग्य योजना के तहत बिजली पहुंची है.
क्या है सौभाग्य योजना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए ‘सहज बिजली हर घर योजना‘ (सौभाग्य या SAUBHAGYA) की शुरुआत की थी. सभी गांव में बिजली पहुंचाने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत 25 सितम्बर 2017 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर की गयी थी.
जिन लोगों का नाम 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना में है, उन्हें सौभाग्य योजना के तहत मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जाता है. जिनका नाम सामाजिक-आर्थिक जनगणना में नहीं है, उन्हें बिजली का कनेक्शन सिर्फ 500 रुपये के शुल्क पर मिल सकता है. ऐसे लोग यह 500 रुपये भी 10 आसान किस्तों में चुका सकते हैं.
ये है सौभाग्य योजना का उद्देश्य
इस योजना के जरिए शैक्षिक और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, जनता की सुरक्षा और संचार के साधन को और बेहतर बनाना है. मुख्य रूप से सरकार सौभाग्य योजना के जरिये रोजगार के अवसर बढ़ाना चाहती है. इससे लोगों, खासकर महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार करना है. अंधेरे में घर से बाहर निकलना मुश्किल होता है, खास तौर पर महिलाएं अंधेरे में घर से निकलना नहीं चाहती. इस योजना के तहत देश के सभी घरों में 2019 के मार्च महीने के अंत तक बिजली पहुंचाना था.
हालांकि सरकार देश के सभी घरों में बिजली देने में अब भी नाकाम है. वाराणसी के करनाडांडी गांववासियों नें बताया कि हमने ग्राम प्रधान, बिजली विभाग के आला अधिकारियों से लेकर एमएलए तक हर जगह इसकी शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
नाराज ग्रामीण अपने बिल लेकर अधिकारी के दफ्तर पहुंच गए. वहां नाराजगी जाहिर की, बावजूद इसके उनकी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. अब गांव वालों ने अधिकारियों से दो टूक कह दिया है कि जब आप बिजली नहीं दे सकते तो अपना मीटर भी उखाड़ ले जाइये. बिना बिजली के मीटर लगाकर बिल देने से अच्छा है कि हम अंधेरे में ही रहें.
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इस बारे में जिले के बिजली विभाग के रुलर इलाके के एसडीओ बीके पांडे का कहना है कि, सौभाग्य योजना के तहत जो कनेक्शन हुआ है, उनका बिजली का बिल वही लिया जाएगा जितना वो खर्च करेंगे. उनके यहां जब बिजली का कनेक्शन हो जाएगा तो बिल रिवाइज़ करके खत्म कर दिया जायेगा.
मेहंदीगंज के बारे में बात करते हुए एसडीओ ने कहा कि हमे मालूम है वहां के बारे में. बिजली विभाग को बोल दिया गया है, वहां पर ट्रांसफार्मर और खंभे लगाये जाएंगे. उन्होंने कहा कि जिन लोगों का बिना कनेक्शन बिजली का बिल आ रहा है, जिस दिन से हम उनका कनेक्शन जोड़ेंगे उस दिन से रिवाइज़ कर देंगे.
इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने पूरे मामले की एक रिपोर्ट तैयार करके सीएम योगी को मेल और ट्वीट किया. इसके अलावा जनसुनवाई व पीजी पोर्टल पर समस्या का समाधान करते हुए गांव मे विद्युत आपूर्ति के लिए कहा है. साथ ही कहा कि इन सबके बीच सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि यहां के घरों में लगा बिजली का मीटर अभी तक चालू नहीं हुआ है, फिर भी उनके घर में आठ हज़ार रुपए से अधिक का बिजली बिल आ चुका है.
(रिज़वाना तबस्सुम स्वतंत्र पत्रकार हैं)