मथुरा: महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की पीट-पीटकर हत्या, फिर पंजाब में इसी तरह की घटना और अब उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में संतों की हत्या से वृन्दावन के संत रोष में हैं और वे घटनाओं के दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
संतों ने आरोप लगाया कि साधुओं पर हमलों की लगातार घटती घटनाएं किसी साजिश की तरफ इशारा कर रही हैं.
अखिल भारतीय हिंदू सेवा दल के संरक्षक आचार्य देव मुरारी बापू ने कहा कि बुलंदशहर के संत जगदीश दास और सेवादास की निर्मम हत्या एक निंदनीय एवं अक्षम्य अपराध है. उनकी हत्या करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए.
उन्होंने कहा, ‘संत (योगी आदित्यनाथ) की सरकार में संतों की हत्या होना कई सवाल खड़े करता है. इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन है कि वे संतों की हत्या के मामले की जांच सीबीआई से कराएं.’
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काशी विद्वत परिषद पश्चिमी भारत के प्रभारी कार्ष्णि नागेंद्र महाराज ने कहा, ‘संतों पर लगातार हमले होना घोर निंदनीय है. केंद्र और राज्य सरकार को संतों पर हमले रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए और संतों व धर्माचार्यों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाना चाहिए. महाराष्ट्र, पंजाब और बुलंदशहर में साधु-संतों की हत्या के दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करके फांसी दी जानी चाहिए.’
निरंजनी अखाड़ा के महंत कुणाल गिरि महाराज ने कहा, ‘संत संन्यासी हो या फिर बैरागी. अगर इन पर हमले हो रहे हैं तो यह अत्यधिक चिंता का विषय है. क्योंकि, जिन संतों का समाज की सामान्य गतिविधियों से कुछ लेना-देना ही नहीं होता, उन पर हमले कर यूं ही उनकी हत्या कर देना समझ में नहीं आता. सरकार को संतों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए. संतों के हत्यारों को गिरफ्तार करके फांसी दी जानी चाहिए. जिससे की आगे कोई भी ऐसी हिमाकत न कर सके.’’
चरणाश्रम के महंत अधिकारी गुरुजी ने कहा कि संत सदा दुनिया के भले की सोचता है. अगर उस पर भी हमले होंगे तो सनातन धर्म की सुरक्षा कैसे होगी. संतों की सुरक्षा से ही सनातन धर्म की सुरक्षा हो सकेगी.