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Saturday, 9 November, 2024
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किसान आंदोलन के समर्थन में संत राम सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर गोली मारकर की आत्महत्या

संत राम सिंह ने सुसाइड नोट भी छोड़ा है. बीते 21 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में वो शामिल थे. इस बीच कई किसानों की मौत हो चुकी है.

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नई दिल्ली: दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल संत राम सिंह ने बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली.

संत राम सिंह ने सुसाइड नोट भी छोड़ा है. बीते 21 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में वो शामिल थे. इस बीच अब तक करीब 20 किसानों की मौत हो चुकी है.

दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट प्रबंधन के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने ट्वीट कर शोक जताया. उन्होंने लिखा, ‘दिल बहुत दुखी है आप को ये बताते हुए कि संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली. इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है. मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले. आप सभी से संयम बनाकर रखने की विनती.’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने लिखा, ‘करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि. कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं. मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है. ज़िद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लो!’

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘कुंडली बॉर्डर पर किसानों के लिये संघर्षरत संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले की खुदकुशी की खबर ने अंतरात्मा को झकझोर दिया. भावभीनी श्रद्धांजलि! सरकार की हठधर्मिता, बेदर्दी, अड़ियल रवैया किसानों के लिये जानलेवा साबित हो रहा है. सरकार किसानों की मांग माने, मानवीय रुख अपनाकर समाधान करे.’

दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर बीते 21 दिनों से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की उनकी मांगे हैं. इस बाबत सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन कुछ भी नतीजा अभी तक नहीं निकला है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.


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