नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रविवार को दावा किया कि संस्कृत एक ‘‘वैज्ञानिक’’ भाषा है और यहां तक कि ‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) ने भी इसे स्वीकार किया है।
संस्कृत के संबंध में यह एक ऐसा दावा है, जिसके अक्सर बहुत कम साक्ष्य मिलते हैं।
गुप्ता ने राजधानी में आयोजित 10 दिवसीय संस्कृत शिक्षण पहल के समापन समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि नासा के वैज्ञानिकों ने भी संस्कृत पर शोधपत्र लिखे हैं और पुष्टि की है कि यह एक वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत में कोडिंग की जा सकती है। संस्कृत कंप्यूटर के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल भाषा है।’’
गुप्ता ने संभवत: 1985 में जारी शोधपत्र के आधार पर संस्कृत भाषा के संबंध में यह दावा किया है।
‘संस्कृत में ज्ञान प्रतिनिधित्व और कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ शीर्षक वाले इस शोधपत्र को नासा एम्स रिसर्च सेंटर से जुड़े शोधकर्ता रिक ब्रिग्स ने लिखा था, जिन्होंने यह साबित करने का प्रयास किया था कि ‘‘प्राकृतिक भाषा कृत्रिम भाषा के रूप में भी काम कर सकती है।’’
गुप्ता ने कहा कि यह सामाजिक पक्षपात है जो विदेशी भाषाओं में प्रवीणता को बुद्धिमत्ता का संकेत मानता है, जबकि अक्सर संस्कृत को नकार दिया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमारे बच्चे फ्रेंच, जर्मन या अंग्रेजी भाषा बोलते हैं तो हम उस बच्चे को बहुत प्रतिभाशाली मानते हैं और इस पर गर्व करते हैं। लेकिन जब कोई बच्चा उसी धाराप्रवाहता से संस्कृत बोलता है तो इसे कोई बड़ी बात नहीं माना जाता।’’
गुप्ता ने तर्क दिया कि संस्कृत न केवल भारतीय संस्कृति का आधार है बल्कि कई भारतीय भाषाओं का अभिन्न अंग भी है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता ने कहा, ‘‘अगर हम विश्व गुरु बनना चाहते हैं तो हमें संस्कृत के माध्यम से अधिक ज्ञान हासिल करना होगा।’’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
भाषा प्रीति रंजन
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