वाराणसी, 17 अप्रैल (भाषा) वाराणसी में बुधवार रात को 102 साल पुराने संकट मोचन संगीत समारोह की शुरुआत पद्म विभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के भावपूर्ण बांसुरी वादन के साथ हुई और संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र ने पखावज पर उनके साथ संगत की।
छह दिवसीय यह संगीत समारोह 16 अप्रैल से शुरू हुआ है और 21 अप्रैल तक चलेगा। 11 पद्म अवार्ड प्राप्त कर चुके कलाकारों के साथ 16 नए कलाकार समारोह में अपनी प्रस्तुति देंगे। समावेशिता की परंपरा को जारी रखते हुए आधा दर्जन मुस्लिम कलाकार भी इसमें अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र ने बताया ‘‘यह समारोह केवल संगीत के बारे में नहीं है बल्कि यह भगवान हनुमान जी से जुड़ने का एक माध्यम है।’’
उन्होंने कहा ‘‘यह समारोह का 102वां सत्र है। समारोह के इतिहास की तरह ही यहां के श्रोता भी पुराने हैं। कई श्रोता यहां 60 साल से तो कई इस समारोह में 80 साल से लगातार आ रहे हैं।’’
इस उत्सव की शुरुआत 1923 में की गई थी। तब से हर साल हनुमान जयंती के अवसर पर इस संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है। शुरू में यह आयोजन एक रात का होता था लेकिन धीरे धीरे यह छह रात का कार्यक्रम बन गया।
मिश्र ने बताया कि यह आयोजन काशी की पुरातन परंपरा का ऐसा स्वरूप है जिसे आज तक संजो कर रखा गया है।
उन्होंने बताया कि इस संगीत समारोह में पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, अनूप जलोटा, पंडित साजन मिश्रा, सुरेश तलवलकर, पंडित धर्मनाथ मिश्रा, रविशंकर मिश्रा, सलिल भट्ट, नागराज अदिगा माधवप्पा और जय चक्रवर्ती जैसे नामचीन कलाकार अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं।
समारोह में प्रस्तुति देने वाले छह मुस्लिम कलाकारों में तबला वादक उस्ताद अकरम खान, सितार वादक रईस खान, उस्ताद मेहताब अली नियाजी और अरमान खान तथा शास्त्रीय गायक समीउल्ला खान शामिल हैं।
भाषा सं जफर मनीषा
मनीषा
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