नई दिल्ली: डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ अन्य पहलवानों के साथ प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाली ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने शुक्रवार को कहा कि दाखिल आरोपपत्र में डब्ल्यूएफआई प्रमुख का नाम है. हालांकि, उन्होंने कहा कि नाबालिग के परिवार पर “काफी दबाव” है.
उन्होंने कहा, “उनका (बृज भूषण शरण सिंह) कल पुलिस द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट में नामजद किया गया है. नाबालिग के मामले में यह स्पष्ट है कि परिवार पर बहुत दबाव है. हम आगे की कार्रवाई के बारे में बाद में फैसला करेंगे. सरकार द्वारा मांगों को पूरा किया जाता है या नहीं, इसको देखते हुए आगे हम किसी भी तरह के फैसले करेंगे.”
भारत की शीर्ष पहलवान साक्षी मलिक ने गुरुवार को कहा था कि पहलवानों के वकील ने चार्जशीट प्राप्त करने के लिए अर्जी दाखिल की है, उसके बाद अगला कदम तय किया जाएगा.
पहलवानों ने केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के इस आश्वासन के बाद 15 जून तक अपना विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया था क्योंकि मामले में आरोप पत्र 15 जून तक दाखिल किया जाना था.
साक्षी ने कहा, “चार्जशीट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वह दोषी है लेकिन हमारे वकील ने एक आवेदन दायर किया है ताकि जल्द से जल्द चार्जशीट मिले और हम आरोपों का पता लगा सकें. उसके बाद, हम देखेंगे कि ये आरोप सही हैं या नहीं.”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा अगला कदम तब आएगा जब हम सब कुछ देख लेंगे. हमे किए गए वादे अगर पूरे होते हैं या नहीं यह देखना है. हम इंतजार कर रहे हैं.”
प्रदर्शनकारी पहलवानों की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी में आरोपपत्र दायर किया. विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि आईपीसी की धारा 354, 354डी, 345ए और 506 (1) के तहत आरोपपत्र दायर किया गया है.
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) ने एक बयान में डब्ल्यूएफआई चुनाव के लिए नवनियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के चल रहे विरोध के बीच 6 जुलाई को चुनाव कराने की घोषणा की.
ओलंपियन बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट अन्य पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर बृजभूषण की गिरफ्तारी का दबाव बनाने के लिए इस साल की शुरुआत से ही राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
यह भी पढ़ें: जैक डॉर्सी, ट्विटर और किसान आंदोलन: सोशल मीडिया युग में विचारों की स्वतंत्रता की सीमा और राष्ट्र सत्ता