चेन्नई, तीन मई (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने शनिवार को कहा कि तमिल धरती में गहराई से निहित शैव सिद्धांत ने भक्ति, सदाचार और दैवीय कृपा से मुक्ति पर जोर देकर तमिल पहचान को आकार दिया है।
नड्डा ने कहा कि शैव सिद्धांत महज एक धार्मिक दर्शन नहीं है बल्कि यह एक सभ्यतागत सिद्धांत है जो आत्मा, परमात्मा और जगत के बीच पवित्र संबंध की शिक्षा देता है।
उन्होंने यहां कट्टनकुलथुर में तिरुकायिलया परम्परा धर्मपुरम अधीनम के अंतरराष्ट्रीय शैव सिद्धांत अनुसंधान संस्थान, धर्मपुरम और एसआरएम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के तत्वावधान में आयोजित छठे अंतरराष्ट्रीय शैव सिद्धांत सम्मेलन का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु पवित्र भूमि है और संगम कवियों तथा शैव संतों ने इस दर्शन को पोषित किया। उन्होंने कहा कि थेवरम और थिरुवसगम को प्रतिदिन बहुत जोश के साथ गाया जाता था, जो हमारे पूर्वजों की शाश्वत भक्ति को प्रतिध्वनित करता था।
नड्डा ने कहा, ‘‘ संत अप्पार, सुंदरार और तिरुग्नना संबंदर द्वारा रचित पवित्र थेवरम (तमिल भक्ति भजन) दिव्यता की ओर ले जाता है और मणिकवसागर द्वारा रचित पवित्र तिरुवासगम (शैव सिद्धांत का पवित्र संकलन) कठोरतम हृदय को भी पिघला देता है।’’
भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने शिक्षा और आध्यात्मिकता में योगदान के लिए एसआरएम विश्वविद्यालय के संस्थापक-कुलाधिपति टी आर पारिवेंधर की सराहना की। उन्होंने तीन दिवसीय सम्मेलन के आयोजन के लिए धर्मपुरम अधीनम को भी धन्यवाद दिया।
भाषा शोभना माधव
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