लखनऊ, छह अक्टूबर (भाषा) सहारा इंडिया कमर्शियल कारपोरेशन लिमिटेड ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष सोमवार को एक याचिका दायर कर सहारा शहर में पट्टे पर ली गईं उसकी जमीनों और वहां निर्मित संपत्तियों के मामले में लखनऊ नगर निगम के हस्तक्षेप को चुनौती दी है।
लखनऊ के गोमती नगर इलाके में कभी जग-मग रहने वाले ‘सहारा शहर’ को सोमवार को नगर निगम अधिकारियों ने पट्टे के नियमों के कथित उल्लंघन के लिए ‘सील’ कर दिया।
याचिका में नगर निगम के 8 व 11 सितंबर, 2025 के आदेशों को भी चुनौती दी है जिसके तहत नगर निगम ने पट्टा नामा रद्द करके सहारा शहर में जमीन को जबरन कब्जे में लेने का आदेश दिया था।
याचिका पर बुधवार को सुनवाई संभव है।
याचिका में, सहारा ने कहा है कि उसने 22 अक्टूबर, 1994 और 23 जून, 1995 को नगर निगम के साथ हुए पट्टा समझौतों के तहत गोमती नगर में लगभग 170 एकड़ जमीन हासिल की थी। उसने ज़मीन के विकास में 2,480 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया और लगभग 87 आवासीय व व्यावसायिक इमारतें खड़ी कीं।
याचिका में कहा गया है कि 1997 में जमीन के विकास को लेकर कुछ विवाद पैदा हो गया था। इसके बाद, सहारा ने दीवानी अदालत का रुख किया, जिसने उसके पक्ष में स्थगन आदेश दे दिया और यह अब भी लागू है।
इस बीच, एक मध्यस्थता कार्यवाही में, दो सितंबर, 2017 को सहारा के पक्ष में मध्यस्थता का फैसला सुनाया और नगर निगम को भूमि का पट्टा उसके पक्ष में निष्पादित करने का निर्देश दिया गया, लेकिन आज तक नगर निगम ने पट्टे के निष्पादन की दिशा में कुछ नहीं किया है। भाषा सं आनन्द जोहेब
जोहेब
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