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Thursday, 14 November, 2024
होमदेश‘बिखरा परिवार और पछतावा’, हिमाचल में बादल फटने से मलबे में तब्दील हुआ 100 साल पुराना शिव मंदिर

‘बिखरा परिवार और पछतावा’, हिमाचल में बादल फटने से मलबे में तब्दील हुआ 100 साल पुराना शिव मंदिर

सोमवार को बादल फटने की घटना से 100 साल पुराना शिव मंदिर बह गया. उस समय इसमें लगभग 30 श्रद्धालु थे. अब तक 14 शव बरामद किए जा चुके हैं.

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शिमला: इस साल 15 अगस्त हिमाचल प्रदेश के इस जिले के समृद्ध समरहिल वार्ड के लिए एक अपवाद की तरह था — प्राचीन शिव मंदिर में वार्षिक स्वतंत्रता दिवस भंडारा की खुशी के उलट एक उदास दिन.

सोमवार तड़के बादल फटने से मंदिर के साथ-साथ अंदर मौजूद लगभग 30 लोग भी बह गए.

स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि गुरुवार तक 14 शव बरामद किए जा चुके थे.

1920 में निर्मित शिव मंदिर ने कई मानसूनों का सामना किया था, लेकिन इस साल की बारिश बहुत ज़्यादा भयावह साबित हुई.

जब निवासी उत्सुकता से पुलिसकर्मियों, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के सदस्यों, सेना के जवानों द्वारा कड़ी मेहनत से परिवार के सदस्यों के शव निकाले जाने का इंतज़ार कर रहे थे, तो उन्हें याद आया कि मंदिर उनके लिए क्या मायने रखता है.

एक निवासी नरेंद्र शर्मा ने कहा, “भंडारे से एक रात पहले हम 2,000-3,000 लोगों के लिए पूड़ियां बना रहे थे.” उनके परिवार की कईं पीढ़ियों ने मंदिर में शिवलिंग की प्रार्थना की है.

बादल फटने की घटना सुबह 7:15 बजे हुई थी. मंदिर के नियमित लोगों ने कहा कि लगातार बारिश के कारण अंदर भक्तों की संख्या सामान्य से कम थी. समरहिल के नगर पार्षद वीरेंद्र ठाकुर ने कहा, “वहां और भी शव हो सकते हैं.”

उनकी पत्नी भी मंदिर के अंदर थीं और बादल फटने से कुछ ही मिनट पहले घर लौट आई थीं. 15 मिनट के अंदर सब कुछ खत्म हो गया. ठाकुर ने तुरंत मंदिर के अंदर संभवतः लोगों की एक सूची तैयार की. जो 14 शव बरामद किए गए हैं, उनमें से 13 के नाम सूची में हैं – एक अज्ञात है.

Dome of the Shiv temple | Praveen Jain | ThePrint
शिव मंदिर का गुंबद | प्रवीण जैन/दिप्रिंट

मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित था. ढहने के बाद ये अपने पीछे केवल मलबे का ढेर छोड़ गया जो घाटी की ओर जा रहा था, इसका गुंबद अंततः नीचे की ओर, शिवलिंग से थोड़ी दूरी पर धंस गया.

स्थानीय निवासियों ने बताया कि शव भी मंदिर स्थल से लगभग 1-2 किलोमीटर दूर तक बहते चले गए. शैली (जो केवल पहले नाम से ही जानी जाती हैं), पूर्व पार्षद ने कुछ दूरी पर एक हरे रंग की छत की ओर इशारा करते हुए कहा कि इतनी दूर से शव यहां बरामद किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक नाला शवों को और दूर तक ले गया.

मृतकों में मंदिर सोसायटी के अध्यक्ष संदीप ठाकुर भी शामिल हैं. शैली ने दिप्रिंट को बताया, “उसने लगभग एक महीने पहले मुझे फोन किया था, लेकिन मैं व्यस्त थी इसलिए मैंने उन्हें वापस फोन नहीं किया. अब, मैं सोचती हूं काश फोन मेरे पास होता.” वो साइट से बहुत दूर एक अपार्टमेंट परिसर में रहती हैं, जो रिटायर्ड प्रोफेसरों के घरों से घिरा हुआ है.

Relatives of those feared dead in the Shiv Temple collapse | Praveen Jain | ThePrint
शिव मंदिर ढहने से मरने वालों के परिजन | प्रवीण जैन/दिप्रिंट

शिमला के पूर्व मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर ने कहा कि मंदिर एक झरने के ऊपर बनाया गया था. उन्होंने कहा, कृष्णा नगर, जहां उसी दिन भूस्खलन के बाद घर ढह गए, एक जल स्रोत के ऊपर है. उन्होंने कहा, “हमें निर्माण की बेहतर योजना के लिए जल समोच्च (मानचित्र पर जल स्तर को चिह्नित करना) की ज़रूरत है. बुनियादी ढांचे को जलवायु कार्य योजना के अनुसार बनाया जाना चाहिए.”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से हिमाचल प्रदेश में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 217 लोगों की मौत हो गई है.

दिप्रिंट ने फोन कॉल के जरिए निदेशक-सह-पदेन-विशेष सचिव (राजस्व-आपदा प्रबंधन) डी.सी. राणा तक पहुंचने की कोशिश की. हालांकि, संपर्क नहीं हो पाया है, लेकिन जवाब आने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.


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‘मानसून हुआ उग्र’

रिटायरमेंट बाद शांत जगह की तलाश में रहने वालों के लिए समरहिल एक आदर्श जगह है — बड़े और अनोखे मकान और समान विचारधारा वाले लोगों का समुदाय. हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी का टीचर कैंपस भी पास ही है और समुदाय के कई सदस्यों के लिए, मंदिर जाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था. जैसा कि पार्षद ठाकुर की सूची से पता चला, उस दिन मंदिर में कुछ प्रोफेसर भी थे.

Rescue work in progress at the site | Praveen Jain | ThePrint
घटनास्थल पर बचाव कार्य जारी | प्रवीण जैन/दिप्रिंट

चंडीगढ़ में कार्यरत आईटी पेशेवर करणदीप शर्मा ने कहा कि उनके चाचा का परिवार सोमवार को मंदिर में था.

शर्मा के चाचा, पवन शर्मा (60), उनकी पत्नी संतोष (57), उनका बेटा अमन (32), बहू अर्चना (27), और तीन नाबालिग पोतियां हवन कर रहे थे. अब तक पांच शव बरामद किए जा चुके हैं.

ठाकुर ने कहा, “यहां मार्च से ही बारिश हो रही है. जब वास्तविक मानसून आया, तो हमने सोचा कि यह हल्का होगा, लेकिन यह पहले से भी अधिक भयंकर था.”

मलबे के बगल में एक बहुमंजिला इमारत खड़ी है. मंदिर का एक हिस्सा भंडारे में खाने वालों को बैठाने के लिए था. नरेंद्र शर्मा, जिन्होंने अपने गृहनगर वापस जाने से पहले वर्षों तक दिल्ली में होटल उद्योग में काम किया था, इस विस्तार परियोजना में शामिल थे.

उन्होंने याद किया, “इतने सारे लोग मंदिर के बाहर बैठकर खाना खाते थे.” हालांकि, मंदिर का बमुश्किल नामोनिशान बचा है, ये संरचना नष्ट होने से बच गई क्योंकि पानी ने इसे पूरी तरह से पार कर लिया था.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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