बेंगलुरु, 28 नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता डी वी सदानंद गौड़ा ने बृहस्पतिवार को अपनी पार्टी की कर्नाटक इकाई में गुटबाजी पर दुख व्यक्त किया और इसे ‘‘अत्यंत दुखद’’ करार दिया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री गौड़ा ने उनके पत्र लिखे जाने के बावजूद पार्टी आलाकमान द्वारा कदम उठाने में देरी पर भी अप्रसन्नता जतायी और उससे हस्तक्षेप करने और ‘‘अनुशासनहीनता’’ में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया।
पार्टी के भीतर गुटबाजी और इस पर आलाकमान की चुप्पी पर पूछे गए एक सवाल पर गौड़ा ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव हुए, क्योंकि चुनाव एक बड़ी चुनौती होते हैं, उन राज्यों में पार्टी के मुद्दों को बाद के लिए दरकिनार किया जाना स्वाभाविक है, जहां चुनाव नहीं हैं। इसलिए कुछ देरी हो सकती है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे चुप रहेंगे।’’
उन्होंने यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हालांकि, आपके सवाल में सच्चाई है, क्योंकि मैंने दो पत्र लिखे हैं, एक पहले और दूसरा हाल ही में, क्योंकि असंतोष पनपने लगा था। हालांकि दोनों पर कोई जवाब नहीं आया, जिससे मुझे लगा कि केंद्रीय नेतृत्व यहां के मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है कि कर्नाटक, जिसे दक्षिण भारत में भाजपा के लिए प्रवेश द्वार माना जाता है, आज वहां कई दरवाजे हैं (भीतर के समूहों की ओर इशारा करते हुए)।’’
वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल के नेतृत्व में पार्टी नेताओं का एक समूह, जिसमें भाजपा विधायक रमेश जरकीहोली भी शामिल हैं, राज्य नेतृत्व, विशेषकर अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र की आलोचना कर रहा है और वक्फ भूमि मुद्दे पर पार्टी द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों से दूर रहने के बाद, इसी मुद्दे पर समानांतर आंदोलन भी कर रहा है।
यतनाल और जरकीहोली ने विजयेंद्र की खुलकर आलोचना की है और उन पर सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ ‘‘समायोजन की राजनीति’’ में लिप्त होने तथा अपने पिता एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता बी एस येदियुरप्पा के साथ मिलकर पार्टी को अपने चंगुल में रखने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
गौड़ा ने याद किया कि पार्टी में पहले उन दिग्गजों के नेतृत्व वाले गुटों के बीच बहुत अधिक गुटबाजी थी, जिन्होंने राज्य में पार्टी को खड़ा किया – दिवंगत अनंत कुमार और येदियुरप्पा। पहले भी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके गौड़ा ने कहा, ‘‘लेकिन तब दरार कभी सड़कों पर नहीं आयी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक भाजपा के इतिहास में, यह पहली बार है कि पार्टी के भीतर की आंतरिक उलझनें सड़कों पर आई हैं। यह दुखद है। राज्य में पार्टी के तथाकथित स्वयंभू वरिष्ठ नेताओं में से कोई भी, जिसमें मैं भी शामिल हूं, इसे ठीक करने की स्थिति में नहीं है, जबकि कुछ लोग चीजों को ठीक करने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें फायदा होगा, यहां पार्टी में ऐसे नेता भी हैं। इसलिए आलाकमान को हस्तक्षेप करना होगा।’’
गौड़ा ने कहा कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा विपक्ष को मुद्दे दिए जाने के बावजूद, पार्टी में आंतरिक मतभेद इस पर हावी हो रहे हैं और इससे पार्टी कार्यकर्ताओं को दुख हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब मेरे पास पार्टी की कोर कमेटी का हिस्सा होने के अलावा कोई और जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन मैं उस पार्टी की स्थिति को देखकर दुखी हूं जिसने मुझे राज्य में शासन करने के लिए पद सहित सब कुछ दिया….. यह अत्यंत दुखद है।’’ दिल्ली चुनाव से पहले कर्नाटक में पार्टी के मामलों पर ‘‘गंभीरता से विचार’’ करने की पार्टी नेतृत्व से अपील करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री गौड़ा ने उससे अनुशासन से समझौता न करने का अनुरोध भी किया।
उन्होंने कहा कि अगर विस्तृत जांच के बाद गलत लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो पार्टी एक बार फिर एकजुट हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के लोग भाजपा चाहते हैं।’’ शिगगांव, संदूर और चन्नपटना विधानसभा क्षेत्रों में हाल में हुए उपचुनावों में भाजपा की हार की ओर इशारा करते हुए गौड़ा ने कहा कि लोग कांग्रेस के कुशासन की चर्चा नहीं कर रहे, बल्कि भाजपा में विभाजन और गुटबाजी की चर्चा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के पास अच्छे विचार और एजेंडा होने के बावजूद, हमारे पास इसे भुनाने के लिए मजबूत प्रणाली का अभाव है।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा की गुटबाजी की कमजोरी कांग्रेस की ताकत बन गई है।
यतनाल और टीम द्वारा विजयेंद्र को अध्यक्ष के रूप में स्वीकार नहीं करने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए गौड़ा ने कहा, ‘‘प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा की गई थी और उस निर्णय को स्वीकार किया जाना चाहिए। अगर किसी को इस पर आपत्ति है, तो उन्हें नेतृत्व को बताना चाहिए और इस पर चर्चा सड़कों पर नहीं करनी चाहिए।’’
भाषा अमित मनीषा
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