रांची: दसवीं के एक सिख छात्र को बोर्ड परीक्षा देने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वह कृपाण लेकर जा रहा था. घटना झारखंड के बोकारो जिले की है. जिले के डीएवी स्कूल दुग्दा के छात्र करणदीप सिंह बीते 10 मई को साइंस विषय की परीक्षा देने जा रहे थे.
उनका परीक्षा केंद्र बोकारो के ही पंडित बागेश्वरी पांडेय सरस्वती विद्या मंदिर देवनगर में था. लेकिन स्कूल ने कृपाण के साथ परीक्षा केंद्र में प्रवेश देने से मना कर दिया. यह स्कूल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक विंग विद्या भारती की ओर से संचालित किया जाता है.
इस वाकए से नाराज स्थानीय सिख वेलफेयर सोसाइटी सेवा संघ ने पूरे मामले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है. वहीं स्कूल प्रशासन का कहना है कि, जो भी कार्रवाई की गई है, वह नियमसंगत है.
आरएसएस का स्कूल
छात्र करणदीप सिंह ने बताया कि, ‘बीते 10 मई को साइंस पेपर की परीक्षा थी. केंद्र में प्रवेश करने के दौरान सभी छात्र को चेक किया जा रहा था. इसी दौरान उनके कृपाण को भी चेक किया गया और कहा गया कि वह इसे लेकर अंदर नहीं जा सकते हैं. तब मैंने अपने पिता को पूरे मामले के बारे में जानकारी दी.’
करणदीप के पिता तरसेम सिंह सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के कर्मचारी हैं. उन्होंने बताया कि, ‘उस वक्त तो मैं ड्यूटी पर बोकारो से बाहर था. फोन पर बेटे से कहा कि फ्यूचर और धर्म दोनों जरूरी है, कृपाण बाहर रखकर फिलहाल परीक्षा दो.’
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‘अगली परीक्षा 14 मई को थी. उस दिन मैं अपने बेटे के साथ गया. उस दिन भी रोक दिया गया. हमारी तरफ से नियमों का हवाला देनेपर भी स्कूल प्रशासन ने बात नहीं मानी. यहां तक कि प्रिंसिपल सीधे मुंह बात तक नहीं कर रहे थे. मैंने फिर बेटे से कहा कि कृपाण बाहर रख दो.’
इसके बाद तरसेम सिंह ने पूरे मामले की जानकारी पटना स्थित तख्त हरिमंदिर पटनासाहिब को दे दी. उनके हस्तक्षेप के बाद स्थानीय सिख वेलफेयर सोसाइटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मिलकर बोकारो के जिलाधिकारी के माध्यम से पीएम मोदी को पत्र भेजा है.
कृपाण के बारे में नहीं था पता
बीते 15 मई को पीएम मोदी को लिखे पत्र में सोसाइटी के अध्यक्ष सेवा सिंह ने कहा है कि, हमारे पंथिक सिद्धांत के अनुसार पांच ककार का बहुत महत्व है और इसे शरीर से हम अलग नहीं कर सकते हैं. यह एक मात्र धार्मिक प्रतीक नहीं है परंतु अति आवश्यक है. सिख जगत का यह मानना है कि सरस्वती विद्या मंदिर जो खुद को राष्ट्रवाद का सबसे बड़ा पैरवीकार शैक्षणिक संस्थान बताता है, जबकि इस महान भारत देश में राष्ट्रवाद की बुनियाद और आधारशिला गुरु गोविंद सिंह जी के पूर्वजों और वंशजों ने अपने प्राणों और शरीर के बलिदान देकर रखी है.
उनके चाहने, उनको मानने वाले एवं उनके सिद्धांत-वसूलों की रक्षा के लिए प्राण देने वाले सिखों के साथ इस तरह का व्यवहार सरस्वती विद्या मंदिर के उद्देश्यों पर बड़ा सवाल है.
सरस्वती शिशु मंदिर जैसी प्रतिष्ठित संस्था, वह पांच ककार के महत्व से अनभिज्ञ होगी यह कल्पना से परे है. सिख जगत को ऐसा आभास हो रहा है कि प्रिंसिपल एवं स्कूल प्रशासन ने जानबूझकर यह कार्रवाई की है और कुर्सी एवं ताकत के गुरुर में छात्र करणदीप सिंह के धार्मिक अधिकारों का ही हनन नहीं किया है वरन भारत के संविधान की आत्मा एवं बुनियादी मूल्य सिद्धांत को चोट पहुंचाई है.
वहीं स्कूल के प्राचार्य रामेश्वर पाठक ने दिप्रिंट को बताया कि, ‘हमें कृपाण क्या होता है, इसके बारे में जानकारी नहीं थी. हमने तत्काल सीबीएसई के अधिकारी जगदीश बर्मन से इस बारे में बात की. पहले तो उन्होंने भी मना किया. बाद में जब मैंने देखा कि यह तो छोटा साइज का है, केवल प्रतीक चिन्ह जैसा इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में बाद में उस छात्र को परमिशन दे दी गई.’
ये बात भी चौंकाने वाली है कि आरएसएस की ओर से संचालित स्कूलों में गुरू गोविंद सिंह सहित अन्य सिख धर्म गुरूओं के बारे में जानकारी दी जाती है, उसके एक प्रिंसिपल को कृपाण के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
सोसाइटी ने स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. दिप्रिंट से बातचीत में सेवा सिंह ने कहा कि, ‘हमलोग अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. हम तख्त हरिमंदिर पटनासाहिब से निर्देशित होते हैं. वहां से निर्देश मिलने के बाद ही हमने पूरे मामले पर पत्र लिखकर पीएम को जानकारी दी है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हजारों सिख छात्र सिविल और प्रशासनिक सेवाओं और स्कूल और कॉलेज परीक्षाओं के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होते हैं, लेकिन कभी भी कृपाण ले जाने पर आपत्ति नहीं की गई. पहले भी सरस्वती विद्या मंदिर ने कभी इसका विरोध नहीं किया. इस घटना से हमारी धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है.’
जानकारी के मुताबिक झारखंड में अल्पसंख्यक आयोग लगभग निष्क्रिय है. क्योंकि हेमंत सोरेन सरकार के आने के बाद यानी साल 2020 से अब तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी है. ऐसे में इस मामले की शिकायत वहां भी दर्ज नहीं कराई जा सकती है.
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धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना मकसद नहीं
विद्याभारती के प्रदेश सचिव अजय तिवारी ने पूरे मसले पर दिप्रिंट के सामने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि, ‘एडमिट कार्ड पर साफ लिखा है कि क्या लेकर जाना है. उसमें सीबीएसई ने कहीं भी कृपाण ले जाने का जिक्र नहीं किया है. ऐसे में हम कैसे लेकर जाने देते.’
एडमिट कार्ड पर तो यह भी नहीं लिखा है कि कृपाण लेकर नहीं जा सकते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, ‘तब तो हिजाब पहनकर परीक्षा देने की भी अनुमति दे दी जानी चाहिए.’
वो आगे कहते हैं, ‘कृपाण वही रख सकता है जिसने अमृत चखा (एक सिख धार्मिक संस्कार) हो. हालांकि मैं ये साफ मानता हूं कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाया जाना चाहिए. लेकिन इस मामले में स्कूल और बच्चे को गार्जियन में बात हो गई है. मामला सुलझा लिया गया है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता इस मामले को तूल दे रहे हैं.
झारखंड हाईकोर्ट के वकील सोनल तिवारी कहते हैं, ‘आर्टिकिल 25 धार्मिक स्वतंत्रता के तहत कृपाण अलाउड है. यह सिख समुदाय का एक धार्मिक हिस्सा है. यहां तक कि कृपाण आर्म्स एक्ट में भी नहीं आता है. छात्र को रोकना तभी सही माना जाएगा जब यह पता हो कि सीबीएसई ने इसको नहीं ले जाने को लेकर कोई गाइडलाइन जारी किया हो. मेरी जानकारी में तो ऐसी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है.’
हाल ही में एयर इंडिया ने सिक्योरिटी एडवाइजरी जारी किया है, जिसके तहत उसने सिख यात्रियों को कृपाण लेकर जाने की अनुमति दी है. मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन की तरफ से 12 मार्च 2022 को जारी एक एडवाइजरी के मुताबिक कृपाण का कुल लेंथ 9 इंच से ज्यादा और ब्लेड का लेंथ 6 इंच से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
ऐसे में सवाल उठता है कि आनेवाले समय में किसी छात्र के साथ इस तरह का व्यवहार न हो, इसके लिए क्या सीबीएसई कोई गाइडलाइन जारी करेगी. क्या विद्या भारती इस संबंध में अपने स्कूल प्रशासकों को कोई निर्देश जारी करेगी.
(आनंद दत्त स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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