तिरुवनंतपुरम, छह अक्टूबर (भाषा) केरल के देवस्वओम मंत्री वी एन वासवन ने सोमवार को सबरीमला मंदिर में स्वर्ण-प्लेटिंग में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के उच्च न्यायालय के निर्देश का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि जांच से सच्चाई सामने आएगी।
मंत्री ने कहा कि ये आरोप त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) द्वारा आयोजित ग्लोबल अयप्पा संगमम से ठीक तीन दिन पहले सामने आए थे, और इसलिए सरकार को इन घटनाओं के पीछे एक साजिश का संदेह है।
वासवन ने विपक्ष पर इस मुद्दे की ‘गलत व्याख्या’ करने और इसे भ्रामक तरीके से प्रचारित करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने व्यवसायी उन्नीकृष्णन पोट्टी की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘खुलासा’ करने वाली बात है कि जिस व्यक्ति ने शुरू में ‘सोने के एक स्तंभ के गायब होने’ की शिकायत की थी, बाद में पता चला कि वह (स्वयं) इसे छिपा रहा था। पोट्टी ने सबरीमला में सोने की परत चढ़ाने के काम को प्रायोजित किया था।
मंत्री ने कहा कि यह सामने आया है पहले सबरीमला में पुजारियों की सहायता के लिए आगे आने वाले पोट्टी बाद में कई संदिग्ध हस्तक्षेपों में शामिल रहे।
वसावन ने कहा, ‘‘हम एसआईटी जांच के संबंध में अदालत के फैसले का तहे दिल से स्वागत करते हैं। सच्चाई एक-एक करके सामने आनी चाहिए।’’
केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को सबरीमला में द्वारपालक (संरक्षक देवता) की मूर्तियों पर सोने से मढ़ी तांबे की प्लेटों का वजन कम करने से संबंधित कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी और न्यायमूर्ति के वी जयकुमार की पीठ ने टीडीबी सतर्कता दल द्वारा मामले की प्रारंभिक जांच पर अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया।
उच्च न्यायालय ने हाल ही में टीडीबी सतर्कता दल को द्वारपालक की मूर्तियों के कम वजन की जांच करने का निर्देश दिया था, क्योंकि उन्हें इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए चेन्नई स्थित एक फर्म को भेजा गया था और यह परियोजना 2019 में पोट्टी द्वारा प्रायोजित थी।
वसवन ने कहा कि सरकार और टीडीबी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे 1998 (जिस वर्ष व्यवसायी विजय माल्या ने सोना दान किया था) से लेकर आज तक सबरीमला के मामलों की उच्च-स्तरीय जांच चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वयं जांच का आदेश नहीं दिया है क्योंकि सबरीमला से संबंधित सभी मामले उच्च न्यायालय की प्रत्यक्ष निगरानी में हैं।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि टीडीबी कोई भी निर्णय—विशेषकर सोने और चाँदी के प्रबंधन से संबंधित—केवल अदालत की अनुमति से ही ले सकता है।
वसवन ने आगे कहा कि मंदिर के दैनिक कार्यों में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और वह केवल तीर्थयात्रा को सुचारू रूप से चलाने और विकास परियोजनाओं के कुशल कार्यान्वयन के लिए विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करती है।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘सरकार देवस्वम बोर्ड के राजस्व से एक पैसा भी नहीं लेती है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि एसआईटी का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक एस शशिधरन करेंगे और इसकी निगरानी अपराध शाखा प्रमुख एवं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एच वेंकटेश करेंगे।
पिछले सप्ताह, न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के टी शंकरन की देखरेख में सबरीमला मंदिर में सोने सहित सभी कीमती वस्तुओं की एक व्यापक सूची तैयार करने का आदेश दिया था।
जांच के एक भाग के रूप में, टीडीबी सतर्कता विभाग ने अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले पोट्टी से दो दिन तक पूछताछ की थी।
भाषा रंजन मनीषा
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