नई दिल्ली: कोरोना वायरस से प्रभावित ईरान में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए भारत के चिकित्सकों का एक विशेष दल लोगों के पहले समूह के साथ भारत पहुंच गया है.
विदेश मंत्री ने कहा कि 58 लोगों के पहले समूह को ईरान से लाया जा रहा है. भारतीय वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर तेहरान से उड़ान भर चुका है और कुछ ही समय में विमान गाजियाबाद के हिंडन एयर बेस पहुंच जाएगा.
विदेश मंत्री ने भारतीय मेडिकल टीम और ईरानी दूतावासों के चुनौतीपूर्ण समय में किए गए प्रयासों की सराहना की. उन्होंने भारतीय वायु सेना को धन्यवाद कहा और कहा कि हम ईरानी प्रशासन के सहयोग की सराहना करते हैं.
EAM S Jaishankar: Thanks to the efforts of our Embassy in Iran and Indian medical team there, operating under challenging conditions. Thank you Indian Air Force. We appreciate cooperation of Iranian authorities. We are working on the return of other Indians stranded there. https://t.co/fXp4grbibC
— ANI (@ANI) March 10, 2020
भारतीय वायु सेना के अनुसार उसके सी-17 ग्लोब मास्टर सैन्य विमान ने ईरान के लिए हिंडन एयरबेस से रात आठ बजकर तीस मिनट पर उड़ान भरी थी.
ईरान में लगभग दो हजार भारतीय रह रहे हैं. ताजा खबरों के अनुसार ईरान में कोरोना वायरस से 237 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सात हजार लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को औचक दौरे पर कश्मीर पहुंचे और कोरोना वायरस से प्रभावित ईरान में फंसे छात्रों के अभिभावकों के अलावा पर्यटन उद्योग के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. विदेश मंत्री ने दोनों समूहों को आश्वासन दिया कि सरकार उनकी समस्याओं से अवगत है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
जयशंकर की यात्रा को गोपनीय रखा गया था और वह हवाई अड्डे से सीधे कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन परिसर पहुंचे जहां उन्होंने ईरान में फंसे छात्रों के करीब 100 अभिभावकों से मुलाकात की.
परिसर में एकत्र लोगों ने कहा कि वे इस बात से अनजान थे कि वे किनसे मिलने वाले हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें कश्मीर के संभागीय आयुक्त कार्यालय से फोन कॉल आया और उन्हें बैठक के लिए आने को कहा गया.
जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि ईरान में फंसे भारतीय छात्रों के परिवारों से श्रीनगर में मुलाकात की. उन्हें आश्वासन दिया कि ईरान में हमारा दूतावास स्थिति की निगरानी कर रहा है. हम भारत में उनकी जल्द वापसी सुगम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
जम्मू कश्मीर और लद्दाख के करीब 300 लोग अभी ईरान में फंसे हुए हैं. इनमें छात्र, तीर्थयात्री और अन्य निवासी शामिल हैं.
मुलाकात के दौरान मौजूद अधिकारियों के अनुसार अभिभावकों ने मंत्री से कहा कि अगर चीन से छात्रों को वापस लाया जा सकता है तो ईरान के मामले में देरी क्यों हो रही है.
अधिकारियों के अनुसार, मंत्री ने अभिभावकों को बताया कि पहले बुजुर्गों और तीर्थयात्रियों को तथा उसके बाद छात्रों को लाया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ईरान से वापस लाए गए किसी भी व्यक्ति को 14 दिनों के लिए पृथक केंद्र में रखा जाएगा.
मध्य कश्मीर के बडगाम शहर के निवासी शब्बीर हुसैन ने कहा, ‘मेरी बेटी ईरान में है. मुझे यहां आने के लिए संभागीय आयुक्त कार्यालय से फोन आया था, इसलिए मैं आया. मंत्री ने कहा कि सरकार उन्हें वापस लाएगी, लेकिन हम बहुत चिंतित हैं …. हमने मंत्री से उन्हें तुरंत वापस लाने का अनुरोध किया.’
विदेश मंत्री ने कश्मीर होटल व्यवसायी संघ, टूर एंड ट्रैवल ऑपरेटर्स एसोसिएशन और हाउस बोट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की.
मंत्री ने एक ट्वीट में कहा था, ‘उनसे स्पष्ट संदेश सुना कि वे आगामी पर्यटन सीजन के लिए तैयार हैं. उनसे वादा किया कि सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों का समर्थन करेगी, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर.’
मंत्री ने लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू सहित सेना के शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात की. वह उत्तरी कश्मीर में बारामूला भी गए जहां उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ मुलाकात की.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा था, ‘बारामूला में स्थानीय समुदाय के साथ बातचीत की. कई परियोजनाओं का ई-उद्घाटन किया… विश्वास है कि बेहतर भविष्य के प्रति उनका भरोसा पूरा होगा.’
जयशंकर ने श्रीनगर में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय का भी दौरा किया और इसके कामकाज का जायजा लिया.
भारतीय वायु सेना ने सोमवार को एक ट्वीट किया था, ‘ईरान से भारतीयों को हवाई मार्ग से वापस लाने के लिए भारतीय वायु सेना के एक सी-17 ग्लोबमास्टर विमान ने आज रात साढ़े आठ बजे उड़ान भरी. विमान में विशेषज्ञ चिकित्सकों का एक दल मौजूद है. भारतीय नागरिकों को हवाई मार्ग से हिंडन लाया जाएगा जहां चिकित्सा सुविधाओं के साथ पृथक वार्ड स्थापित किया गया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)