नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार शाम को दो दिन की राजकीय यात्रा के लिए दिल्ली पहुंचें. यहां वह भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के 23वें सत्र में हिस्सा लेंगे.
रूस के राष्ट्रपति पुतिन का प्लेन शाम को दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड किया जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें रिसीव किया.
यह यात्रा भारत और रूस के नेतृत्व को द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा करने, ‘स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ को मजबूत करने की दिशा तय करने और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का अवसर देगी.
पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रूसी राष्ट्रपति की यह यात्रा भारत और रूस के नेतृत्व को द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने, ‘स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ को मजबूत करने की दिशा तय करने और आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का अवसर देगी.
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक स्तर पर तनाव गहरा रहा है. लगभग चार साल से चल रहे संघर्ष ने रूस को पश्चिमी बैंकिंग सिस्टम और व्यापार नेटवर्क से काफी हद तक अलग कर दिया है. इसी दौरान भारत और रूस ने आर्थिक संबंधों को और मजबूत किया है, और नई दिल्ली रूसी तेल की सबसे बड़ी खरीदारों में से एक बन गई है.
पिछले वित्त वर्ष में नई दिल्ली ने मॉस्को से लगभग 56 अरब डॉलर का तेल आयात किया. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के इस रूसी तेल व्यापार पर “दंड” लगाए थे और 25 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ा दिया था.
रूसी राष्ट्रपति शुक्रवार शाम को रवाना होंगे. वार्ता के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिनमें लंबे समय से चल रहे रक्षा संबंध, सिविल परमाणु साझेदारी और भारत-रूस व्यापार को वैश्विक प्रतिबंधों से बचाने के तरीके शामिल हैं.
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को खत्म करने के लिए चल रही बातचीत की मौजूदा स्थिति भी मोदी और पुतिन की चर्चा का हिस्सा हो सकती है. भारत का कहना है कि यह युद्ध का समय नहीं है और समाधान सिर्फ बातचीत और कूटनीति से ही निकलेगा. हालांकि, भारत ने युद्ध खत्म करने के लिए किसी मध्यस्थता या बातचीत में हिस्सा नहीं लिया है.
2021 के बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा
यह यात्रा 2021 के बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा है. दोनों नेता आखिरी बार इस साल 1 सितंबर को चीन के तिआनजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर आमने-सामने मिले थे.
उस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूसी राष्ट्रपति की कार में बैठकर अपने द्विपक्षीय बैठक के स्थल तक गए थे. बाद में, पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति के साथ सारगर्भित बातचीत की.
पीएम मोदी रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति के प्रबल समर्थक रहे हैं और कई बार राष्ट्रपति पुतिन से कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है, क्योंकि दुनिया इस समय खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा जैसी बड़ी चिंताओं का सामना कर रही है.
इस बीच, रूसी राष्ट्रपति की इस यात्रा के दौरान रूसी प्रतिनिधिमंडल व्यापार और आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी, और सांस्कृतिक व मानवीय क्षेत्रों में सहयोग पर व्यापक चर्चा करेगा. मौजूदा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दे भी एजेंडे में शामिल होंगे.
इस यात्रा के दौरान दोनों देशों की सरकारी संस्थाओं के बीच 10 अंतर-सरकारी दस्तावेज और 15 से अधिक समझौते और ज्ञापन हस्ताक्षर के लिए तैयार किए जा रहे हैं, तास ने बताया.
यह उनकी पहली भारत यात्रा है जब से 2022 में यूक्रेन संघर्ष शुरू हुआ था. वह आखिरी बार दिसंबर 2021 में भारत आए थे. पुतिन की यह दो दिवसीय यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर हो रही है.
प्रधानमंत्री मोदी पुतिन के लिए एक निजी डिनर की मेजबानी करेंगे.
5 दिसंबर को पुतिन को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत और तीनों सेनाओं की गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा, जिसके बाद वह राजघाट जाएंगे और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे.
दोनों नेता हैदराबाद हाउस में सीमित दायरे की बैठक और अपने प्रतिनिधिमंडलों के साथ चर्चा करेंगे.
कई समझौते व्यापार, अर्थव्यवस्था, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर केंद्रित होंगे.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, पुतिन की यात्रा भारत और रूस के नेतृत्व को द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने, ‘स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ को मजबूत करने की दिशा तय करने और आपसी हित के क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर देगी.
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