गुवाहाटी, 21 मार्च (भाषा) राज्यसभा चुनाव के लिए, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा द्वारा कांग्रेस के निलंबित विधायक शशिकांत दास का समर्थन मांगने का दावा करने के एक दिन बाद, विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने सोमवार को एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि उच्च सदन में चुनाव के लिए विपक्षी दलों के विधायकों का वोट मांगने की कोई रोक नहीं है।
दैमारी ने कहा कि दल बदल रोधी कानून में संशोधन होने के बाद “कोई भी किसी भी उम्मीदवार को वोट दे सकता है।” इससे पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा विपक्ष के विधायकों को कथित तौर पर “खरीदने” के मुद्दे पर असम विधानसभा में हंगामा होने के बाद सरमा ने दैमारी का ध्यान अन्य मुद्दों की ओर आकर्षित किया।
सरमा ने कहा, “विपक्ष मुझसे राहा में दास के घर जाने पर सवाल कर रहा है। अध्यक्ष महोदय, कृपया आज आप तीन बिंदुओं पर अपना फैसला सुनाएं। पहला, क्या कोई मुख्यमंत्री या मंत्री विपक्षी दल के विधायक के घर नहीं जा सकता? मैं सभी को समान मानता हूं और किसी निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करते समय सभी के घर जाता हूं।”
मुख्यमंत्री ने राज्यसभा चुनाव में प्रचार करने की अनुमति है या नहीं इस पर स्पष्टीकरण मांगा और पूछा कि क्या उच्च सदन के चुनाव “लोकतंत्र के उत्सव” के तहत आते हैं या नहीं। सरमा ने यह भी दावा किया कि राज्यसभा के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार ने उनसे राज्यसभा चुनाव के लिए समर्थन मांगा।
उनके सवालों का जवाब देते हुए अध्यक्ष ने कहा, “एक मुख्यमंत्री राज्य के किसी भी विधायक के घर जा सकता है। मुख्यमंत्री का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं होता और वह किसी भी जगह जा सकता है। आमंत्रित नहीं किये जाने पर भी कोई मुख्यमंत्री स्थिति की समीक्षा करने के लिए किसी जगह जा सकता है।”
दैमारी ने यह भी कहा कि राज्यसभा चुनाव में प्रचार करने की अनुमति है और इसके लिए सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार के विपक्षी विधायक का वोट मांगने पर कोई रोक नहीं है।
उन्होंने कहा, “दल बदल कानून में हाल में किये गए संशोधन के अनुसार, अगर कोई विधायक अपनी पार्टी के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के लिए वोट करता है तो उसे दल बदल नहीं माना जाएगा। पार्टी भले ही उसे प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दे लेकिन कानूनी तौर पर उस पर कोई बंधन नहीं है (कि वह किसी विशेष व्यक्ति को ही वोट दे।) कोई भी, किसी भी उम्मीदवार के लिए वोट दे सकता है।”
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