नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने तबलीगी जमात को निशाने पर लेते हुए कहा कि जमात के अधिकारियों को संघ की तरह ही ज़िम्मेदारी का परिचय देते हुए अपने कार्यक्रमों को रद्द कर देना चाहिए था. इस तरह से कोरोनावायरस से लड़ने के खिलाफ मदद मिलती.
वीडियो कांफ्रेसिंग के ज़रिये प्रेस को संबोधित करते हुए वैद्य ने कहा की संघ ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए थे. वैद्य ने जमात की आलोचना करते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय स्वयं उनके विरोध में है और प्रशासन को उनके छुपने के ठिकानों की जानकारी दे रहा है, जो प्रशंसनीय है.
वैद्य ने कहा, ‘कोरोनावायरस के केस निश्चित तौर पर राजधानी में आयोजित हुए जमात के कार्यक्रम की वजह से बढ़ रहे हैं. हर कोई इस से सहमत होगा. आंकड़ें खुद सच्चाई बता रहे हैं. अगर उनके आला नेतृत्व ने समय पर फैसला लिया होता और ये कार्यक्रम रद्द कर दिया होता तो अच्छा होता’.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 30 प्रतिशत कोरोनावायरस के मामलों के तार तबलीगी जमात के निजामुद्दीन में आयोजित कार्यक्रम से जुड़े हैं. 17 राज्यों में फैले 1000 मामले मार्च में जमात द्वारा आयोजित कार्यक्रम से जुड़े हैं. करीब 22,000 जमात सदस्यों और उनके संपर्क में आये लोगों को क्वारेंटाइन कर दिया गया है.
गैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार
संघ का उदाहरण देते हुए वैद्य ने कहा कि संगठन ने कोरोनावायरस के मद्देनज़र मार्च में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक रद्द कर दी थी. ज्ञात हो कि संघ के बड़े फैसले इसी बैठक में लिए जाते हैं.
‘जो सजगता और ज़िम्मेदारी संघ के अधिकारियों ने दिखाई, वही अगर जमात के नेता भी दिखाते तो स्थिति टल सकती थी.’
जमात के कुछ लोगों द्वारा मेडिकल स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार की खबरों का हवाला देते हुए वैद्य ने कहा कि यदि उस समय जमात के लोग निर्णय नहीं ले सके, तो कम से कम उन्हें स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ ज़िम्मेदारी पूर्ण व्यवहार करना चाहिए था.
वैद्य ने कहा, ‘बाद में छुपे रहना, छुपाना, जो जांच करने के लिए आ रहे हैं उनकी सेवा के लिए उनसे बेहूदा व्यवहार करना, ये तो विकृति का ही दर्शन है’.
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‘जो वो कर रहे हैं यह भारत की परंपरा के खिलाफ है. अगर गलती से किसी का पैर लगता है तो हम नमस्कार करते हैं.’
हालांकि वैद्य ने ये भी कहा कि जो कुछ तबलीगी के सदस्य कर रहे हैं, उसे पूरे मुस्लिम समुदाय से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए. ‘मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार किया है. पर दुर्भाग्यवश, समुदाय का एक हिस्सा ज़िम्मेदार नहीं है. वे संवेदनहीन और अस्वीकार्य बर्ताव कर रहे हैं.’
जमात द्वारा पूरे भारत को संक्रमित करने के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम की अफवाहों के सवाल पर वैद्य ने कहा कि ये अफवाह कितनी सच है ये वो नहीं बता सकते, परन्तु ये साफ़ है की जमात की सच्चाई सामने आ रही है. ‘मुस्लिम समुदाय के लोग भी उनका विरोध कर रहे हैं. कितनी ही जगहों पर जहां ये लोग मस्जिदों में छुपने की कोशिश कर रहे हैं, मुस्लिम समुदाय के अन्य लोग प्रशासन को इनका पता बता रहे हैं’.
‘उनकी सच्चाई अपने समुदाय के लोगों के सामने भी आ रही है. मुझे लगता है इस से कुछ तो अच्छा हासिल होगा.’
वैद्य ने ये भी बताया कि संघ शिक्षा वर्गों सहित संगठन के सभी कार्यक्रम मौजूदा हालातों को देखते हुए जून तक के लिए रद्द कर दिए गए हैं. उन्होंने मोदी सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि समाज को भी अपने हिस्से का योगदान देना ज़रूरी है.
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