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Friday, 22 November, 2024
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आरएसएस की संस्था संसद के शीतकालीन सत्र में सांसदों को सिखाएगी संस्कृत

संस्कृत भारती के शिक्षक सांसदों को प्रशिक्षित करेंगे और शिविर के दौरान इस भाषा को सीखने और याद रखने के लिए दो छोटी मैन्युअल पुस्तिकाएं भी वितरित की जाएंगी.

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नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी संस्था संस्कृत भारती चाहती है कि सांसद संस्कृत भाषा सीखें और बोलें जिससे संस्कृत को बड़े स्तर पर बढ़ावा मिल सके. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में सांसदों को 15 दिनों के प्रशिक्षण शिविर में ट्रेनिंग दी जाएगी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से बातचीत हो गयी है. उन्होंने शीतकालीन सत्र में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने पर सहमति जता दी है.

सांसदों के लिए संस्कृत कार्यशाला

संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संयोजक दिनेश कामत ने कहा, ‘हमारी लोकसभा अध्यक्ष से बातचीत हुई थी और उन्होंने सांसदों के लिए एक घंटे का दैनिक कार्यक्रम बनाने का सुझाव दिया, हम संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी से बात करेंगे. समय को और बढ़ाया जा सकता है. हम चाहते हैं कि पहले बैच में 30-40 सांसद संस्कृत सीखें.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा ध्यान भाषा पर होगा, हम चाहते हैं कि सांसदों को इस प्राचीन भाषा को बढ़ावा देने के लिए दैनिक बातचीत में संस्कृत बोलनी चाहिए.’

आरएसएस समर्थित एनजीओ इस भाषा का प्रचार-प्रसार करता है. इसकी वेबसाइट के अनुसार 19 देशों में इसके कुल 4500 सेंटर हैं.

संस्कृत भारती के शिक्षक सांसदों को प्रशिक्षित करेंगे और शिविर के दौरान इस भाषा को सीखने और याद रखने के लिए दो छोटी मैन्युअल पुस्तिकाएं भी वितरित की जाएंगी. एक व्यवहार साहस्री है जिसमें नियमित रूप से बातचीत के लिए संस्कृत के 1000 वाक्य सीखने का उल्लेख किया गया है.

संस्कृत को आगे बढ़ाने का आइडिया

इस प्रशिक्षण शिविर के पीछे का विचार संस्कृत को नीति निर्माताओं के बीच लोकप्रिय बनाना है, ताकि वे आम आदमी को संस्कृत सीखने का संदेश दे सकें. संस्कृत भाषा प्राचीन भारत की प्रमुख भाषा थी.


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संस्कृत भारती के प्रांतीय आयोजक सचिव कौशल किशोर तिवारी ने कहा, ‘संस्कृत योग, वेद, विज्ञान, गणित, ज्योतिष की भाषा है, लेकिन लोकप्रियता के अभाव में हमारा प्राचीन ज्ञान जन-जन तक नहीं पहुंच पाता है. हम चाहते हैं कि निर्वाचित सांसद और विधायक इस भाषा को बढ़ावा देने के लिए रोल मॉडल बनें.’

पिछले साल जून में संस्कृत भारती के प्रोत्साहन के बाद केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, प्रताप सारंगी, मीनाक्षी लेखी, राजीव प्रताप रूडी सहित 47 सांसदों ने संस्कृत में शपथ ली और नए आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उन सभी सांसदों को एक कार्यक्रम में सम्मानित किया जिन्होंने संस्कृत में शपथ ली थी. पोखरियाल निशंक संस्कृत बोलने वाले गांव को मॉडल गांव स्थापित करने की योजना पर जोर दे रहे हैं जहां बातचीत की भाषा केवल संस्कृत होगी.

नौकरी उन्मुख संस्कृत पाठ्यक्रम

संस्कृत भारती चाहती है कि संस्कृत को बड़े पैमाने पर स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाया जाए. संस्था विश्वविद्यालय में संस्कृत पाठ्यक्रम शुरू करने का इरादा रखती है जो नौकरी उन्मुख हो. योग शिक्षक, ज्योतिषी और वैदिक विज्ञान के शिक्षकों की भारी मांग है. हम चाहते हैं कि विश्वविद्यालय ऐसे पाठ्यक्रमों को शुरू करे जो रोजगार के अवसर पर आधारित हो. रोजगार के बिना विद्वान बनाने का कोई मतलब नहीं है. नाम न बताने की शर्त पर एक पदाधिकारी ने कहा कि उन्होंने यूजीसी और एचआरडी मंत्रालय को रोजगार देने वाले पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए जानकारी दी है.

1980 में स्थापित संस्कृत भारती ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सुझाव दिया है कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत को भी 3 भाषा सूत्र में शामिल किया जाए.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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