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Friday, 22 November, 2024
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आरएसएस चाहता है, कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के लिए अलग से कालोनियां बनाए मोदी सरकार

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीरी पंडितों को आशा थी कि केंद्र की भाजपा सरकार उनके पुनर्विस्थापन के लिए भी कुछ कहेगी.

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नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीरी पंडितों को आशा थी कि केंद्र की भाजपा सरकार उनके पुनर्विस्थापन के लिए भी कुछ कहेगी. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. इस बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. एक अनुमान है कि 3 लाख कश्मीरी पंडित विस्थापितों का जीवन जी रहे हैं.

आरएसएस चाहता है कि न केवल कश्मीरी पंडितों को नवनिर्मित जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में रहने की सुरक्षित जगह मिले पर वहां उनके लिए सौहार्दपूर्ण माहौल भी बने. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट हिंदी से बातचीत में कहा,’ कश्मीरी पंडितों का सुरक्षा के साथ पुनर्वसन होना चाहिए. एक दो या तीन जगह कालोनियों में उन्हें एक साथ रखा जाए. सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए. वहीं उन्हें रोजगार के भी  बराबर अवसर मिलना चाहिए.’

संघ ​परिवार ने इस बारे में अपना संदेश सीधे तौर पर सरकार तक भी पहुंचाया है. आपको याद होगा कि दशहरा रैली में संघ प्रमुख मोहनराव भागवत ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार पुरज़ोर तरीके से कश्मीरी पंडितों की बात उठाई थी. उन्होंने कहा, ‘वहां से अन्यायपूर्वक निकाल दिए गए हमारे कश्मीरी पंडितों का पुनर्वसन, उनकी निर्भय, सुरक्षित तथा देशभक्त व हिंदू बने रहने की स्थिति में होगा. कश्मीर के रहिवासी जनों को अनेक अधिकार, जिनसे वे अब तक वंचित थे, प्राप्त होंगे.’

अब संघ के तमाम पदाधिकारी अपनी इस ठोस रणनीति को सरकार से कार्यान्वयन की अपेक्षा रख रहे हैं.


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क्या चाहता है संघ

संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट से कहा कि संघ कश्मीर पर सरकार के कदम से संतुष्ट है पर वह चाहता है कि भुलाए गए विस्थापित कश्मीरियों के लिए वो पुख्ता कदम उठाएं. संघ का सुझाव है कि:

1. विस्थापित कश्मीरी पंडित देश में जहां भी हों, उनकी केंद्र शासित प्रदेश में नई सरकार बनने के साथ ही पुनर्वसन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए.

2. संघ का मानना है कि कश्मीरी पंडितों के लिए सबसे अहम मुद्दा सुरक्षा है. केंद्र सरकार और स्थानीय सरकार उनकी सुरक्षा की गारंटी को लेकर कोई ठोस कानून बनाए. ताकि यह लोग बिना डरे जम्मू-कश्मीर में जाकर रह सकें. ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े.

3. कश्मीरी पंडितों को एक ही जगह घर बनाकर दिया जाए ताकि वे सुरक्षित रह सकें. संघ का मत है कि अलग अलग रहने की बजाय उनकी कालोनी बनाई जाए ताकि वे एक साथ रह सकें. फिल्हाल जो कुछ कालोनियां बनी हैं, इनमें से कुछ में एक फ्लैट में दो परिवार रह रहे हैं. सभी को एक-एक फ्लैट मुहैया करवाए जाएं.

4. विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए रोज़गार सबसे अहम है. सरकार यह तय करे कि उनकी जीविका कैसे चलेगी. योग्याता के हिसाब से रोज़गार के अवसर मुहैया कराएं.

5. देशभर के विभिन्न राज्यों में रहे कश्मीरी पंडितों की अलग से जनगणना की जाए, ताकि विस्थापित कश्मीरी पंडितों की संख्या कितनी है उसका सही आकड़ा निकल के आए.

6. सरकार कश्मीरी पंडितों की संस्थाओं और इससे जुड़े लोगों के साथ चर्चा कर पंडितों की नुकसान हुई संपत्ति, कब्जा की गई संपत्ति या ज़मीन को उन्हें कैसे वापस दिला सकती है इसका प्रयास करे.

संघ के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी का मानना है कि सरकार कश्मीर में रहने वाले लोगों का ‘पंडितों के बारे में नज़रिए को कैसे बदल सकती है ताकि उनका राज्य में स्वागत हो और वे सुरक्षित महसूस कर सकें.’ आरएसएस का मत है कि घाटी में कुछ लोगों में पाये जाने वाली जिहादी मानसिकता को दूर करने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए.

दशहरा रैली में यह कहा था संघ प्रमुख भागवत ने

नागपुर के दशहरा रैली के अपने भाषण में संघ प्रमुख मोहन राव भागवत ने कहा था कि नई सरकार सबसे पहले अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर काम किया. इस मामले में सरकार ने दोनों सदनों में अन्य मतों के राजनैतिक दलों का भी समर्थन प्राप्त कर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया. इस काम के लिए देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सत्ताधारी दल सहित इस जनभावना का संसद में समर्थन करने वाले अन्य दल भी अभिनंदन के पात्र हैं.

संघ प्रमुख भागवत ने अपने उद्बोधन में यह भी कहा था, ‘यह कदम अपनी पूर्णता तब प्राप्त कर लेगा, जब 370 के प्रभाव में न हो सके न्याय कार्य सम्पन्न होंगे. तथा उसी प्रभाव के कारण चलते आये अन्यायों की समाप्ति होगी. वहां से अन्यायपूर्वक निकाल दिए गए हमारे कश्मीरी पंडितों का पुनर्वसन, उनकी निर्भय, सुरक्षित तथा देशभक्त व हिंदू बने रहने की स्थिति में होगा. कश्मीर के रहिवासी जनों को अनेक अधिकार, जिनसे वे अब तक वंचित थे, प्राप्त होंगे और घाटी के बंधुओं के मन में यह जो गलत डर भरा गया है, कि 370 हटने से उनकी जमीनें, उनकी नौकरियां इन पर बड़ा संकट पैदा होने वाला है, वह दूर होकर आत्मीय भाव से शेष भारत जनों के साथ एकरूप मन से देश के विकास में वो अपनी जिम्मेवारी भी बराबरी से संभालेंगे.’


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कश्मीरी हिंदू समाज की अपने घरों में हो वापसी

इसके अलावा के हाल ही में ओडिशा के भुवनेश्वर में संपन्न हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में भी कश्मीरी पंडितों से जुड़े मसले पर भी चर्चा हुई. बैठक के बाद कश्मीरी पंडितों की वापसी के संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था, ‘सुरक्षा कारणों से कश्मीरी पंडितों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा था. हम चाहते हैं कि कश्मीर में सुरक्षा का पुन:वातावरण बने ताकि कश्मीरी हिन्दू समाज की उनके अपने घरों में वापसी हो सके’.

कश्मीरी पंडित क्या चाहते हैं

कश्मीरी पंडितों की संस्था पनुन कश्मीर के उप प्रमुख रमेश मनवाटी ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसला का स्वागत करते हैं. ​हमारी तरफ से राज्य का अभी पुर्नगठन अधूरा है. अभी का जो माहौल है उसमें वैली में वापस नहीं जाया जा सकता. हमारा मानना है कि वादी में कश्मीरी विस्थापितों और भारतीयों को एक अलग से केंद्र शासित शहर का निर्माण हो. जिसे पनुन कश्मीर का नाम दिया जाए. सरकार से हम अपेक्षा रखते हैं कि हमारी यह भी मांग पूरी हो. इसके लिए हम सरकार को हर तरह से सपोर्ट को तैयार हैं.’

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