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Sunday, 22 December, 2024
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आरएसएस स्वयंसेवक ने एवरेस्ट पर लगाई ‘शाखा’, एशिया के बाहर सबसे ऊंची चोटी पर लहराया सीएए के समर्थन में झंडा

पर्वतारोही विपिन चौधरी कहते हैं कि 7 समिट में से वह अभी तक 4 पर चढ़ाई कर चुके हैं. वह उन चारों पर भी जल्द ही चढ़ाई करेंगे और हिंदुत्व का संदेश देंगे.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारी और पर्वतारोही विपिन चौधरी ने माउंट एवरेस्ट पर एक ‘शाखा’ चलाने का दावा किया है, और एशिया के बाहर सबसे ऊंचे पर्वत दक्षिण अमेरिका स्थित एकोनकागुआ पर नागरिक संशोधन अधिनियम के समर्थन में बैनर भी फहराया है.

शाखा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मूल इकाई है और प्रतिदिन देशभर में 60,000 से अधिक आयोजित की जाती है. प्रत्येक शाखा में, सदस्य भगवा ध्वज उठाते हैं और उसे सलाम करते हैं (जिसे ‘धवजप्रणाम’ कहा जाता है). शाखा के आखिरी चरण में वह संस्कृत में प्रार्थना करते हैं जिसका अर्थ है राष्ट्र के गौरव की तलाश करना.

चौधरी उत्तर प्रदेश के मुरादनगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह महानगर कार्यवाह हैं, और एक उत्साही पर्वतारोही हैं. चौधरी 22 मई 2019 को एवरेस्ट (29,029 फीट) की चढ़ाई कर चुके हैं. वहीं इसी साल 18 दिसंबर को दक्षिण अमेरिका के अर्जेंटीना के पहाड़ एकोनकागुआ पर भी चढ़ाई कर चुके हैं. यह सारे पहाड़ ‘सेवन समिट’ का हिस्सा हैं.

प्रत्येक महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियां पर्वतारोहियों का प्रमुख लक्ष्य होती हैं. वह अफ्रीका स्थित तनज़ानिया के पहाड़ किलिमनजारो (19,341 फीट) की चढ़ाई 16 दिसंबर 2017 को और 24 जुलाई को रूस (यूरोप) स्थित माउंड एलबर्स (18,510 फीट) पर भी चढ़ाई कर चुके हैं.

सीएए के समर्थन में एकोनकागुआ पर और एवरेस्ट पर तिरंगा

दिप्रिंट से बात करते हुए चौधरी ने बताया कि शाखा संचालन के दौरान भगवा ध्वज फहराने के साथ-साथ, उसने एवरेस्ट पर तिरंगा भी लहराया है.

उन्होंने कहा, ‘जब मैं माउंट एवरेस्ट पर पहुंचा, तो मैंने सबसे पहले राष्ट्रीय तिरंगा लहराया, और फिर मैंने भगवा ध्वज फहराया और वहां आरएसएस की शाखा लगाई .’

नेपाल सरकार द्वारा विपिन चौधरी के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के बाद दिया गया सर्टिफिकेट/ विशेष व्यवस्था से

चौधरी ने कहा ‘यह एक सपना सच होने जैसा था.’ चौधरी ने कहा, ‘न केवल मैं एवरेस्ट की शिखर पर पहुंचा हूं, बल्कि मैंने वहां आरएसएस की शाखा भी लगाई है. चौधरी के पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में हैं और मां गृहिणी हैं.

चौधरी 18 दिसंबर को अर्जेंटीना के एकोनकागुआ (22,482 फीट) के लिए चढ़ाई की. तब तक नया नागरिक संशोधन विधेयक पास हो चुका था और उसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो चुके थे. उसने कहा कि वह अपने साथ कानून के समर्थन वाला बैनर साथ ले गए थे, और फिर उन्होंने अपनी विचारधारा की प्रतिबद्धता को दोहराया.

उन्होंने बताया, ‘ मैं एकोनकागुआ की चोटी पर एक जनवरी को पहुंचा उसके बाद मैंने तिरंगा लहराया, उसके बाद मैंने बैनर को खोला और उसे लहराया. बैनर पर लिखा था ‘मैं सिटिज़नशिप अमेंडमेंट लॉ का समर्थन करता हूं.’

‘मैं दुनिया को बताना चाहता हूं कि भारतीय सीएए को लेकर क्या महसूस करते हैं. और मैं अपने देशवासियों से यह भी कहना चाहता हूं कि हमें सीएए का सपोर्ट करना चाहिए.’

चौधरी ने कहा कि इन चोटियों पर जितना चढ़ना मुश्किल है उतना ही उतरना भी. वहां की परिस्थितियां बहुत ही मुश्किल भरी हैं इसके बाद आप वहां बस कुछ मिनट ही रुक पाते हैं. उन्होंने कहा कि ‘इन चोटियों पर चढ़ने के लिए आपको बहुत सारे शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है.’

‘हां, आरएसएस की शाखा लगाने और सीएए के समर्थन में बैनर फहराने के लिए आपको मेहनत करनी होती है लेकिन आखिर में तब सब सफल लगता है जब आप ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं. एक स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में मैं इन कार्यों के लिए प्रतिबद्ध हूं. मैंने अपने बचपन में ही आरएसएस की सदस्यता ले ली थी. समय के साथ-साथ संस्था और इसकी विचारधारा के प्रति मेरी प्रतिबद्धता और मज़बूत होती गई.’

हिंदुत्व का संदेश

चौधरी दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज से स्नातक हैं, जहां वह अपने छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे हैं. उन्होंने माउंटीयिनरिंग की बेसिक ट्रेनिंग दार्जिलिंग के हिमालयन माउंटीनियरिंग इंस्टीट्यूट से ली है और एडवांस ट्रेनिंग नेहरू माउंटीनियरिंग इंस्टीट्यूट, उत्तरकाशी से ली है.

चौधरी फिलहाल मुरादाबाद के केजीके कॉलेज से कानून की पढ़ाई कर रहे हैं, जो बरेली की महात्मा ज्योतिबा फूले रोहिलखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध है. वह इसके साथ साथ एडवेंचर स्पोर्ट्स से भी जुड़े हैं.

चौधरी का सपना सेवन समिट्स पर चढ़ना है.और वह जहां भी वह जाते हैं वहां हिंदुत्व का संदेश देना भी है.
चौधरी 10 जनवरी को अर्जेंटीना से वापस आए हैं, उनका कहना है कि मैं आशा करता हूं कि मैं बची हुई तीनों चोटियों पर जल्दी ही चढ़ाई करूंगा, हिंदुत्व का संदेश फैलाने के लिए मैं जो कुछ कर सकता हूं वह करूंगा जब मैं वहां पहुंचूगा.

(लेखक इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के सीईओ हैं, और उन्होंने ‘नो अबाउट आरएसएस’ नामक किताब लिखी है.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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1 टिप्पणी

  1. जी नहीं जो सच आप बता रहे हैं वह गलत है… विश्व के जितने भी देश कोराना संक्रमित हैं और उनके चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ व‌ सुरक्षा कर्मी जो भी लड़ रहे हैं ऐसे सभी देशों के झंडे एक के बाद अलास्का के शिखर पर‌ दर्शाए गए। यह विश्व एकजुटता का प्रतीक है

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