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नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि संघ सरकार को यह नहीं बताएगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कैसे निपटा जाए और वह उसके (सरकार के) निर्णय का समर्थन करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी मित्रता पर दबाव नहीं होना चाहिए।
भागवत ने तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के दौरान अंतरराष्ट्रीय व्यापार और अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए यह टिप्पणी की।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार आवश्यक है और होना ही चाहिए, क्योंकि यह देशों के बीच संबंधों को भी बनाए रखता है। लेकिन यह दबाव में नहीं होना चाहिए; दोस्ती दबाव में नहीं पनप सकती।’’
उन्होंने कहा, ‘यह मुक्त होना चाहिए, आपसी सहमति पर आधारित होना चाहिए। हमारा लक्ष्य आत्मनिर्भर होना चाहिए, साथ ही यह समझना चाहिए कि दुनिया परस्पर निर्भरता पर चलती है, और उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए।’
भागवत ने कहा, ‘हम सरकार को यह नहीं बताते कि ट्रंप से कैसे निपटना है; उन्हें पता है कि क्या करना है और हम उसका समर्थन करेंगे।’
आरएसएस के सरसंघचालक की यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा रूसी तेल की खरीद पर भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क के लागू होने के एक दिन बाद आई है। इस तरह भारत पर कुल 50 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है।
भागवत ने बुधवार को कहा था कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वेच्छा से होना चाहिए, किसी दबाव में नहीं। उन्होंने भारतीयों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की थी।
भाषा आशीष माधव
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