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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशआरएसएस से जुड़े बीएमएस ने कहा- निजीकरण से बढ़ता है विदेशीकरण, अर्थव्यवस्था के लिए नया तरीका अपनाए सरकार

आरएसएस से जुड़े बीएमएस ने कहा- निजीकरण से बढ़ता है विदेशीकरण, अर्थव्यवस्था के लिए नया तरीका अपनाए सरकार

बीएमएस ने एक बयान में कहा, 'पहले तीन दिन की उमंग के बाद वित्त मंत्री की घोषणाओं का चौथा दिन देश और देश के लोगों के लिये दुखद दिन है.’

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित श्रम संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने शनिवार को सरकार से कहा कि वह घिसे-पिटे उपायों के बजाय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के नये उपाय सामने लाये. संगठन ने कहा है कि सरकार ट्रेड यूनियनों, सामाजिक प्रतिनिधियों और हितधारकों से बात करने से कतरा रही है जो उनके अपने तरीके पर विश्वास की कमी को दिखाता है कि और यह बहुत ही निंदनीय है.

बीएमएस ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने पर भी सुरक्षा की दृष्टि सेआपत्ति जताई है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोनावायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये करीब दो महीने से लागू लॉकडाउन की मार से अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिये घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त के उपायों की यहां एक संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी.

बीएमएस ने एक बयान में कहा, ‘पहले तीन दिन की उमंग के बाद वित्त मंत्री की घोषणाओं का चौथा दिन देश और देश के लोगों के लिये दुखद दिन है.’ आठ क्षेत्रों कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, हवाई क्षेत्र प्रबंधन, हवाई अड्डे, विद्युत वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा पर ध्यान दिया गया है, लेकिन सरकार कह रही है कि निजीकरण को छोड़कर इसका कोई विकल्प नहीं है. यह इस बात का को दर्शाता है कि सरकार संकट के समय में आर्थिक हालत सुधारने के उपाय नहीं सोच पा रही है.’

आगे कहा गया है कि बिना लोगों से बातचीत ऐसा कदम उठाया जा रहा है. जबकि लोगों से बातचीत लोकतंत्र का आधार है. सरकार ट्रेड यूनियनों, सामाजिक प्रतिनिधियों और हितधारकों से बात करने से कतरा रही है जो उनके अपने आइडिया पर विश्वास की कमी को दिखाता है कि और यह निंदनीय है.

कोल के निजीकरण के लिए 5000 करोड़ के आवंटन को संगठन घोर निंदनीय बताता है. साथ ही एअरपोर्ट सहित बिजली सुधार की भी आलोचना की है.

उसने कहा कि हर बदलाव का असर सबसे पहले कर्मचारियों पर पड़ता है. कर्मचारियों के लिये निजीकरणका मतलब बड़े पैमाने पर संबंधित क्षेत्र में नौकरी का नुकसान, निम्न गुणवत्ता से निम्न नौकरियां, लाभ कमाना और शोषण का ही नियम बन जाना है.

संगठन ने कहा कि निगमीकरण और पीपीपी से निजीकरण का रास्ता तैयार होता है, और निजीकरण अंतत: विदेशीकरण के लिये जमीन तैयार करता है.

संगठन ने कहा है कि अंतरिक्ष, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और अंतरिक्ष खोज के क्षेत्र में निजीकरण का ‘हमारी सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

बीएमएस भाजपा शासित राज्यों में श्रम कानूनों के स्थगन के विरोध का भी किया है ऐलान

इससे पहेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने भाजपा शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में श्रम कानूनों को स्थगित करने की निंदा की थी और इसके खिलाफ 20 मई को देशव्यापी विरोध की घोषणा की है.

बीएमएस ने यह भी कहा कि कोरोनावायरस के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं क्योंकि अधिकांश राज्यों में कानूनों का उल्लंघन हो रहा है.

भारतीय मजदूर संघ ने कई राज्यों में श्रम कानूनों को स्थगित करने और काम की अवधि को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने की आलोचना की थी.

बीएमएस के महासचिव बृजेश उपाध्याय ने अपने बयान में कहा था, ‘यह ज्ञात हुआ है कि कई अन्य राज्य इस चलन का अनुकरण करने को तत्पर हैं. ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं सुना और सबसे गैर-लोकतांत्रिक देशों में भी विरले ही देखने को मिला.’ उन्होंने कहा था कि हमे ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया गया हैं जहां इसके विरोध के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा है. इसलिये बीएमएस ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात में श्रमिक विरोधी अध्यादेश और राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा और ओडिशा में काम के घंटे बढ़ाये जाने के खिलाफ श्रमिकों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिये विरोध करेगी.

उन्होंने कहा था कि संगठन 20 मई को देशव्यापी विरोध दिवस आयोजित करेगा, इसके अलावा भी विरोध में कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.

वहीं संगठन से जुड़े दिल्ली के पदाधिकारी से बात करने की कोशिश की गई. जैसा ही उनका बयान मिलता है स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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