नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूस से व्यापार करने को लेकर लगाए गए टैरिफ और पेनल्टी की घोषणा पर “गहरी चिंता” जताते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाए और राष्ट्रीय हित पर ध्यान केंद्रित करे.
शुक्रवार को जारी एक बयान में SJM के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि भारत का “रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए डिफेंस इक्विपमेंट खरीदने और घरेलू महंगाई को कंट्रोल में रखने के लिए सबसे सस्ती कीमत पर क्रूड ऑयल लेने का संप्रभु अधिकार किसी बाहरी दबाव के अधीन नहीं हो सकता.”
ट्रंप ने 7 अगस्त से अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने और रूस से ऊर्जा उत्पाद खरीदना जारी रखने की वजह से एक अतिरिक्त पेनल्टी लगाने की घोषणा की है. उन्होंने इस कदम को दोनों देशों के बीच चल रही मिनी-डील बातचीत पर चिंता से जोड़ा.
SJM ने कहा कि अमेरिका लगातार कई देशों पर WTO (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन) के नियमों से बाहर दबाव डालता है कि वे टैरिफ कम करें और अक्सर “रेसिप्रोकल टैरिफ” (यानी बदले में टैरिफ लगाने की धमकियां) के नाम पर नॉन-ट्रेड मुद्दों को इसमें घुसा देता है. संगठन ने कहा कि यह समय “रणनीतिक स्वायत्तता मजबूत करने, राष्ट्रीय हित बचाने, एक सच्चा बहुध्रुवीय और न्यायपूर्ण वैश्विक व्यापार ढांचा बनाने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर निर्णायक कदम बढ़ाने” का है.
महाजन ने जोर देकर कहा कि इस तरह की “जबरदस्ती” वाली रणनीति का भारत पर कोई असर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है और अमेरिका को यह समझना चाहिए कि “भारत अब दस साल पहले वाला भारत नहीं है.”
बयान में कहा गया, “हम एक ग्लोबल पावर के रूप में उभर रहे हैं, जिसका उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर में मिला, और हम अपने देशी हथियार उत्पादन को मजबूत करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. अमेरिका को भी चाहिए कि वह एकध्रुवीय सोच से बाहर निकले और बहुध्रुवीय, सहयोगी व्यवस्था की हकीकत को स्वीकार करे.”
RSS के ‘आर्थिक प्रभाग’ ने नरेंद्र मोदी सरकार को बधाई दी कि उसने चल रही भारत-अमेरिका फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) बातचीत के दौरान “दबाव” के आगे झुकने से इनकार किया.
इसमें कहा गया, “रेसिप्रोकल टैरिफ और 9 जुलाई व 31 जुलाई की डेडलाइन मिस होने के बावजूद, भारतीय बातचीत करने वालों ने सही तरीके से हमारे मार्केट को ज़बरदस्ती खोलने की कोशिशों का विरोध किया — चाहे वो जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) फसलें हों, डेयरी इंपोर्ट हो या दूसरे सेंसिटिव सेक्टर्स.”
संगठन ने भारत के खिलाफ अमेरिकी पेनल्टी की आलोचना की. “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने एक रणनीतिक साझेदार के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का फैसला किया है, ऐसे समय में जब दुनिया को चीन द्वारा व्यापार और ग्लोबल वैल्यू चेन के हथियार बनाने जैसी बड़ी चुनौती का मिलकर जवाब देना चाहिए. दबाव डालने के बजाय, अमेरिका और भारत को मिलकर मजबूत, विविध और न्यायपूर्ण ग्लोबल सप्लाई चेन बनाने के लिए सहयोग करना चाहिए.”
SJM ने आगे कहा कि मौजूदा बातचीत में अटके हुए प्रमुख मुद्दे अमेरिका की यह मांग हैं कि उसे GM फसलों के लिए मार्केट एक्सेस मिले, मेडिकल डिवाइस का डिरेगुलेशन हो और क्रॉस-बॉर्डर डेटा फ्लो पर कोई रोक न हो.
“भारत, दूसरी तरफ, सही तरीके से स्टील, ऑटोमोबाइल और फार्मास्युटिकल टैरिफ से छूट चाहता है और अपने डेटा लोकलाइजेशन पॉलिसी का बचाव कर रहा है. भारत का यह सैद्धांतिक रुख—कि GM फूड इंपोर्ट हमारी जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा है और संवेदनशील डेटा देश के भीतर ही रहना चाहिए—हमारे दीर्घकालिक राष्ट्रीय हित के पूरी तरह अनुकूल है,” बयान में कहा गया.
संगठन ने कहा कि चाहे व्यापार समझौता हो या न हो, भारतीय निर्यात अमेरिका को आपसी आर्थिक लाभ के आधार पर जारी रहेगा. “हमें ऐसे समझौते से बचना चाहिए जो हमारे किसानों, छोटे उद्योगों या दीर्घकालिक आर्थिक आत्मनिर्भरता को नुकसान पहुंचाए. हाल के वर्षों का अनुभव दिखाता है कि भारत बदलते वैश्विक व्यापार पैटर्न—खासकर अमेरिका-चीन तनाव से बने हालात—का फायदा अपने हित में उठा सकता है, बिना अपने मूल हितों से समझौता किए.”
संगठन ने भारतीय सरकार से यह भी कहा कि पारंपरिक साझेदारों से परे जाकर व्यापार को और विविध बनाना चाहिए और लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, विस्तारित ब्रिक्स समूह और ग्लोबल साउथ के साथ रिश्ते गहरे करने चाहिए.
बयान में कहा गया, “हालांकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है, लेकिन व्यापार हमेशा आपसी लाभ के लिए होना चाहिए—दबाव का साधन नहीं. SJM समझता है कि व्यापार की धमकियां आखिरकार अमेरिकी उपभोक्ताओं को ही नुकसान पहुंचाएंगी, क्योंकि इससे घरेलू महंगाई बढ़ेगी. भारत के लिए, कोई भी अल्पकालिक नुकसान केवल इस आवश्यकता को और मजबूत करेगा कि हम अहम क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनें.”
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