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सोमवार, 26 मई, 2025
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पूर्व राष्ट्रपति के फर्जी पत्रों व पूर्व सीजेआई के ईमेल आईडी का उपयोग कर 25 लाख रुपये की ठगी

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नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) चेन्नई के दो कथित घोटालेबाजों ने केंद्रीय मंत्री और पूर्व राष्ट्रपति के जाली पत्रों और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की फर्जी ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया और भोले-भाले लोगों को एक काल्पनिक भ्रष्टाचार-विरोधी संगठन का पदाधिकारी बनाने का दावा करके उनसे 25 लाख रुपये ठग लिये। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के आरोपपत्र के अनुसार, दो आरोपियों- रेनिंगस्टन सेल्स और विंसेंट राजू ने कथित तौर पर लोगों से पैसे ठगने की योजना शुरू की थी। उन्होंने लोगों को एक फर्जी संगठन ‘‘भ्रष्टाचार-रोधी और अपराध-निरोधक (एसीएसी) प्रकोष्ठ’’ के पदाधिकारी और कार्यकारी के रूप में नियुक्त करने का दावा किया।

एजेंसी ने यहां एक विशेष अदालत में पेश किए गए आरोप-पत्र में आरोप लगाया है कि जालसाजी को विश्वसनीय बनाने के लिए दोनों ने आधिकारिक दिखने वाले आडंबर तैयार किए- जिनमें राष्ट्रीय प्रतीक वाले लेटरहेड, रबर स्टैम्प, आईडी कार्ड और विजिटिंग कार्ड शामिल हैं।

आरोप-पत्र के अनुसार, इन्होंने चेन्नई में दो फर्जी कार्यालय स्थापित किए और राष्ट्रीय राजधानी के पहाड़गंज में अपना मुख्य कार्यालय होने का दावा किया, जबकि इसमें दिया गया पता फर्जी था।

दिल्ली उच्च न्यायालय से सेल्स और राजू को अग्रिम जमानत मिल गई और अब उन्हें विशेष सीबीआई अदालत ने तलब किया है। सीबीआई अदालत ने दोनों के खिलाफ आरोप का संज्ञान लिया है।

आरोपियों ने कथित तौर पर 10 जून 2017 को एक जाली पत्र तैयार किया, जिस पर कथित तौर पर केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के हस्ताक्षर थे, जिसमें सभी राज्य के मुख्य सचिवों को सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा को तथाकथित एसीएसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने की सूचना दी गई थी।

दोनों ने कथित तौर पर एक जाली ईमेल आईडी तैयार की, जिसका इस्तेमाल उन्होंने लक्षित पीड़ितों को झांसे में लेने के लिए किया। सीबीआई ने जांच के दौरान गूगल से संपर्क किया, जिसने एजेंसी को पुष्टि की कि ईमेल आईडी एक आरोपी (सेल्स) के आईपी पते से तैयार की गई थी।

एजेंसी ने पाया कि रिकवरी फोन नंबर के रूप में सेल्स का फोन नंबर दिया गया था।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि उन्होंने 11 मई, 2018 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा न्यायमूर्ति लोढ़ा को संबोधित एक और पत्र जारी किया, जिसमें उन्हें भारत के एसीएसी प्रकोष्ठ के ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष’ का पद स्वीकार करने के लिए बधाई दी गई थी।

दोनों ने कथित तौर पर पीड़ितों से लगभग 25 लाख रुपये वसूले।

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि यह धनराशि भारतीय एसीएसी प्रकोष्ठ के नाम से भारतीय बैंक में चालू खाते में जमा की गई थी, जिसे संगठन के जाली प्रस्ताव का इस्तेमाल करके ‘इंडियन बैंक’ में खोला गया था।

भाषा सुरेश माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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