देहरादून: पिछले हफ्ते पेंटेकोस्टल एवेंजलिस्ट समुदाय के स्वामित्व वाले एक प्रार्थना घर पर एक हिंदू भीड़ के हमले को लेकर उत्तराखंड के रुड़की शहर में सांप्रदायिक सद्भाव में आयी दरार ने स्थानीय समुदाय के भीतर भविष्य में भी इसी तरह के हमलों के बारे में भय और आशंका के बीज बो दिए हैं.
पिछले 3 अक्टूबर को इस प्रार्थना घर के सामने लगभग 250 लोगों की भीड़ जमा हो गई और उन्होंने यहां कथित तौर पर तोड़फोड़ करने और कुछ लोगों पर हमला करने से पहले पेंटेकोस्टल एवेंजलिस्ट प्रियो साधना पॉटर और वहां मौजूद अन्य लोगों पर अवैध धर्मांतरण का आरोप भी लगाया.
इस घटना के एक हफ्ते बाद भी इस मामले में कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. रुड़की में पहले कभी नहीं देखे गए इस तरह के हमले के बाद स्थानीय निवासियों को डर है कि यह घटना आगे भी इसी तरह के हमलों के लिए मिसाल कायम करेगी और इस सब से शहर का माहौल और खराब होगा.
साधना पॉटर का परिवार, जिनके दिवंगत पति पादरी डिकेंस रॉकवेल लांस इस प्रार्थना घर को चलाते थे, भी अपनी सुरक्षा के प्रति भयभीत है क्योंकि इसे सामाजिक बहिष्कार से जूझना पड़ रहा है. उनका कहना है कि यह हमला यहां बढ़ते हुए सांप्रदायिक विभाजन को दर्शाता है और अगर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह एक तरह की प्रवृत्ति सी बन जाएगी.
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेतृत्व, जिसने उत्तराखंड के ग्रामीण हिस्सों में ईसाई समुदाय के खिलाफ अपने ‘धर्मांतरण विरोधी’ अभियान को और विस्तृत करने की धमकी दी है, इन बयानों के कारण इनका यह भय और भी बढ़ रहा है. विहिप के कुछ नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य पुलिस को हिंदुओं के कथित धर्मांतरण में शामिल ईसाई मिशनरियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, अन्यथा वे खुद उनसे निपट लेंगे.
हालांकि दिप्रिंट से बात करते हुए, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने पॉटर और उसके परिवार की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए कहा कि सभी दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘इस घटना के सभी पीड़ितों को आवश्यक सुरक्षा प्रदान कर दी गई है और जब तक उनके प्रति खतरे की संभावना पूरी तरह से कम नहीं हो जाती, तब तक पुलिस वहीँ रहेगी.’
वहीँ हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) परमेंद्र डोभाल का कहना है कि मामले की जांच के नतीजे जल्द ही सामने आएंगे और आरोपी लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
इस हमले, जिसमें एक पीड़ित व्यक्ति रजत के सिर, चेहरे, पीठ और कान पर गंभीर चोटें आईं हैं, के उपरांत दो प्राथमिकियां दर्ज की गईं हैं. पहली प्राथमिकी आठ लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी – जिसमें विहिप, बजरंग दल और भारतीय जनता पार्टी के नेता शामिल है – और साधना पॉटर द्वारा दी गयी शिकायत पर 242 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.
परन्तु, आदर्श नगर, रुड़की निवासी सोनम नाम की एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद, साधना पॉटर और रजत सहित ईसाई समुदाय के 10 अन्य सदस्यों के खिलाफ एक विरोधी (क्रॉस) प्राथमिकी भी दर्ज की गई है.
सोनम ने आरोप लगाया है कि उन्हें, उनके पति राहुल और कुछ अन्य लोगों को इस प्रार्थना कक्ष में एक सामुदायिक समारोह के लिए बुलाया गया था, लेकिन पॉटर और वहां मौजूद 10 अन्य लोगों ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मनाने की कोशिश की और कहा कि उसके बदले उन्हें दो-दो लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा और साथ हीं उन्हें मुफ्त शिक्षा एवं चिकित्सा सहायता भी दी जाएगी.
‘सांप्रदायिक विभाजन बढ़ना तय है’
रुड़की में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम करने वाले संगठन, भारतीय सद्भावना मिशन के स्थानीय सदस्य सुरजीत सिंह चंडोक ने कहा कि इस तरह से ‘बड़े पैमाने पर’ किया गया हमला ‘शहर के लिए एकदम नया’ है.
चंडोक कहते हैं, ‘हमने इस पैमाने पर भीड़ को हमला करते कभी नहीं देखा. यह अपने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान)के लिए मशहूर रुड़की शहर के नागरिकों के चेहरे पर एक धब्बे जैसा है. यदि प्रशासन हिंसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहता है, तो यह सांप्रदायिक विभाजन को और चौड़ा करने वाला है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हानिकारक संकेत है.’
उन्होंने कहा, ‘रुड़की में हमेशा एक मजबूत सांप्रदायिक बंधन और सहिष्णुता की परंपरा रही है, लेकिन किसी भी समुदाय (ईसाईयों को छोड़कर भी) के खिलाफ इस तरह के हमले माहौल को और खराब करेंगे तथा सांप्रदायिक सद्भाव को बरक़रार रखने की कोशिशों के लिए खतरनाक होंगे.’
मिशन के एक अन्य सदस्य और पेशे से ज्योतिषी,पंडित रमेश सेमवाल ने भी इसी तरह के विचारों का समर्थन किया.
उन्होंने कहा, ‘अतीत में भी ईसाई समुदाय के खिलाफ कुछ हमले हुए थे लेकिन वे आकार में छोटे थे. इस बार के हमले का दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है. समय पर कार्रवाई करने में प्रशासन की विफलता समाज के बुरे तत्वों के हौसलों को और बुलंद करेगी जिससे भविष्य में ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति होगी.’
यह भी पढ़ें : BJP का बड़ा सोशल मीडिया काउंटर – BL संतोष ने IT सेल को योगी और मोदी की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए कहा
3 अक्टूबर को ही उत्तराखंड में कई अन्य जगहों – हरिद्वार के बहादराबाद, देहरादून के सहसपुर और पौड़ी जिले के रामनगर में – इसी तरह के हमलों का सिलसिला देखा गया. ईसाई समुदाय के सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस उनकी शिकायतों के प्रति उदासीन रही और एक ही दिन में हुए इन चार हमले में हमला करने वालों के काम करने का तरीका लगभग एकसमान ही था.
लांस परिवार का चाहता है कि उनके पड़ोसी उनसे बात करें
भीड़ द्वारा किये गए इस हमले के बाद प्रियो साधना पॉटर और उनकी दो बेटियों ईवा और पर्ल के लिए तो समूची दुनिया जैसे बदल सी गई है. इन तीनों का कहना है कि उनके पड़ोसी उन्हें तिरस्कार की नजर से देख रहे हैं, जो उनसे बात करने को भी तैयार नहीं हैं.
साधना कहती हैं, ‘हमने कभी नहीं सोचा था कि जिस इलाके में हम लगभग 35 वर्षों से रह रहे हैं, वहां हमारे साथ ऐसा होगा. मेरी बेटियों का जन्म और पालन-पोषण यहीं हुआ. वे कॉलोनी के अन्य बच्चों के साथ खेल चुके हैं, लेकिन आज वे उनसे बात भी नहीं कर सकते.’
उन्होंने दिप्रिंट को बताया ‘जब मेरे दिवंगत पति पादरी डिकेंस रॉकवेल लांस, जिनकी सितंबर 2020 में कोविड -19 से मृत्यु हो गई थी, जीवित थे तब किसी ने हम पर हमला नहीं किया. सोलानीपुरम के प्रार्थना घर पर कभी किसी ने आपत्ति नहीं की, लेकिन जुलाई में कोविड की दूसरी लहर के बाद इसके फिर से खुलने के बाद से यह कुछ लोगों के आंख का कांटा बन गया था.’
साधना की छोटी बेटी पर्ल ने आरोप लगाया कि हमले के दौरान एक ऐसी महिला ने उसकी पिटाई की जिसकी सास ने उसे बचपन में पढ़ाया था. पर्ल ने आरोप लगाया, ‘बाद में एक बुजुर्ग ने पीछे से मेरा कंधा पकड़ा और 30 साल से कम उम्र के एक लंबे कद वाले आदमी ने मेरे स्तनों पर वार किया और मेरा सेल फोन छीन लिया, जबकि एक अन्य महिला चिल्लाते हुए बोल रही थी, ‘हम हिंदू हैं और हिंदुत्व की खातिर तुम्हें मार डालेंगे.’
उसने बताया कि ‘रजत, जो केवल हमारी मदद करने के लिए यहां आये थे, के सिर पर रॉड से वार किया गया. वह पिछले छह दिनों से अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं.’
साधना की बड़ी बेटी ईवा लांस, जो दिल्ली विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त हैं, ने कहा, ‘हम सभी सदमे में हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि इस मामले में कहां जाएं और कैसे आगे बढ़ें. हालांकि हमारे घर और प्रार्थना घर दोनों जगहों पर पुलिस तैनात है, मगर हमलावरों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. अब तो हम सड़कों पर भी नहीं चल पा रहे हैं. हम अपने पड़ोसियों से बात करना चाहते हैं, लेकिन वे ऐसा करना नहीं चाहते.’
ईवा बताती है, ‘कॉलोनी (मोहल्ले) के जो लोग हमसे मिलने के इच्छुक हैं, उन्हें दूसरों लोगों द्वारा रोका जा रहा है … ऐसा प्रतीत होता है कि यहां हर कोई चाहता है कि हम कॉलोनी छोड़ दें.’
हालांकि साधना और उनकी बेटियों ने अपनी सुरक्षा को लेकर पुलिस पर भरोसा जताया है, मगर किसी की भी गिरफ्तारी न होने से वे आहत भी हैं. ईवा कहती है ‘हम पुलिस पर भरोसा करते हैं और अच्छी तरह से जानते हैं कि वे अपना काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. कल को जब हमारी सुरक्षा वापस ले ली जाएगी और तब यही भीड़ वापस आ जाए तो क्या होगा? क्योंकि वे पहले ही हमें जान से मारने की धमकी दे चुके हैं?’
विहिप ने पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया
वहीँ कथित तौर पर इस हमले में शामिल हिंदू संगठनों के नेताओं ने दावा किया है कि पुलिस प्राथमिकी में नामित किये गए लोगों के परिवारों को परेशान कर रही है. उनका कहना है कि दोषी पाए जाने पर पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करे, लेकिन उन्हें हमारे कार्यकर्ताओं के परिवार के सदस्यों और बच्चों को परेशान करने का कोई अधिकार नहीं है.
विहिप के हरिद्वार-रुड़की संभाग के प्रमुख संदीप खटाना ने कहा, ‘पुलिस की टीमें प्राथमिकी में नामित हमारे कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मार रही हैं और उन परिवारों में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को आतंकित कर रही हैं. हम मामले की जांच और दोषियों को सजा दिए जाने का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन निर्दोष परिवार के सदस्यों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को बर्दाश्त भी नहीं कर सकते.‘
उन्होंने कहा, ‘उनके घरों पर बेतरतीब ढंग से तड़के या काफी देर रात छापेमारी की जा रही है. हमने पुलिस को इन परिवारों के इस तरह से अवांछित उत्पीड़न को रोकने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. अगर इसे नहीं रोका गया तो हम सड़कों पर उतरेंगे.’
उन्होंने कहा कि रविवार की ‘घटना’ किसी भीड़ का हमला नहीं थी, बल्कि एक लड़की (सोनम), जिसे जबरन धर्म परिवर्तन के लिए प्रार्थना घर में ले जाया गया था, के परिवार और जो लोग उसे वहां ले गए थे के बीच की लड़ाई थी.
खटाना कहते हैं ‘विहिप, बीजेपी और बजरंग दल के सदस्य एक ऐसी हिंदू लड़की के समर्थन में वहां गए थे जिसके परिवार के सदस्य उसे वापस लाने की कोशिश कर रहे थे. बाद में लड़की ने खुद उन ईसाई मिशनरी सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जो उसका धर्म परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे थे. अब पुलिस उसके परिवार को भी परेशान कर रही है.’
विहिप नेता ने यह भी कहा कि उनका संगठन अब उत्तराखंड के अन्य ग्रामीण इलाकों में धर्मांतरण के खिलाफ अभियान चलाएगा.
उनका कहना है, ‘हम जानते हैं कि उन्होंने उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों को अपना निशाना बनाया है और अपने धर्मान्तरण मिशन के साथ आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हम हर बिंदु पर उनका मुकाबला करेंगे. विहिप और बजरंग दल ने पहले भी ऐसा किया है और हम अब भी ऐसा ही करेंगे.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)